Tuesday, April 1, 2025
- Advertisement -

नेत्र ज्योति की क्षीणता-पढ़ने में अरुचि का कारण

 

Sehat 5


मेरी दस वर्षीय लड़की पढ़ाई में बिलकुल मन नहीं लगाती। अक्सर होमवर्क भी पूरा नहीं करती। कहती है उसे कभी-कभी दो-दो वस्तुएं दिखाई देती हैं, कभी कहती है सब कुछ काला दिखाई देता है। शायद पढ़ाई न करने की नई तरकीब निकाली है इसने।’
इस विषय में अक्सर अभिभावकों के मन में अपने बच्चों के प्रति ऐसी धारणाएं रहती हैं। बच्चा कक्षा में कम अंक लाए और पढ़ने से अधिक खेल में अपनी रूचि दिखाए, यह उनके चिंतन का विषय रहता है। उनका कहना होता है कि अपनी ओर से न तो हम खाने-पीने में, न टयूशन आदि के साथ अन्य सुविधाएं प्रदान करने में कोई कमी नहीं रखते। फिर भी बच्चा कम अंक क्यों लाता है? हमारी ओर से तो सदैव उत्साह, प्रोत्साहन एवं स्वस्थ वातावरण ही मिलता है तो फिर…।

काफी कम अभिभावक इस समस्या की जड़ तक पहुंच पाते हैं। बच्चा पढ़ाई में अरूचि दिखाए, होमवर्क न करे, पढ़ाई न करने का बहाना करे, इसके पीछे तो वैसे अनेकानेक कारण हमें मिल जाते हैं किंतु पढ़ाई न करने के बहाने के पीछे एक महत्वपूर्ण कारण यह भी हो सकता है जिसमें अधिकांश माता-पिता की दृष्टि नहीं पहुंच पाती और वह है बच्चों की आंखों की ज्योति। पढ़ाई में बाधक बनने का यह एक महत्त्वपूर्ण कारण है। आपके बच्चों की आंखों की ज्योति ठीक है या नहीं, यह परीक्षण आप स्वयं भी कर सकते हैं।बच्चे को ऊंची आवाज में एक अनुच्छेद पढ़ने को कहें तथा कुछ लक्षण गौर करें। बच्चा ध्यान केंद्रित न कर अपना सिर इधर-उधर घुमा रहा है, बच्चे से दो या तीन पंक्ति पढ़ना छूट गया है,

बार-बार केवल एक ही शब्द या पंक्ति को दोहरा रहा है, अपनी आंखों को बार-बार मसल रहा है या उबासियां ले रहा है, उसकी आंखों से पानी निकल रहा है, बीच-बीच में सिरदर्द के विषय में आप से कह रहा है। डबल विजन अर्थात दो-दो दिखाई देने की बात कह रहा है, काली छवि दिखाई देने की बात कह रहा है। ये सभी लक्षण आप अगर अपने बच्चों में पाते हैं तो यह तय है कि आपको बच्चे की नेत्र ज्योति क्षीण है। सिरदर्द, बार-बार आंखों से पानी गिरना, धुंधलापन, डबल विजन की शिकायत होने के कारण बच्चा अपने अथक प्रयास के बावजूद पढ़ पाने में असमर्थ है। उपरोक्त बातों से जाहिर है कि कुछ प्रमुख कारण हैं जिनकी वजह से बच्चा पढ़ पाने में असमर्थ है।

आंखों का संक्रमण रोग : आंखों में खुजली होना, पानी निकलना, आंखों के कोने में हल्की सूजन का आना तकलीफ होने लगती है।

एस्टिगमैटिज्म : इस प्रकार के रोग में रोशनी आंखों के रेटिना में एक जगह नहीं पड़ती। परिणामस्वरूप छवि का कुछ अंश धुंधला पड़ जाता है या सही मायने में नजर नहीं आ पाता अत: बच्चा न तो सीधे पढ़ सकता है और न सपाट पढ़ सकता है।

ऐमिथानोपिया : इस प्रकार के रोग में दृष्टिपारस (विजुयल रेन्ज) का आधा हिस्सा नहीं रहता, फलत: बच्चा अपने सिर को टेढ़ा कर बाकी हिस्से को देखने का अथक प्रयास करता है।

स्क्रोटोमा : जब बच्चे को कुछ भली भांति नहीं दिखाई पड़ता या काली छवि नजर आती है तो बच्चा स्क्रोटोमा नामक बीमारी से ग्रस्त होता है।

अगर आप देखते हैं कि आपके बच्चे की आंखों में तकलीफ है और उपरोक्त सभी लक्षण स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं तो बच्चे को नेत्र विशेषज्ञ के पास ले जाना नितांत आवश्यक है। इसकी अवहेलना करना घातक सिद्ध हो सकता है, अत: जितनी जल्दी हो सके चिकित्सीय राय लें।

यह तो तय है कि नेत्रों की क्षीण ज्योति के लिए चश्मे की आवश्यकता होती है। हालांकि वर्तमान युग में लेजर द्वारा, लैंस आदि के द्वारा चश्मे से छुटकारा मिल सकता है किंतु अधिकांशत: कम आयु के बच्चों को लैंस आदि न देने की ही राय दी जाती है क्योंकि बच्चे बार-बार लैंस उतार कर रखने व लगाने में असमर्थ रहते हैं, अत: समझदार होने की अवस्था में ही लैंस का प्रयोग सार्थक सिद्ध होता है।

बच्चे को अगर नेत्र की क्षीण ज्योति की शिकायत है तो आरंभिक अवस्था से ही नियमित रूप से कुछ योगाभ्यास अवश्य करवाएं जो नेत्रों के लिए लाभदायक सिद्ध होते हैं जैसे:-

  • किसी भी जगह एक बिंदु पर सारा ध्यान केंद्रित करने को कहें। अपलक देखते-देखते उसकी आंखों से पानी निकलने लगेगा और आंखों में जलन होगी। तब आंखें बंद कर पांच मिनट तक सीधे लेट जाने को कहें। ऐसा नियमित करने को कहें।
  • गर्दन को बिना हिलाए, आंखों से ऊपर नीचे दस बार देखें, फिर आंखों को कुछ देर बंद करें। गर्दन को बिना हिलाए केवल आंखों को ही गोल-गोल घुमाएं। फिर आंखों को कुछ देर बंद करें। गर्दन को बिना हिलाए केवल आंखों को दाएं बाएं ले जाएं। फिर आंखें बंद कर आराम करें।
  • अत्यधिक टीवी देखने के कारण भी नेत्रों की ज्योति पर कुप्रभाव पड़ता है। इसमें संदेह नहीं कि आजकल टीवी पर बच्चों के अनुरूप अनेकानेक रंगारंग कार्यक्रमों का प्रसारण हो रहा है किंतु यह अभिभावकों को तय करना होगा कि बच्चे कितने समय तक केवल चुनिंदा कार्यक्र मों को ही देखें। जहां तक हो सके, बच्चों को टीवी की लत न लगने दें।
    दूसरी बात कंप्यूटर की है।
  • वर्तमान युग में जहां कंप्यूटर हर क्षेत्र में अनिवार्य हो गया है, बच्चों को इसका प्रशिक्षण देना भी आवश्यक है किन्तु कंप्यूटर पर अधिक समय तक कार्य करने से आंखों पर कुप्रभाव पड़ता है। इसके लिए आजकल एक खास चश्मे का प्रयोग किया जाता है जो नेत्रों को कंप्यूटर से प्रभावित होने से कुछ हद तक बचाता है।
  • यह अत्यंत आवश्यक है कि पढ़ते समय बच्चे की बैठने की स्थिति पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाए। पढ़ते समय किताब ओर आंखों के बीच कम से कम 14 से 16 इंच की दूरी होना अनिवार्य है। कुहनी के बल लेट कर पढ़ने की आदत से बच्चे को रोकें। इसके साथ-साथ पढ़ने वाले कक्ष में ट्यूब लाइट का यथा संभव प्रयोग करें तो अच्छा रहेगा।
  • मेज व कुर्सी पर बैठ कर पढ़ने के लिए टेबल लाइट का प्रयोग करने पर भी ट्यूबलाइट वाले टेबल लैम्प का प्रयोग करें। बल्ब से नेत्रों पर अधिक प्रभाव पड़ता है।
  • नेत्रों की ज्योति को क्षीण होने से बचाने के लिए बच्चों के आहार पर भी विशेष रूप से ध्यान रखें। इसके लिए संतुलित व पौष्टिक आहार देना अनिवार्य है। बच्चों के आहार में प्रतिदिन 1/2 कप फलों का रस, दूध, टमाटर, अंडा, फल, हरी सब्जियां व साग आदि शामिल करें।
  • अत: उपरोक्त सभी बातों को ध्यान में रख कर आप बच्चों के आंखों की ज्योति को न केवल यथासंभव बनाए रख सकते हैं अपितु पढ़ने में हो रही कठिनाई का निवारण कर सकती हैं।

रूबी


janwani address 7

What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Meerut News: टायर के गोदाम में लगी भीषण आग, मौके पर पहुंचा दमकल विभाग 

जनवाणी संवाददाता |मेरठ : टीपी नगर थाना क्षेत्र स्थित...

Heart Health: क्या हार्ट अटैक से बचा जा सकता है? जानें विशेषज्ञों के सुझाव और उपाय

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...
spot_imgspot_img