- पढ़ाने के साथ-साथ दूसरी लंबी ड्यूटी से भी हलकान
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: फिलहाल बीएलओ बनकर वोट बनाने की ड्यूटी के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग की कार्यक्रमों की व्यस्तता समेत, स्कूल, पढ़ाई और बच्चों से जुड़ी दूसरी ड्यूटी के चलते अब सरकारी टीचर पूछ रहे हैं कि उन्हें टीचर ही रहने दिया जाएगा या फिर मशीन बनाने का इरादा है। इस बीच सबसे ज्यादा पशोपेश में चुनाव और परीक्षा ड्यूटी को लेकर हैं। उनका कहना है कि यह समझ नहीं आ रहा है कि पहले चुनाव की ड्यूटी करेंगे या फिर परीक्षा कराएंगे।
नाम न छापे जाने की शर्त पर शिक्षा विभाग के एक बड़े कर्मचारी नेता ने जनवाणी को बताया कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के मददेनजर परीक्षाओं का ब्योरा तलब कर लिया गया है। उन्होंने जानकारी दी कि उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की हाईस्कूल, इंटर के अलावा अन्य परीक्षाओं को ध्यान में रखकर ही करवाए जाएंगे। प्रदेश सरकार से अगले साल जनवरी से लेकर मई के दरम्यान होने वाली परीक्षाओं का पूरा ब्योरा मांगा है। आमतौर पर प्रदेश में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षाएं फरवरी-मार्च में हो जाती हैं।
मई में मुसीबत कम नहीं
ध्यान रहे कि वर्ष 2019 में हुए पिछले लोकसभा चुनाव अप्रैल और मई के महीनों में करवाये गये थे। हालांकि इन महीनों में ग्रामीण इलाकों में गेहूं व अन्य फसलों की कटाई का समय होता है, किसान व्यस्त रहते हैं। मगर उम्मीद यही है कि इस बार के लोकसभा चुनाव भी अप्रैल और मई के महीनों में ही करवाए जाएंगे। यदि मई में चुनाव कराए गए तो टीचरों का कहना है कि वो ज्यादा मुसीबत भरा साबित होगा। एक तो गर्मियों की छुट्टी हाथ से जाती रहेंगे। ऊपर से आसमान से आग बरसाती गर्मी। ऐसे में चुनावी ड्यूटी किसी मुसीबत से कम नहीं होगी।
1500 मिलेंगे सिम के लिए
सरकारी स्कूलों के टीचरों की आनलाइन हाजिरी के महानिदेशक के फरमान को लेकर उठा बवंडर थमता नजर नहीं आ रहा है। हालांकि मेरठ समेत वेस्ट यूपी के किसी जनपद में अभी आनलाइन हाजरी की जानकारी नहीं। बीएसए आशा चौधरी ने भी बताया कि अभी टेबलेट ही नहीं तो इसलिए यहां हाजिरी अभी आनलाइन नहीं है, लेकिन टीचर आनलाइन हाजिरी के मूड में नहीं। हाजिरी केवल टीचरों की ही नहीं बल्कि बच्चों की भी आनलाइन लगाई जानी है। हालांकि जहां आनलाइन हाजिरी शुरू की वहां इसके साइड इफैक्ट पर काम चल रहा है।
गाइड लाइन जारी
टैबलेट्स के संचालन के संबंध में गाइड लाइन जारी की है। परिषदीय स्कूलों के प्रधानाचार्य या वरिष्ठ सहायक अध्यापक को विभागीय कार्यों के लिए टैबलेट्स उपलब्ध कराए जा रहे हैं। टैबलेट्स के लिए इंटरनेट और सिमकार्ड खर्च के रूप में प्रति टैबलेट 1500 और दो टैबलेट पर 3 हजार रुपये खर्च किए जाएंगे। ये रुपये कंपोजिट ग्रांट से खर्च होंगे। इस संबंध में सभी बीएसए को दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों को उपलब्ध कराए जा रहे टैबलेट के लिए सिम कार्ड एवं इंटरनेट की सुविधा को लेकर गाइड लाइन जारी कर दी गई है। नवंबर से मार्च 2024 तक का इंटरनेट व्यय और सिम कार्ड खरीदने के लिए कंपोजिट ग्रांट का प्रयोग होगा। सिम कार्ड एवं इंटरनेट की सुविधा उपरोक्त अवधि के लिए एक टैबलेट पर अधिकतम 1500 रुपये तथा दो टैबलेट पर अधिकतम 3 हजार रुपये खर्च करने की अनुमति दी गई है। इसका समायोजन विद्यालय को मिलने वाली कंपोजिट ग्रांट से किया जाएगा।
सिम की खरीद स्थानीय स्तर पर मोबाइल नेटवर्क कनेक्टविटी की उपलब्धता के आधार पर होगी। विद्यालय अवधि में प्रधानाचार्य और वरिष्ठतम सहायक अध्यापक की कस्टडी में टैबलेट रहेंगे। हालांकि उत्तर प्रदेश पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ ने आन लाइन हाजिरी का पुरजोर विरोध किया है। महानिदेशक को भी इससे अवगत करा दिया गया है।