- साकेत स्थित स्पोर्ट्स क्लब के मैदान में आयोजित क्षत्रिय चेतना चिंतन बैठक में क्षत्रियों के निशाने पर रहा लोकसभा चुनाव
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: क्षत्रिय चिंतन बैठक के मुख्य अतिथि भाजपा के पूर्व विधायक संगीत सोम ने महाराजा महिरि भोज के मुद्दे पर कहा कि कुछ विवाद पैदा करके समाज को बांटने का कार्य करते हैं, जो गलत है। इतिहासकारों की एक कमेटी व आयोग का गठन होना चाहिए, ताकि सच सामने आ सके। राजपूतों का इतिहास गौरान्वित करने वाला। संगीत सोम ने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) आतंकवाद का अड्डा बन गया हैं, उस पर ताला लगा देना चाहिए।
साकेत स्थित स्पोर्ट्स क्लब के मैदान में रविवार को आयोजित क्षत्रिय चेतना चिंतन बैठक पांच घंटे चली। बतौर मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व विधायक संगीत सोम ने हमास के समर्थन में उतरे समर्थकों पर जमकर हमला बोला। इस दौरान संगीत सोम ने कहा कि एएमयू के छात्रों द्वारा जिस तरह से प्रदर्शन कर हमास का समर्थन किया गया। उससे साफ है कि ऐसे शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई की जगह आतंकवाद की शिक्षा दी जाती है।
ऐसे शिक्षण संस्थान पर तत्काल ताला डाल देना चाहिए। वहीं, दूसरी ओर संगीत सोम ने मंगलवार एवं शुक्रवार को लगने वाली साप्तहिक पैंठ या बाजार में जो 50 से 100 रुपये तक की पर्ची काटी जाती है। उस पैसे को आतंकवादी गतिविधियों में उपयोग करने का भी आरोप लगाया। इस दौरान उन्होंने एजेंसियों से भी मांग की वो जो मंगलवार एंव शुक्रवार की पैंठ में जो दुकानदारों से रसीद काटी जा रही है, वो पैसा कहां जा रहा है? इसकी जांच करें।
इस दौरान उन्होंने ठैला व रेहड़ी पटरी वाले कुछ खास समुदाय के लोगों से सामान आदि भी नहीं खरीदने की बात कही। विशेष समुदाय के दुकानदारों का बहिष्कार करने का भी आह्वान किया। क्योंकि ये पैसा आतंकी गतिविधियों पर लगता है। संगीत सोम ने कहा कि जिस तरह से हमास के आतंकियों ने इजराइल पर हमला करके बर्बरता कर महिलाओं का नरसंहार किया। उस घटना ने जोहर प्रथा की याद दिला दी।
मुगलों का इस तरह का पुराना इतिहास रहा है। वह किस तरह से आतंक फैलाते हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि कुछ लोग पश्चिम उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने मांग कर रहे थे। उन्हें बता दिया गया कि दिल्ली एनसीआर से पश्चिमी यूपी के कुछ जनपदों को जोड़ा जा सकता है। वहीं उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि जिस तरह से हमास एवं इजराइल का मामला चल रहा है। यदि इस समय देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जगह पर मनमोहन सिंह होते तो आज देश में अमन शांति की जगह बम फूटते दिखाई देते।
संगीत सोम ने कहा कि जब कश्मीर से पंडितों को भगाया गया, तब हमास का समर्थन करने वालों के मुंह में क्या दही जम गई थी? इस दौरान संगीत सोम ने खुद को भारतीय जनता पार्टी का सच्चा सिपाही होना बताया। क्षत्रिय बैठक की अध्यक्षता ओमकार सिंह मटौर ने की व मंच संचालन कुशल कुशवाह एवं मोंटी सोम ग्राम प्रधान पति अटेरना ने संयुक्त रूप से मिलकर किया। इस दौरान बुद्ध सिंह महाशय समेत तीन अन्य समाज के प्रबुद्ध लोग ही मंच पर मौजूद रहे। खुद संगीत सोम भी चिंतन बैठक के दौरान जनता के बीच में ही बैठे।
भाषण के दौरान ही संगीत सोम मंच पर पहुंचे, पूरा समय जनता के बीच में ही बैठे रहे। डा. अजय सोम अध्यक्ष राजपूत उत्थान सभा कार्यक्रम की अध्यक्षकता ओमकार चौहान मटौर ने की। रामवीर प्रधान, जगपाल प्रधान, मनोज चौहान ब्लाक प्रमुख सरूरपुर बबलू प्रधान, दुल्हेडा कान्हा राणा सहारनपुर बंटी प्रधान सलावा, दिनेश प्रधान भामौरी, मोटी प्रधान अटेरना शेर सिंह राणा प्रमुख, थाना भवन. नितिन तोमर कस्तला, निशान्त प्रमुख धौलाना बुध सिंह बपारसी, अभिनेश नवादा, शेखर सोम, रोविन राणा खुर्जा अनिल मास्टर दादरी आदि मौजूद रहे।
गद्दार कौन, जिस पर साधे निशाने ?
चिंतन बैठक में कुछ लोगों को गद्दार बताया गया, जिस पर संगीत सोम ने कहा कि कुछ लोग गद्दार हैं। गद्दारों को जनता जवाब देगी। ये कौन गद्दार है? इसका मंच से नाम तो नहीं लिया, लेकिन निशाने खूब साधे गए। 2024 के लोकसभा चुनाव में जनता गद्दार को जवाब देगी। पत्रकारों ने संगीत सोम से पूछा कि कुछ वक्ताओं ने चिंतन बैठक में 2019 के चुनाव के गद्दारों को 2024 के चुनाव में सबक सिखाने की बात कही है। उस पर उन्होंने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है, लेकिन यदि किसी ने पार्टी के साथ गद्दारी की है तो समाज के लोग उसे गद्दारी का बदला लेने की बात कर रहे हैं।
इसमें कोई गलत भी क्या है? संगीत सोम ने कहा कि राजपूत समाज को आतंकवाद से मुकाबले के लिए आना पडेÞगा। पत्रकारों के सवाल पर उन्होंने कहा कि राजपूत समाज कभी पीछे नहीं हटा। यदि जरूरत पड़ी तो आतंकवाद के मुद्दे पर राष्टÑहित में कोई भी कठोर कदम उठाने से राजपूत समाज पीछे नहीं हटेगा। इस दौरान संगीत सोम ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इजराइल के साथ हैं। उन्होंने मौलाना तौकीर रजा के बयान पर कहा कि ऐसे लोगों की जगह जेल में हैं।
राजपूत उत्थान सभा में खूब गरजे-बरसे संगीत सोम
क्रांतिधरा पर राजपूत उत्थान सभा ने जो क्षत्रिय चिंतन बैठक का पूरा फोकस लोकसभा चुनाव 2024 पर रहा। इसमें मेरठ-सहारनपुर मंडल से राजपूत समाज के युवा एवं बुजुर्ग बड़ी तादाद में शामिल हुए। इस दौरान पूर्व के गौरवशाली इतिहास एवं मुगलशासन काल में राजपूत समाज के बलिदान को याद किया।
वर्तमान में उपेक्षा को लेकर भी राजपूत सभा में बिना किसी नेता का नाम लिये निशाने साधे। सरकार में भागीदारी को लेकर खूब दर्द भी झलका। सिनेमा जगत को भी समाज में कटुता के लिए जिम्मेदार ठहराया। युवाओं से आह्वान किया कि वो फिर से खोई ख्याति को प्राप्त कर आगे बढ़े। तलवार उठाने की बजाय हाथ में कलम उठाये और पढ़ाई पर फोकस करने का भी आह्वान किया।
चिंतन बैठक में वक्ताओं ने कहा कि आज तलवारों की लड़ाई का युद्ध नहीं रहा, शिक्षा का जमाना है। बिना पढ़ाई के आज कुछ नहीं है। पढ़-लिखकर कहीं आईएएस बने या फिर किसी बड़े पद पर अधिकारी। सोशल मीडिया से दूरी बनाकर रखे। सोशल मीडिया पर क्या पोस्ट हो जाए और वह किसी बड़ी मुसीबत में न डाल दे? इस दौरान कहा कि आयु-अनुभव-अध्ययन इन तीनों से कुछ न कुछ सीखने को मिलता है।
9 जनपदों में 44 विधान सभा और इन विधानसभाओं में 4566 गांव हैं, जिसमें से एक हजार से अधिक गांव राजपूत बाहुल्य गांव हैं। इनमें वोट 22 प्रतिशत से अधिक हैं, जबकि पार्टी राजपूत समाज की इतनी संख्या में वोट होने के बाद भी टिकट देने में संकोच करती है। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि राजपूत समाज ने न तो आंदोलन करके रेल की पटरी उखड़ी। वाहनों में तोड़फोड़ कर राष्टÑ की संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाया। राजपूत समाज किसी से पीछे नहीं है। वह संस्कारी एवं अनुशासन में रहता है। नहीं तो वह भी चाहे तो बडेÞ से बड़ा बवाल कर सकता है।
सरकार पर युवाओं ने निशाना साधा और पूरा फोकस 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए राजपूत समाज की भागीदारी मांगी। युवा वक्ताओं ने कहा कि सरकार भी आंदोलन करने वालों को ही आरक्षण एवं सम्मान देती है, जबकि राजपूत समाज ने जितना बलिदान देश के लिए दिया शायद ही किसी ने दिया होगा। देश में 400 से अधिक रियासतें थी, जिसमें सबसे ज्यादा राजपूत समाज के पास थी। 40 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि भी सरकार को दी।
क्षत्रिय चेतना चिंतन बैठक में पांच प्रमुख मुद्दों पर हुई चर्चा
राजपूत उत्थान सभा की मेरठ-सहारनपुर मंडल स्तरीय क्षत्रिय चेतना चिंतन बैठक में पांच प्रमुख मुद्दों पर चर्चा हुई। जिसमें क्षत्रिय समाज को उसकी जनसंख्या के अनुपात में अत्यंत कम संख्या में प्रतिनिधित्व मिला। क्षत्रिय हितों के संरक्षण के लिए स्वर्ण आयोग का गठन किया जाए। क्षत्रिय महापुरुषों के इतिहास का विकृतिकरण बंद होना चाहिए। पाठ्यक्रम में समुचित स्थान मिले। आने वाले लोकसभा चुनाव में क्षत्रिय समाज के उमीदवारों के पक्ष में क्षत्रिय समाज एकजुट होकर मतदान करेगा।
विभिन्न राजनेता द्वारा राष्टÑभक्त क्षत्रिय समाज पर ओछी टिप्पणी नहीं करने की चेतावनी दी। इस दौरान कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पूर्व विधायक संगीत सिंह सोम के साथ ही, राजपूत उत्थान सभा के राष्टÑीय अध्यक्ष डा. अजय सिंह एवं राष्टÑीय महासचिव कुंवर प्रताप सिंह मौजूद रहे। किसान नेता दीपक सोम, अरवेश राघव समेत तमाम समाज के लोग बैठक में शामिल हुए।
ढोल नगाड़ों के साथ पहुंचे राजपूत समाज के लोग
चिंतन बैठक में राजपूत समाज के लोग बसों एवं अन्य वाहनों के द्वारा साकेत स्थित बैठक स्थल पर पहुंचे। इस दौरान जुलूस के रूप में ढोल नगाड़ों की थापक के बीच मंच स्थल तक पहुंचे। इस दौरान मुख्य गेट पर ही राजपूत समाज के लोगों को पकडी पहनाकर बैठक में शामिल होने पर उनका सम्मान किया गया। इस दौरान युवाओं में अच्छा खासा जोश दिखाई दिया।