Wednesday, April 30, 2025
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कहीं बारिश को तरसे, कहीं ला दी बाढ़

  • मानसूनी बारिश को तरसे वेस्ट यूपी के लोग, मेरठ में 65 प्रतिशत कम हुई बारिश

जनवाणी संवाददाता |

मोदीपुरम: मानसून की बेरुखी से पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक-एक जिला अच्छी बारिश के लिए तरस रहा है। हाल यह है कि इस बार मानसून में अब तक पूरे राज्य में कम ही पानी बरसा है। कई जहां सामान्य से कुछ अधिक वर्षा हुई है। मौसम विभाग मानसून में जुलाई और अगस्त को सर्वाधिक वर्षा वाला मानता है। कई राज्य में अच्छी बारिश हो जाती थी, लेकिन इस बार हाल बुरा है। मानसून ने उत्तर प्रदेश से आंखें फेर ली हैं। मौसम को लेकर लगाए जा रहे पूवार्नुमानों को धता बताते हुए गुरुवार शाम से छाए बादलों ने बारिश की सौगात देने के बजाय उमस बढ़ा दी।

मानसून प्रदेश में अलग-अलग तरह से पेश आ रहा है। कहीं लोग बारिश को तरस रहे हैं तो कहीं बारिश ने ऐसी नौबत ला दी है कि लोगों को अपने घर छोड़ना पड़ रहे हैं। कई अन्य क्षेत्रों में तो मानसून पूरी तरह से मेहरबान है। वहीं, पश्चिमी इलाकों में अब भी लोग बारिश की एक बूंद के लिए भी तरस रहे हैं। हम यूपी की बात करें तो यहां भी मानसून साबित हो रहा है। कई अन्य शहर में दो दिन से इतनी बारिश हो रही है कि लोगों के घर जलमग्न हो गए हैं और बस्तियां टापू बन गई हैं।

मानसून की दस्तक से पहले अनुमान लगाया जा रहा था कि इस बार मानसून की बारिश झमाझम होगी, लेकिन दूसरे राज्यों को छोड़ दे तो इस बार भी वेस्ट यूपी में अधिक बारिश नहीं हुई। सामान्य से भी 65 प्रतिशत बारिश वेस्ट यूपी में कम गई। बारिश कम होने से धान बोने वाले किसानों को भी निराशा हाथ लगी। मानसून ने जब दस्तक दी तो केरल समेत महाराष्ट्र व अन्य राज्यों में झमाझम बारिश हुई और बाढ़ के हालत उत्पन हो गए।

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धीरे-धीरे मानसून वेस्ट यूपी तक पहुंचा तो रफ्तार धीमी पड़ गई और आलम यह रहा है कि इस बार भी मानसून ने वेस्ट यूपी को धोखा दिया। वेस्ट यूपी में 65 प्रतिशत बारिश कम दर्ज की गई। जबकि, मेरठ में सामान्य तौर पर 492 मिमी बारिश होनी थी, लेकिन इस बार 234 मिमी बारिश हो सकी। जो, सामान्य से 65 प्रतिशत कम दर्ज की गई। धान बोने वाले किसान मानसून पर आस लगाए बैठे थे। परंतु, इस बार भी वेस्ट यूपी में बदरा के धोखा देने से धान बोने वाले किसानों को नुकसान उठाना पड़ा।

वहीं, इस संबंध में मौसम वैज्ञानिक डा. समीम अहमद का कहना है कि वेस्ट यूपी में बारिश कम होने के पीछे सबसे बड़ा कारण ग्लोबल वार्मिंग के साथ पेड़ों का कटान भी है। वेस्ट में सबसे अधिक हाइवे व एक्सप्रेस-वे बनाए जा रहे हैं। बारिश कम रही तो वेस्ट यूपी को एक दिन सूखा घोषित करना पड़ेगा। पेड़ों को अधिक से अधिक संख्या में लगाना जरूरी है।

आसपास में भी कम हुई मानसूनी बारिश

गाजियाबाद व नोएडा में 70 प्रतिशत से ऊपर बारिश कम दर्ज की गई। वेस्ट यूपी में सबसे कम बारिश गाजियाबाद में की गई। इस वजह से हवा भी चलती रही, लेकिन मानसूनी बादल उमड़ते-घुमड़ते रहे। इसे देखते हुए मौसम के जानकारों ने हल्की बारिश होने के कयास लगाए, लेकिन यह अनुमान केवल कुछ ग्रामीण इलाकों में ही फलीभूत हुआ। शहर और उसके आसपास के इलाकों के उमस भरी गर्मी से बेचैन लोग बूंदाबांदी को तरसते रहे।

सुबह उमस के बाद बादलों ने डाला डेरा

शहर की बात करें तो आज सुबह से उमस ने लोगों को काफी परेशान किया। अभी कुछ देर पहले ही बादलों ने आसमान पर अपना डेरा डालना शुरू किया है और अब लोगों को ये आसान लग रहे हैं कि शायद आज बारिश होगी। बता दें कि बादल तो कई बार आते हैं, मगर बिन बरसात के लौट जाते हैं।

तापमान 37 डिग्री पार, गर्मी हाल बेहाल

गुरुवार को मौसम बेहद गर्म रहा। दिन का तापमान 37 डिग्री के पार चला गया। रात का तापमान भी 25 डिग्री पर चल रहा। जिससे गर्मी का असर बढ़ गया है। ऐसे में अब लोगों को परेशानी हो रही हैं।

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सितम्बर के महीने के पहले दिन ही गर्मी ने अपना असर दिखाया है। दिन का तापमान 37.1 डिग्री एवं रात का न्यूनतम तापमान 25.0 डिग्री दर्ज किया गया। अधिकतम आर्द्रता 75 एवं न्यूनतम आर्द्रता 54 दर्ज की गई।

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