जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: कर्नाटक सरकार में मंत्री और कांग्रेस नेता प्रियांक खरगे ने सरकारी स्थानों पर आरएसएस की गतिविधियों पर प्रतिबंध की मांग को लेकर बड़ा बयान दिया है। सोशल मीडिया पर साझा किए गए एक पोस्ट में उन्होंने खुलासा किया कि उन्हें और उनके परिवार को लगातार धमकी भरे कॉल्स आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह इन धमकियों से न तो विचलित हैं और न ही चौंकें हैं।
“दो दिनों से फोन पर गालियां और धमकियां”
प्रियांक खरगे ने लिखा, “पिछले दो दिनों से मेरे फोन की घंटी लगातार बज रही है। मुझे और मेरे परिवार को धमकी भरे, अपमानजनक और अशोभनीय भाषा वाले कॉल आ रहे हैं। वजह सिर्फ इतनी है कि मैंने सरकारी स्कूलों, कॉलेजों और संस्थानों में आरएसएस की गतिविधियों पर सवाल उठाने की हिम्मत की।”
“मैं चुप बैठने वालों में से नहीं”
खरगे ने दो टूक कहा,“जब आरएसएस ने महात्मा गांधी और बाबासाहेब आंबेडकर को नहीं छोड़ा, तो मुझे क्यों छोड़ेगा? अगर कोई सोचता है कि गालियां और धमकियां मुझे चुप करा देंगी, तो वह भ्रम में है। यह लड़ाई अब शुरू हुई है।”
उन्होंने देश को “सबसे खतरनाक वैचारिक वायरस” से मुक्ति दिलाने की बात भी कही और कहा कि अब समय है कि बुद्ध, बसवन्ना और बाबासाहेब के सिद्धांतों पर आधारित समाज का निर्माण किया जाए – जो समानता, तर्क और करुणा पर आधारित हो।
“सरकारी स्थानों पर RSS की गतिविधियों का विरोध”
मंत्री ने यह स्पष्ट किया कि उन्होंने आरएसएस पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग नहीं की है, बल्कि सिर्फ सरकारी परिसरों में उसकी गतिविधियों पर रोक लगाने की बात की है।
उनके अनुसार “बच्चों को क्या खाना है, क्या पहनना है, यह उनके माता-पिता तय करेंगे, आरएसएस नहीं।”
राज्य सरकार ने दिए समीक्षा के निर्देश
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वह तमिलनाडु मॉडल की तर्ज पर सरकारी परिसरों में आरएसएस की गतिविधियों की समीक्षा करें। तमिलनाडु में पहले से ही ऐसी गतिविधियों पर रोक है, और कर्नाटक में इसी दिशा में कदम उठाए जा सकते हैं।
मुख्य बिंदु संक्षेप में?
मंत्री प्रियांक खरगे को धमकी भरे कॉल्स मिल रहे हैं
सरकारी स्थानों पर RSS की गतिविधियों पर सवाल उठाने पर हो रहे हमले
गांधी और आंबेडकर का उदाहरण देकर जताई नाराजगी
सिद्धारमैया सरकार ने दी मामले की समीक्षा के आदेश
तमिलनाडु की तरह कर्नाटक में भी हो सकती है सख्ती

