Thursday, April 18, 2024
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आखिर शहर में कहां से हो रही मांस की आपूर्ति

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  • कमेले से निगम की आय को दर्शाया जा रहा सिफर
  • निगम प्रशासन का दावा महानगर में न लाइसेंस दिए न किया गया नवीनीकरण

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: कमेला शहर से हट गया, मगर उसका झमेला नगर निगम का पीछा नहीं छोड़ रहा है। आए दिन कमेला बंदी और मांस की आपूर्ति को लेकर सवाल उठता है, मगर संतोषजनक जवाब नहीं मिलता। निगम का दावा तो है पशु वधशाला बंद हैं, पर शहर में मांस की आपूर्ति चालू है। इसके पीछे कौन है और कहां से आपूर्ति हो रही है? इस सवाल का जवाब विभाग से लेकर सरकार के पास तक नहीं है।

 

कागजों में कटान बंद है यह दिखाने के लिए नगर निगम ने बकायदा अपने बजट में पशु वधशाला से कोई आय नहीं होना तो दर्शा दिया, मगर यह बताने में कंजूसी बरत ली है कि कमेला बंद होने के बावजूद भी आखिर शहर में मांस की आपूर्ति का श्रोत क्या है?

बुधवार को हुई नगर निगम कार्यकारिणी की बैठक में कुछ सदस्यों द्वारा यह मामला जोर-शोर से उठाया गया। सदस्यों का सवाल था कि जब पशु वधशाला बंद हैं और उनसे निगम कोई शुल्क नहीं वसूल रहा है, तो फिर शहर में मांस की आपूर्ति कहां से हो रही है? अगर बंद नहीं हैं तो फिर आय शून्य होना क्यों दर्शाया गया है? सवाल के जवाब में नगरायुक्त मनीष बंसल ने इतना कहकर पल्ला झाड़ लिया कि पशु वधशाला चलाने का दायित्व नगर निगम का नहीं है।

जवाब से सहमति न जताते हुए सदस्यों ने नाराजगी का इजहार किया, मगर निगम प्रशासन इस पर सफाई देने से बचता रहा। इस पर सदस्यों ने आरोप लगाया है कि महानगर में मीट की दुकानें खुली हैं, मगर निगम प्रशासन की अवैध पर लगाम नहीं है और वैध पर काम नहीं है।

अवैध कटान से मिल रहा मीट तो स्वच्छता पर सवाल

नगर निगम कार्यकारिणी सदस्य गफ्फार सैफी का आरोप है कि जब पशु वधशाला बंद हैं तो शहर में सप्लाई हो रहा मीट अवैध कटान से आ रहा है। ऐसे में उसकी स्वच्छता पर सवाल है क्योंकि पशुओं की डॉक्टरी की कोई व्यवस्था नहीं है। इस बात पर भी संशय है कि मीट जिंदा जानवर का है या फिर मृत जानवर का है।

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फूड सेफ्टी एक्ट आने के बाद से मीट बिक्री की दुकानों के लाइसेंस और नवीनीकरण बंद है। तभी से नगर निगम न कोई लाइसेंस जारी कर रहा है और किसी पुराने लाइसेंस का नवीनीकरण किया जा रहा है। पशु वधशाला बंद हैं, इसलिए इस मद में निगम को आय प्राप्त नहीं हो रही है।

ब्रजपाल सिंह, सहायक नगरायुक्त

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