Friday, March 29, 2024
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जैश जैसे आतंकी संगठन से वेस्ट यूपी को बड़ा खतरा

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  • 1994 में ही जैश-ए-मोहम्मद ने दे दी थी दस्तक
  • सन 2019 में देवबंद से धरे गए थे जैश के दो आतंकी

जनवाणी ब्यूरो |

सहारनपुर: इसमें दो राय नहीं कि पश्चिमी यूपी को खूंखार आतंकी सगंठन जैश-ए-मोहम्मद से बड़ा खतरा है। दो दिन पहले इस सगंठन के दो दहशतगर्द क्रमश: अशरफ और बशीर दिल्ली में धरे गए। इन दोनों के देवबंद में ठहरने को लेकर इस बात का अंदेशा और गहरा गया है कि जैश जैसे आतंकी संगठन ने पश्चिम में गहरे तक दांत गड़ा दिए हैं।

फिलहाल, खुफिया इकाइयों के कान खड़े हो गए हैं। इसलिए भी कि कल रात यूपी एटीएस ने कमेला कालोनी से जिन दो बांग्लादेशी युवकों को पकड़ा है, उनका नेटवर्क कई देशों में पाए जाने की आशंका है। फिलहाल, जांच ऐजेंसियां गहरे तक छानबीन कर रही हैं।

आतंकी गतिविधियों के लिहाज से पश्चिमी उत्तर प्रदेश बेहद संवेदनशील रहा है। सूत्रों के मुताबिक वेस्ट यूपी में करीब 10 आतंकी संगठन सक्रिय हैं। इनमें अलकायदा, लश्कर-ए-तैयबा, हूजी, आईएसआईएस, हिजबुल मुजाहिदीन और जैश-ए-मोहम्मद के तो खास तौर पर सक्रिय होने की जानकारी खुफिया इकाइयों को मिलती रही है। जहां तक जैश की बात है तो वेस्ट यूपी से इस संगठन का कनेक्शन कोई नया नहीं है।

सन 2019 के फरवरी महीने में यूपी एटीएस की टीम ने देवबंद की नाज बिल्डिंग से जैश के दो आतंकियों को दबोचा था। इनमें एक का नाम शाहनवाज और दूसरा आकिब मलिक था। थोड़ा और अतीत में झांक कर देखें तो 1994 में अपने मुखिया मसूद अजहर को छुड़ाने के लिए जैश के ही आतंकियों ने तीन ब्रिटिश नागरिकों को अपहृत कर सहारनपुर के थाना मंडी क्षेत्र के खाताखेड़ी में बंधक बनाया था।

पुलिस और आतंकियों के बीच हुई मुठभेड़ में एक इंस्पेक्टर ध्रुव लाल और कांस्टेबल राजेश शहीद हो गए थे। मुजफ्फरनगर के गांव जौला से जैश ए मोहम्मद का एरिया कमांडर मोहम्मद वारस भी बहुत पहले गिरफ्तार किया गया था। आतंकी गतिविधियों के लिहाज से पश्चिम के शामली जनपद का कैराना भी बेहद संवेदनशील है। कुछ साल पहले कैराना के पंजीठ गांव के मुल्तान नाम के बुजुर्ग के प्रेशर कुकर में बाघा बार्डर पर पिस्टल व मैगजीन पकड़ी गई थी।

कैराना का मूल निवासी महबूब उर्फ कूंजड़ा भी पाकिस्तान से हथियार तस्करी और गठरी उद्योग में संलिप्त रहा है। कूंजड़ा का बेटा काला भी इस धंधे में लिप्त बताया जाता है। सबसे खतरनाक जाल है पाक नागरिकता हासिल कर चुकी आईएसआई से जुड़ी कैराना मूल की फहमीदा उर्फ हमीदा का। बताया जाता है कि काला, हमीदा का दूर का रिश्तेदार है। गठरी सवारी के माध्यम से कई लोगों को काला पाक भेजता रहा है।

कई गुर्गे उसका नेटवर्क अभी भी चला रहे हैं। इनके ताल्लुक जैश-ए-मोहम्मद से भी हो सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि हमीदा उर्फ फहमीदा ने शामली, सहारनपुर और मुजफ्फरनगर के कई युवकों को अपने जाल में फंसा रखा है। फहमीदा कभी लाहौर तो कभी कराची और सिंध प्रांत से भी अपना नेटवर्क चलाती है।

पाक में कई जगहों पर उसके ठिकाने हैं। बहरहाल, दिल्ली में दो दिन पहले पकड़े गए जैश के दोनों आतंकियों के वेस्ट यूपी के कई जिलों में तार जुड़े हो सकते हैं। यह भी संभव है कि इस संगठन के कई स्लीपर माड्यूल पश्चिम में दांत गड़ाए बैठे हों। कुल मिलाकर सबसे ज्यादा खतरा जैश जैसे संगठन से है।

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