- हाईकोर्ट ने विभागीय कार्रवाई को लेकर चार सप्ताह में मांगा जवाब
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेरठ के थाना सदर बाजार में तैनात रहे पुलिस इंस्पेक्टर बिजेंद्र पाल राणा को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार को लेकर चल रही विभागीय कार्रवाई पर अग्रिम आदेशों तक रोक लगा दी है। कोर्ट ने इस मामले में पुलिस अधिकारियों से चार सप्ताह में जवाब मांगा है। याची वर्तमान में बतौर पुलिस इंस्पेक्टर निलंबित चल रहा है। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने इंस्पेक्टर बिजेंद्र पाल राणा की याचिका पर दिया है।
याची इंस्पेक्टर की ओर से उपस्थित सीनियर अधिवक्ता विजय गौतम और इशिर श्रीपत का कहना था कि याची 2021 में थाना सदर बाजार जनपद मेरठ में बतौर इंस्पेक्टर कार्यरत था। तब उसके खिलाफ सदर बाजार थाना मेरठ में मुकदमा दर्ज हुआ। शिकायतकर्ता विकार अमीर ने याची पर पैसा लेने का आरोप लगाया था। इस क्रिमिनल केस के खिलाफ याची इंस्पेक्टर ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल की।
जिसमें उसे अग्रिम जमानत मिल गई। कोर्ट ने एसएसपी मेरठ को निर्देश दिया था कि वह इस क्रिमिनल केस की जांच एडिशनल एसपी रैंक के अधिकारी से कराएं। भ्रष्टाचार के इस मामले में याची के खिलाफ क्रिमिनल केस के आधार पर विभागीय चार्जशीट देकर विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी गई। 2 सितंबर, 2021 के आदेश से इंस्पेक्टर के खिलाफ यूपी अधीनस्थ श्रेणी के पुलिस अधिकारियों की (दंड और अपील) नियमावली 1991 के नियम 14 (एक) के अंतर्गत कार्रवाई करते हुए उसे आरोप-पत्र दिया गया।
आरोप लगाया गया है कि उन्होंने मुजफ्फरनगर के जमीर आमिर को ट्रक चोरी के केस में पूछताछ के लिए बिना किसी अधिकार के अवैधानिक रूप से जनपद मुजफ्फरनगर से लाकर निरुद्ध किया। 50 हजार घूस के रूप में लेने के बाद उसे धमकाया गया। याची इंस्पेक्टर की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम का कहना था कि याची के खिलाफ विभागीय कार्रवाई पहले दर्ज एफआईआर को आधार बनाकर की जा रही है।
कहा गया कि क्रिमिनल केस के आरोप और विभागीय कार्रवाई के आरोप एक समान हैं और साक्ष्य भी एक ही है। बहस की गई कि सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट कैप्टन एम पाल एंथोनी और पुलिस रेगुलेशन के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। अधिवक्ताओं का कहना था कि यह प्रतिपादित सिद्धांत है कि जब आपराधिक और विभागीय कार्रवाई एक ही आरोपों को लेकर चल रही है। इसलिए विभागीय कार्रवाई आपराधिक कार्रवाई के निस्तारण तक स्थगित रखी जाए। कहा गया कि याची के खिलाफ की जा रही कार्रवाई द्वेषपूर्ण और गलत है। कोर्ट ने पक्षों को सुनने के बाद विभागीय कार्रवाई पर अग्रिम आदेशों तक रोक लगा दी है।