- आवंटी परिवार ने प्राधिकरण आफिस में किया जमकर हंगामा
- प्राधिकरण कर्मचारी और प्लाट आवंटी के परिजनों के बीच खूब हुई गाली-गलौज
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: मेरठ विकास प्राधिकरण (मेडा) में आवंटी को रजिस्ट्री करने के नाम पर भी भ्रष्टाचार हो रहा हैं। आवंटी का चूकता भुगतान होने के बाद भी रजिस्ट्री नहीं की जाती हैं। बुधवार को आवंटी परिवार ने प्राधिकरण आॅफिस पहुंचकर हंगामा खड़ा कर दिया। एक घंटे तक प्राधिकरण कर्मचारी व प्लाट आवंटी के परिजनों के बीच खूब गाली-गलौज हुई।
आखिर 17 जनवरी 2023 से जिस फाइल में एकाउंटर विभाग ने ये लिख दिया कि चूकता पैसा जमा हैं, फिर रजिस्ट्री क्यों नहीं की गई। इसकी फाइल को दबा दिया गया। इसमें कहीं न कहीं संबंधित क्लर्क और फाइल को गुम करने वाले जिम्मेदार हैं। जिम्मेदारों पर कौन कार्रवाई करेगा?
देखिये अभिषेक पांडे जब तक वीसी के पद पर तैनात रहे, तब तक इस तरह के भ्रष्टाचार पर अंकुश लग गया था, लेकिन फिर से प्राधिकरण के कर्मचारी भ्रष्टाचार में डूब गए हैं। फाइलों को जानबूझकर लटकाया जाता हैं, ताकि पीड़ित उन्हें सुविधा शुल्क देकर फाइल को कराने के लिए आयेंगे।
आवंटी और उसके परिजनों ने खूब बवाल किया, जिसके बाद प्राधिकरण के तमाम कर्मचारी एकत्र हो गए, लेकिन आवंटी और उनके परिजन भी नहीं घबराये तथा इस मामले की शिकायत डीएम दीपक मीणा से करने की बात कही। ये लोग ओएसडी से भी मिले और उनसे इसकी शिकायत की।
क्योंकि फाइल हस्ताक्षर होने के लिए ओएसडी के पास ही जाती हैं। जब फाइल की तलाश हुई तो ओएसडी के आॅफिस में ही लंबे समय से ये फाइल रुकी हुई थी। फिर आनने फानन में ओएसडी ने हस्ताक्षर कर रजिस्ट्री की स्वीकृति दे दी। महत्वपूर्ण बात ये है कि ओएसडी के आॅफिस में ही फाइल को क्यों रोका गया? इसके लिए क्या ओएसडी से डीएम पूछेंगे कि जो दो दिन में फाइल होनी चाहिए थी,
उसमें पांच माह कैसे लगा दिये? इसमें भ्रष्टाचार करने वालों पर क्या कार्रवाई की जाएगी। क्या यही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जीरो टोलरेंस हैं। इस तरह से तो सीएम की छवि को भी सरकारी आॅफिसों में खराब किया जा रहा हैं। उधर, एफओ अभिषेक जैन का कहना है कि 17 जनवरी को एकाउंट से फाइल फाइनल होने के बाद संबंधित क्लर्क के पास चली गई थी। क्लर्क के पास फाइल क्यों रोकी गई, इसके लिए उन्हें मालूम नहीं हैं।
प्राधिकरण से खरीदा था प्लाट
जिस रजिस्ट्री को लेकर प्राधिकरण में बवाल हुआ, वो रजिस्ट्री सैनिक विहार की थी। सैनिक विहार डी-353 नंबर से प्रदीप, अशोक पाल आदि ने ये प्लाट प्राधिकरण से खरीदा था। इसकी रजिस्ट्री के लिए प्राधिकरण के क्लर्क उदयवीर ने आवंटी को प्राधिकरण आॅफिस में बुलाया था, लेकिन यहां बुलाकर फिर कह दिया कि रजिस्ट्री के कागज अभी तैयार नहीं हैं। ये मामला जनवरी से लेकर चला आ रहा हैं। इस तरह से क्लर्क व अधिकारी आवंटी को परेशान कर रहे हैं। आवंटी विकलांग हैं, लेकिन उसे परेशान क्यों कर रहे हैं, इसके पीछे भ्रष्टाचार का मामला हैं। सुविधा शुल्क नहीं दी तो फाइल ही लटका कर रखी गई हैं।