- कलेक्ट्रेट में धरना, हाईकोर्ट बेंच स्थापना केंद्रीय संघर्ष समिति के आह्वान पर अधिवक्ताओं ने दिया धरना
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: हाईकोर्ट बेंच स्थापना केंद्रीय संघर्ष समिति के आह्वान पर अधिवक्ताओं ने कलेक्ट्रेट में धरना दिया। एक दिवसीय धरने में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना की मांग दोहराई गई। इस दौरान अधिवक्ताओं ने कहा कि लंबे समय से यह मांग उठाई जा रही है, बावजूद इसके सरकार इसपर कोई संज्ञान नहीं ले रही है। जबकि यह मांग किसान, मजदूर और गरीब लोगों के हित में है। इससे उन्हें आर्थिक रूप से काफी फायदा पहुंचेगा। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम नगर मजिस्ट्रेट अनिल कुमार को ज्ञापन सौंपा गया।
संघर्ष समिति के चेयरमैन रोहिताश्व अग्रवाल ने कहा कि उत्तर प्रदेश लगभग 25 करोड़ से अधिक जनसंख्या का सबसे बड़ा राज्य है। जिसका उच्च न्यायालय प्रदेश के पूर्वी सिरे पर इलाहाबाद में स्थित है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 22 जिलों का क्षेत्राधिकार इलाहाबाद उच्च न्यायालय में ही है। जिसमें पहुंचने के लिए 500 से 750 किलोमीटर तक की दूरी तय करनी पड़ती है। कुछ वादकारी लखनऊ होकर इलाहाबाद पहुंचते है। ऐसे में पश्चिमी यूपी की जनता को सस्ता एवं सुलभ न्याय प्राप्त नहीं हो रहा है।
इन परिस्थितियों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अंतर्गत इलाहाबाद उच्च न्यायालय की खंडपीठ की जल्द से जल्द स्थापना होना नितांत आवश्यक है। जिसकी मांग लगभग 50 सालों से उठाई जा रही है, लेकिन उसपर किसी का ध्यान नहीं है। उन्होंने कहा कि कुछ राज्य तो ऐसे है, जिनकी जनसंख्या लगभग पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बराबर है, उन राज्यों में मात्र उतनी जनसंख्या के लिए हाईकोर्ट खंडपीठ है। इसके ऐसे भी राज्य है, जिनकी संख्या पश्चिमी उत्तर प्रदेश से भी कम है, उनमें भी हाईकोर्ट उनकी बेंच स्थापित है। इस दौरान समिति के संयोजक अमित दीक्षित ने कहा कि अधिवक्ताओं को लगातार आंदोलन करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
राजनेताओं ने कई बार भरोसा दिलाया कि खंडपीठ की स्थापना की जाएगी, लेकिन आज तक इस ओर कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने कहा कि यह भी निंदनीय है कि इस मामले के लिए कभी भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने की कोशिश नहीं की गई। अगर उनसे मिला जाए, तो शायद इसका समाधान निकाला जा सकता है। इस दौरान नरेंद्र पाल सिंह, सत्यप्रकाश रस्तोगी, महेंद्र पाल शर्मा, अजय त्यागी, डा. ओपी शर्मा, सतीश चंद्र गुप्ता, अशोक शर्मा, उदयवीर सिंह राणा, धीरेंद्र दत्त शर्मा, मांगेराम, राजपाल सिंह, जसवीर सिंह, सुमित चौधरी, सुखपाल सिंह, ओमकार सिंह भाटी, कपिल राज शर्मा, गजाला अंसारी मौजूद रहे।
जिला बार एसोसिएशन के प्रस्ताव को यूपी बार काउंसिल ने किया खारिज
22 अक्तूबर को न्यायिक कार्य से विरत रहने के जिला बार के प्रस्ताव पर यूपी बार काउंसिल के चेयरमैन शिव किशोर गौड़ ने नजरे तरेरी हैं। उन्होंने इसके असंवैधानिक करार देते हुए खरिज कर दिया है। यूपी बार काउंसिल के चेयरमैन ने कहा है कि 22 अक्टूबर के कार्य बहिष्कार का क्रियान्वयन नहीं किया जाएगा। बीते शुक्रवार को मेरठ में जिला बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित प्रदेश की सभी बार के पदाधिकारियों और अधिवक्ता महाधिवेशन तथा उसमें लिए गए 22 अक्टूबर को पूरे प्रदेश में न्यायिक कार्य से विरत रहने के प्रस्ताव को उत्तर प्रदेश बार काउंसिल चेयरमैन ने असंवैधानिक करार दे दिया है।
साथ ही कहा है कि इसका समर्थन करने वाले बार पदाधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। बार काउंसिल ने ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया है। उन्होंने आदेश दिया है कि भविष्य में होने वाले ऐसे किसी कार्यक्रम में बार पदाधिकारी शामिल नहीं होंगे। जिला बार एसोसिएशन मेरठ ने बीते शुक्रवार को प्रदेश के सभी बार के पदाधिकारियों का महाधिवेशन आयोजित करके 23 प्रस्ताव पास किए थे। जिसमें 22 अक्टूबर को प्रदेश की सभी बार द्वारा न्यायिक कार्यों से विरत रहने, मानव शृंखला बनाने तथा अधिवक्ता समस्याओं को पुरजोर तरीके से उठाने के लिए संयुक्त बार एसोसिएशन आफ उत्तर प्रदेश का गठन करने की घोषणा की थी।
इस कार्यक्रम और उसमें लिए गए निर्णयों पर शनिवार को उत्तर प्रदेश बार काउंसिल चेयरमैन शिव किशोर गौड़ ने आपत्ति जताते हुए सभी बार अध्यक्ष और मंत्री को पत्र जारी किया है। पत्र में उन्होंने लिखा है कि 22 अक्टूबर के कार्य बहिष्कार के प्रस्ताव का क्रियान्वयन नहीं किया जाएगा। इसका समर्थन करने वाले अधिवक्ता और बार संघों के पदाधिकारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई भी अमल में लाई जाएगी।