Tuesday, July 9, 2024
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जीना चाहती थी राजबाला…फिर उसे क्यों मार डाला?

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  • तलाक के बाद नारी स्वावलंबन की मिसाल बनी शिक्षिका राजबाला

जनवाणी संवाददाता |

किठौर: नारी शक्ति, स्वावलंबन और स्वाभिमान की मिसाल थी राजबाला। हंसमुख चेहरा और मिलनसार व्यवहार के चलते किठौर में उसे सब दीदी कहकर पुकारते थे। पैतृक कस्बे में दीदी अपनेपन के बीच जीना चाहती थी। शायद यही वजह है कि पति से तलाक के बाद उसने इकलौते मासूम बेटे के साथ किठौर में रहने का फैसला लिया। पिता के मकान में आकर बस गई लेकिन किसी पर आश्रित न रही।

आजीविका के लिए उसने मकान में रिहायश के साथ स्कूल भी चला लिया। बेदाग छवि, क्लेश न रंजिश फिर राजबाला को किसने और क्यों मारा सबके जेहन में यही सवाल कौंध रहा है। किठौर निवासी हरवंश लाल के सात बच्चों में राजबाला पांचवीं संतान थी। 1990 में उसकी शादी गाजियाबाद के बर्तन व्यावसायी कृष्ण बलदेव से हुई।

बेटे संचित और एक बिटिया के जन्म के बाद 1995 में आपसी विवाद के कारण दंपति में तलाक हो गया। बेटी को पिता के पास छोड़ राजबाला बेटे संचित के साथ अपने पैतृक मकान किठौर में आकर रहने लगी। परिवार टूटने के बाद भी वह किसी पर आश्रित नही रही। अपितु नारी शक्ति, स्वावलंबन और स्वाभिमान का परिचय देते हुए उसने आजीविका के लिए पैतृक मकान के निचले भाग में एसएम प्लेवे स्कूल चलाकर न सिर्फ संचित की परवरिश की बल्कि पढ़ाकर उसको भी किठौर मुख्य बाजार में अरोरा रेडीमेड गारर्मेंट्स की दुकान कराई।

जिंदगी का कठिन दौर गुजारने के बाद राजबाला अब सुख के पल बिता रही थी। बेटा दुकान और मां स्कूल से अर्जित आय से घर संवार रहे थे, राजबाला अब और जीना चाहती थी। मगर खुशियों न जाने किसकी नजर लगी कि चंद पलों में परिवार तहस-नहस हो गया। क्लेश और रंजिश न होते हुए भी 10 अप्रैल की शाम करीब 7:30 बजे अज्ञात हमलावर ने राजबाला के सिर और शरीर पर धारदार हथियार से ताबड़तोड़ वार कर उसको मरणासन्न स्थिति में कर दिया। संचित ने मामा धर्मपाल को साथ लेकर मेरठ से दिल्ली तक उपचार कराया, लेकिन अस्पताल में 15 दिन तक मौत से जूझने के बाद सोमवार रात राजबाला आखिर जिंदगी की जंग हार गई।

सुलगते सवाल

राजबाला 28 वर्ष से नईबस्ती स्थित थाने से सटे मकान में रहती थी। करीब डेढ़ बच्चों को शिक्षा देने वाली यह शिक्षिका एकदम शालीन थी। फिर उस पर इतनी निर्ममता से हमला क्यों और किसने किया। हमले का ढंग रूह कंपाने वाला था। घायल शिक्षिका को देख ऐसा लगता था कि हमलावर उससे बहुत घृणा करता था।

नायब ने पलटा आदेश पहले कटी विवादित फसल

शिवसदन कृषि फार्म में खड़ी गेहूं की फसल कटवाने में प्रशासन ने खेल कर दिया। भूस्वामी सेवादारों के सत्यापन और फसल चिन्हितीकरण के लिए मौके पर पहुंचे नायब तहसीलदार ने फैसला पलटते हुए पुलिस की मौजूदगी में दूसरे पक्ष को विवादित फसल कटवा दी। सेवादारों ने विरोध किया तो नायब तहसीलदार ने डीएम के आदेश पर फसल कटवाने का हवाला दिया। शाम के वक्त दोनों पक्षों में कहासुनी की बात भी सामने आई है।

भगवानपुर खादर के शिवसदन फार्म में खड़ी लगभग दो सौ एकड़ गेहूं की फसल पर स्वामित्व को लेकर समिति पदाधिकारियों और बाबा बिरसा सिंह के भाई विक्रमजीत सिंह उर्फ बिक्कर सहयोगियों में विवाद चल रहा है। समिति पदाधिकारी फार्म की भूमि व फसल पर अपने स्वामित्व का दावा कर रहे हैं जबकि बिक्कर सिंह उक्त फसल पर अपना हक जताते हुए उसे काट रहा है। समिति सचिव चर्चिल सिंह चड्ढा ने डीएम दीपक मीणा से इसकी शिकायत की तो डीएम ने एसडीएम मवाना को तुरंत फसल कटाई रुकवाने और भूस्वामी सेवादारों के सत्यापन का आदेश दिया।

एसडीएम ने सत्यापन के दौरान सिर्फ भूस्वामियों को फसल काटने की अनुमति दी। इसके लिए नायब तहसीलदार नितेश सिंह को मौके पर भूस्वामियों के सत्यापन और फसल चिन्हितीकरण के निर्देश दिए गए। बकौल चर्चिल सिंह एसडीएम के समक्ष भूस्वामी सेवादारों को 62 एकड़ और दूसरे पक्ष को 38 एकड़ फसल कटवाने पर सहमति बन गई। अवैध कब्जे और विवादित भूमियों पर खड़ी फसल कोर्ट के आदेश के बाद कटना तय हुई।

प्रशासन ने ऐसे किया खेल

भूस्वामी सेवादारों का आरोप है कि मंगलवार को राजस्व टीम के मौके पर पहुंचने से पूर्व दूसरे पक्ष ने विवादित फसल काटनी शुरू कर दी। सामिति सदस्यों ने प्रशासनिक अधिकारियों को सूचना दी। आरोप है कि मौके पर पहुंचे नायब तहसीलदार कुछ देर चिन्हितीकरण प्रक्रिया की खानापूर्ति की।

फिर एसडीएम से वार्ता और बाद में डीएम के आदेश का हवाला देते हुए पुलिस की मौजूदगी में दूसरे पक्ष को वो फसल कटवा दी जिस पर कोर्ट ने सेवादारों के पक्ष में स्टे कर रखा है। बिक्कर द्वारा दूसरे खाते की बीस एकड़ फसल काटने और दोनों पक्षों में कहासुनी के आरोप भी लगे हैं। हालांकि पुलिस ने दोनों पक्षों को डांटकर शांत कर दिया।

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