कतर की निचली अदालत कोर्ट आॅफ फर्स्ट इंस्टांस की ओर से 26 अक्तूबर 2003 को भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों को मौत की सजा सुनाई गई। भारत ने इस फैसले पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए इसे दुखद और पीड़ादायक बताया। इस बाबत कानूनी पहलुओं पर गौर एवं विशेषज्ञों से सलाह ली जा रहा है। विदेश मंत्रालय प्रकरण को प्राथमिकता के आधार पर गंभीरता से ले रहा है तथा हर कानूनी लड़ाई के लिए तैयार है। कतर की खुफिया एजेंसी ने भारत के आठ पूर्व नौसेना अधिकारियों को 30 अगस्त 2022 में इस्राइल के लिए गुप्त विशेषताओं वाली इटालवी प्रौद्योगिकी आधारित पंडुब्बियों के प्रोजेक्ट की जासूसी करने के आरोप में दोहा से गिरफ्तार किया था। 29 मार्च 2023 को अदालत में सुनवाई हुई। इतने समय हिरासत में रखने का न तो कोई अधिकारिक बयान सामने आया और न ही जासूसी में इनकी संलिप्तता का कोई साक्ष्य दिया गया। गिरफ्तार अधिकारियों में 3 कप्तान, 4 कमांडर और एक नाविक है। कतर की ओर से लगाए गए आरोपों को सार्वजनिक भी नहीं किया गया है। मृत्यु दण्ड का सामना करने वाले अधिकारियों में कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कैप्टन बिरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और नाविक रागेश गोप कुमार शामिल हैं। पूर्णेंदु तिवारी को 2019 में प्रवासी भारतीय सम्मान से नवाजा गया था, जो विदेशों में रहने वाले भारतीयों को दिए जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है। पूर्व नौसेना अधिकारियों के मृत्यु र्दंड की सूचना विदेश मंत्रालय से हुई। यह सजा एक अक्तूबर 2023 को कतर में भारतीय राजदूत के जेल में कैद नौसेना के पूर्व अधिकायिों से भेंट के बाद सुनाया गया। सभी अधिकारियों की अवस्था 50 वर्ष से ऊपर है तथा भारत में 20 वर्ष का विशिष्ट सेवा रिकार्ड रहा है।
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने आठ दिसंबर 2022 को संसद में सैनिकों को वापस लाने की बात कही थी। उनके मुताबिक पूर्व नौसेना अधिकारियों पर लगे आरोपों का विवरण रहस्यमय और अस्पष्ट है। विपक्ष ने भी सख्त प्रतिक्रिया दी है। पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारियों को मृत्य दण्ड देने पर दुख व्यक्त करते हुए इसे आश्चर्यजनक बताया। कहा कि रक्षा मंत्रालय और प्रधानमंत्री इस मामले में तुरंत महत्वपूर्ण कार्रवाई में अपने राजनैतिक प्रभाव का बेहतर इस्तेमाल करेंगे। प्रधान मंत्री को इस बाबत कतर के अमीर से बातचीत करनी चाहिए। आश्चर्यजनक है कि कतर की ओर से गिरफ्तार नौसेना अधिकारियों को कई महीने से यह तक नहीं बताया गया कि उनकी गिरफ्तारी किस जुर्म में की गई है? कतर की सख्ती के कारण गिरफ्तारी के एक महीना बाद जमानत के प्रार्थना-पत्र देने पर अदालत ने उन्हें निरस्त कर सख्त हिरासत में भेज दिया। कतरी अधिकारियों के मुताबिक उनके पास जासूसी की पुष्टि के इलैक्ट्रॉनिक प्रमाण हैंै। नौसेना के पूर्व अधिकारियों को मौत की सजा सुनाने के बाद जहां भारतीय सरकार चिंतित है, वहीं मृत्यु दंड को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं। भारतीय नौसेनिकों का कसूर क्या है? उन्हें किस अपराध के तहत गिरफ्तार किया गया है? किस आधार पर मृत्यु दंड दिया गया? नौसेना के पूर्व अधिकारियों पर लगाए गए आरोपों को सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया? आरोपियों के परिजनों को घटना की सूचना क्यों नहीं दी गई? उन्हें जेल में अलग-अलग क्यों रखा गया? न्यायालय में प्रस्तुत नकी जमानत अर्जियों को बार-बार क्यों निरस्त किया जाता रहा? भारत सरकार और आरापियों के परिजनों को चार्जशीट क्यों नहीं दी गई? भारतीयों के साथ गिरफ्तार किए गए कंपनी स्वामी अजमी व अन्यों को किस आधार पर नवंबर 2022 में रिहा किया गया? क्या यह कोई साजिश है? कहीं इसके पीछे पड़ोसी देश का दबाव तो नहीं है? इस मामले में दोनों मुल्कों के दुश्मनों का हाथ तो नहीं है?
यद्यपि, केंद्र सरकार ने नौसेना के पूर्व अधिकारियों की मौत की सजा समाप्त कराकर उनकी वापसी के प्रयास का यकीन दिलाया है। लेकिन सच यह भी है कि वर्तमान में दोनों देशों के संबंध मधुरमय नहीं हैं। पिछले वर्ष बीजेपी प्रवक्ता नुपुर शर्मा की विवादित टिप्पणी की कटु आलोचना करने वाला पहला देश कतर ही था। सनद रहे कि भारत उन चंद देशों में एक है, जिन्होंने 1971 में कतर की आजादी के आरंभिक दिनों में उसे मान्यता दी थी। 1973 से दोनों के बीच द्विपक्षीय संबंध स्थापित हैं तथा दोनों देशों में रक्षा सहयोग समझौता भी है। 2015 में कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी ने भारत तथा 2016 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कतर का दौरा किया था। दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण व्यापारिक संबंध हैं। भारत, कतर से तरलीकृत प्रकृतिक गैस (एलएनजी), एलपीजी, रसायन, पेट्रोकेमिकल्स, प्लास्टिक तथा एल्युमीनियम आदि खरीदता है। भारत कतर को अनाज, तांबा, लोहा, इस्पात, सब्जियां, पलास्टिक उत्पाद, निर्माण सामग्री, वस्त्र और गारमेंट्स आदि वस्तुएं बेचता है। कतर में करीब आठ लाख भारतीय रहते हैं, जो कतर की आधारभूत संरचना को सुदृढ़ करने में अहम भूमिका निभाते हैं। मृत्यु दंड पर भारतीयों के पास मौजूद विकल्पों में पहला विकल्प ज्यूडिशियल सिस्टम के मुताबिक सजा के खिलाफ अपील का है। दूसरे विकल्प के तौर पर भारत, कूटनीतिक तरीके से कतर से बात कर सजा रुकवाने का प्रयास कर सकता है। तीसरे विकल्प के रूप में प्रधानमंत्री कतर के अमीर से सीधे बात कर सजा माफी को कह सकते हैं। भारत और कतर के साथ अच्छे संबंध वाला तुर्किए भी सहायक सिद्ध हो सकता है। अंतिम विकल्प के तौर पर भारत प्रकरण को इंटरनेशनल कोर्ट में ले जा सकता है।