- दोपहर दो बजे तक इंतजार करते रहे फरियादी
- ठेकेदार की मौत के बाद निगम में अफरातफरी का माहौल
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: नगर निगम के ठेकेदार दीपेश अग्रवाल के सुसाइड के बाद से नगर निगम में अफरातफरी का माहौल बना हुआ हैं, जिसमें ज्यादातर अधिकारी अपने कार्यालय में सीट से नदारद मिलते हैं, जिसके चलते पेमेंट के लिये फाइल पास कराने वाले ठेकेदार हो या फिर अन्य समस्या को लेकर आने वाले फरियादी वह अधिकारियों के इस रवैये से खासे परेशान हैं।
वैसे देखा जाये तो अधिकारियों को कार्यालय के साथ फिल्ड में जाकर धरातल पर निर्माण व अन्य समस्याओं की जांच के लिये स्थलील निरीक्षण के मौके पर जाना भी पडता हैं और यह भी उनकी डयूटी की कड़ी का एक हिस्सा हौता हैं, लेकिन ठेकेदार दीपेश अग्रवाल की सुसाइड की सुसाइड से पहले अक्षर अधिकारी अपने कार्यालय में दिन में कभी सुबह तो कभी दोपहर के बाद कार्यालय में जरूर मिलते थे, लेकिन ठेकेदार की सुसाइड के बाद से बदले निगम के हालात को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं निगम के अधिकारियों की कार्यशाली को लेकर चल रही हैं। जिसमें कई दिनों चर्चा चल रही है कि अधिकारी वास्तव में स्थलीय जांच के लिये फिल्ड में जा रहे हैं
या फिर वह ठेकेदारों की निगम के बढ़ती आमद एवं मीडिया के सवालों से बचने के लिये स्थलीय जांच पर जाने की बात अपनी अधीनस्त कर्मचारियों को कहते हुये कार्यालय से नदारद रहते हैं। कई दिनों से लोगों के बीच चर्चा का विषय बने इन सवालों पर ‘जनवाणी’ ने शुक्रवार को सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक अधिकारियों के कार्यालय का लाइव किया। जिसमें निगम के आयुक्त, अपर आयुक्त समेत विभिन्न विभागों के अधिकारी सीट से नदारद मिले, कुछ आॅफिस पर आये तो कुछ आये ही नहीं।
जनवाणी लाइव में अधिकारियों के कार्यालयों का सुरत-ए-हाल
निगम के एई टीएन वर्मा के कार्यालय में वह सीट पर नहीं मिले। उनके कार्यालय में कई ठेकेदार मिले। जिन्होंने बताया कि वह साहब के इंतजार में सुबह से बैठे हैं। उन्हे बताया गया है कि वह स्थलीय जांच में गये हुए हैं। वह निर्माण की फाइलों के पेमेंट के संबध में आये हैं, लेकिन एई टीएन वर्मा से संपर्क नहीं हो सका हैं। मुख्य अभियंता कार्यालय यशवंत कुमार भी कार्यालय में नहीं मिले।
बताया गया कि साहब भी फिल्ड में स्थलीय जांच के लिये टीम के साथ गये हुए हैं। अपर आयुक्त प्रमोद कुमार कार्यालय में नहीं मिले। उनके कार्यालय के लिपिक ने बताया कि साहब भी फिल्ड में हैं। वह भी किसी जांच के लिये गये हैंं। उनके कार्यालय में अकांशु गोयल ठेकेदार मिले। उन्होंने बताया कि उनके पिता योगेंद्र गुप्ता भी निगम में ठेकेदारी करते थे,उनका पेमेंट नहीं होने पर डिप्रेशन के चलते उनका आकस्मिक निधन हो गया।
अब वह फाइल पास कराने को आयुक्त, अपर आयुक्त समेत तमाम अधिकारियों के चक्कर काट रहा है, लेकिन कोई सुनवाई अभी तक नहीं हो रही। उनके पिता के समय की करीब तीन फाइलें जोकि 10 लाख रुपये से अधिक के पेमेंट की रुकी हैं। बिना वजह आपत्ति लगा दी जाती है और जांच के बाद पेमेंट का भरोसा दिया जाता है, लेकिन पेमेंट नहीं किया जा रहा हैं। वह अपने पिता की मौत के बाद से ही फाइल पास कराने को निगम के अधिकारियों के चक्कर लगा रहा है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही हैं।
कर निर्धारण अधिकारी राजेश कुमार भी अपने कार्यालय में नहीं मिले। उनके कार्यालय में कपिल नाम के लिपिक मिले। उन्होंने बताया कि राजस्व वसूली के दौरान सीलिंग की कार्रवाई के लिये वह टीम के साथ गये हुए हैं। वहीं अपर नगर आयुक्त ममता मालवीय भी अपने कार्यालय में नहीं मिली।
उनके कार्यालय के बाहर बैठे कर्मचारी ने बताया कि वह किसी मीटिंग में शामिल होने गई हैं। वहीं जनवाणी लाइव के दौरान देखने को मिला कि निगम में दोपहर के समय तक कोई भी सक्ष्म अधिकारी नहीं पहुंच सका, यदि बडे अधिकारी इस तरह से अपनी सीट से नदारद रहेंगे तो उनके अधीनस्थ कर्मचारी अपनी डयूटी के प्रति कितने सजग होंगे।
बडेÞ सक्ष्म अधिकारियों का नगर निगम के कार्यालयों से एक साथ नदारद होना क्या दर्शाता है कि क्या वह ठेकेदार दीपेश अग्रवाल की मौत के बाद अन्य ठेकेदारों के पेमेंट की फाइल पास करने को लेकर वास्तव में गंभीर है कि स्थलीय जांच के लिये उन्होंने दौड़ लगा दी है या फिर वह दीपेश अग्रवाल की मौत के बाद से अन्य ठेकेदारों के पेमेंट की फाइल पर संतोष जनक जवाब देने से बचने का यह नायाब तरीका ढूंढ निकाला हैं।
वहीं ठेकेदार ही नहीं मीडिया के सवालों से बचने का भी यही एक तरीका अधिकारियों को सूझता दिखाई पड़ रहा है कि न तो वह कार्यालय में बैठेंगे और न ही जवाब देना पडेगा,फोन पर तो किसी सवाल की पूरी जानकारी नहीं होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया जाता हैं।
एक सवाल ये भी
एक मीडिया कर्मी ने निगम के प्रधान लिपिक प्रदीप जोशी से पूछ लिया कि निगम में कितने पंजीकृत ठेकेदार हैं और निगम पर गत वर्ष के निर्माण कार्यों का उनका कितना बकाया पेमेंट होगा यदि वह सभी ठेकेदारों के पेमेंट के बारे में जानकारी नहीं दे सकते तो कम से कम पांच बड़े ठेकेदारों के पेंडिंग पेमेंट के बारे में ही जानकारी दे दें तो वह संतोष जनक जवाब नहीं दे सके। उन्होंने बताया कि पेमेंट संबंधी फाइलें अमित शर्मा देख रहे हैं। जिसके बाद उनके मोबाइल पर संपर्क किया गया तो उन्होंने भी संतोष जनक जवाब नहीं दिया।
हालांकि उनसे इस मामले में ठेकेदार दीपेश की मौत के तत्काल बाद ही जानकारी मांगी गई थी तो तब उन्होंने पत्नी की तबीयत खराब होने की बात कहते फोन काट दिया। उसके बाद से उन्होंने इस संबंध में जानकारी को कॉल ही रिसीव की। जिसके बाद उनके व लिपिक प्रदीप जोशी के मोबाइल पर मैसेज भेजकर जानकारी की तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया था।
वहीं शुक्रवार को भी अधिकारियों ने कोई जवाब पंजीकृत ठेकेदार एवं ठेकेदारों के बकाया पेमेंट के संबंध में दिया। जनवाणी लाइव से साफ चलता है कि ठेकेदारों की निर्माण संबंधी फाइल पास करने के लिये स्थलीय जांच के लिये दौड़ कम, ठेकेदारों व जनता के आक्रोश एवं मीडिया के सवालों से बचने को ही अधिकर अधिकारी कार्यालयों से नदारद दिखाई दे रहे हैं।