Tuesday, March 28, 2023
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HomeUttar Pradesh NewsMuzaffarnagarसेवाभावी व्यक्तित्व ही धन्य और सार्थक: अचल शास्त्री

सेवाभावी व्यक्तित्व ही धन्य और सार्थक: अचल शास्त्री

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जनवाणी संवाददाता |

मोरना: भागवत पीठ श्री शुकदेव आश्रम में पीठाधीस्वर स्वामी ओमानंद महाराज के सान्निध्य में चल रही भागवत कथा के तृतीय दिवस में कथाओं का मार्मिक वर्णन किया गया। राष्ट्रीय कथाव्यास अचल कृष्ण शास्त्री ने कहा कि सत्कर्म के पांच स्वरूप हैं, द्रव्ययज्ञ, तपयज्ञ, योगयज्ञ, स्वाध्याय यज्ञ तथा ज्ञानयज्ञ। इसमें ज्ञानयज्ञ सर्वश्रेष्ठ है। भागवत एक पारमार्थिक तथा ज्ञानयज्ञ है। मनुष्य कल्याण के तीन साधन है।

ज्ञानवान होना, भगवान में श्रद्धा रखना तथा प्रत्येक परिस्थिति में परमात्मा पर विश्वास रखना। भागवत एक दिव्य ग्रंथ है, जिसकी मार्मिक कथाएँ समाज का पथ प्रदर्शन कर मनुष्य में परिवर्तन लाती हैं। भगवान कृष्ण का वांग्मय स्वरूप ही भागवत है। भागवत के उपदेश आत्म उन्नति तथा कल्याण के साधन हैं। सेवा भावी जीवन होना भागवत का मुख्य संदेश है। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में अपने माता-पिता गुरुजनों की सेवा, अपने धर्म और संस्कृति की सेवा, मंदिर एवं तीर्थों की सेवा, समाज तथा राष्ट्र की सेवा का अमूल्य धन होना चाहियॆ।

वास्तव में जब साधक के जीवन में यह सेवा पूंजी होती है तभी व्यक्ति का जीवन धन्य और सार्थक है। कथा आयोजक फूलबाग कालोनी, मेरठ से पधारे अशोक कुमार तथा परिवार के सभी सदस्य भागवत कथा में सेवा कर आत्मलाभ प्राप्त कर रहे हैं।

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