Thursday, April 25, 2024
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नाले का लिंटर बना मुसीबत का सबब

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  • हॉस्पिटल को लाभ देने के लिए नगर निगम के खजाने से 1.5 करोड़ रुपये खर्च करा डाला गया लिंटर

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: दयानंद नर्सिंग होम के सामने नाले को पाटकर लिंटर नई मुसीबत बन गया है। नाले को पाटने का क्या मकसद था? सिर्फ प्राइवेट हॉस्पिटल के लिए पार्किंग बनाकर नगर निगम को देनी थी? क्योंकि हॉस्पिटल के पास कोई पार्किंग नहीं हैं। हॉस्पिटल को लाभ देने के लिए नगर निगम के खजाने से 1.5 करोड़ रुपये खर्च करा दिये गए।

अब नाले में लिंबर नई मुसीबत बन गया है, जिसके चलते नाले में जो पानी का बहाव था, वह रुक गया है। यहां नाले में कूड़ा रुक गया है, जिसके चलते दिक्कत पैदा हो गई है। बड़ा सवाल यह है कि यहां लिंटर क्यों डाला गया? इसका जनता को क्या लाभ हुआ? एक हॉस्पिटल को लाभ देने के लिए पार्किंग पर इतनी बड़ी धनराशि खर्च कर दी गई?

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आखिर इसकी जवाबदेही किसकी हैं? बहुत सारे गांव ऐसे हैं, जहां पर सड़क तक का निर्माण नहीं हैं। वहां पर सड़कों का निर्माण किया जा सकता था। पेयजल आपूर्ति पर खर्चा किया जा सकता था, लेकिन यहां तो बेतरतीब सरकारी धनराशि खर्च कर दी गई। पार्किंग शहर में बननी चाहिए थी। उसकी मांग भी उठती रही है।

शहर में मल्टीलेवल पार्किंग को लेकर प्लान भी तैयार हुए, लेकिन यहां सरकारी धनराशि का व्यय कर दिया गया। जब यहां नाले पर लिंटर डालकर पार्किंग बनाई जा रही थी, अधिकारियों ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया। नगर निगम अब इसकी पार्किंग का 12.50 लाख का प्रत्येक वर्ष टेंडर छोड़ रही है। ये लाभ नगर निगम को होने लगा है, पहले तो इसके उपयोग ही समझ में नहीं आ पा रहा था।

अब नगर निेगम दो वर्ष से इसका टेंडर कर पार्किंग के जरिये कुछ धनराशि एकत्र भी कर रही है। जिस तरह से लिंटर के नीचे कूडा पानी के बहाव में बाधा बना हुआ है, उसकी सफाई नगर निगम की तरफ से करायी जानी चाहिए। यहां नगर निगम जब से लिंटर डाला गया है, तब से यहां पर नाले के नीचे सफाई ही नहीं की गई, जिससे दिक्कत पैदा हो रही है।

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नहीं बनी मल्टीलेवल पार्किंग

शहर में पार्किंग के मुद्दे को लेकर हाईकोर्ट ने भी फटकार लगाई है। अब नगर निगम व एमडीए लिखित जवाब हाईकोर्ट में दे रहे हैं। पार्किंग शहर में बनाई ही नहीं गई। एक तरह से नगर निगम ने नाले पर लिंटर डालकर पैसे का दुरुपयोग किया। ऐसा किसी को लाभ पहुंचाने के लिए सरकारी खजाने का मुंह खोल दिया गया था, जो वर्तमान में यहीं बयान कर रहा है। शहर में पार्किंग बनी होती तो बड़ी समस्या का निस्तारण हो जाता, लेकिन यहां तो दिक्कत ही दिक्कत पैदा हो रही है।

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