- मतदान के बाद मेला समिति की बैठक में लिया जा सकता है मेले की तिथि को लेकर फैसला
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: प्रांतीयकृत घोषित हो चुके नौचंदी मेले के विधिवत रूप से शुरू होने को लेकर अभी तक तस्वीर साफ नहीं हो सकी है। इस बीच डीएम के दिशा-निर्देशन में मेला आयोजन से संबंधित समितियों का गठन कर लिया गया है। मतदान के बाद समिति की बैठक में इस बात पर मंथन किया जाएगा, कि मेला कितनी अवधि के लिए कब से लगाया जा सकता है। इस बीच यहां जो खबरें आ रही हैं, उसके मुताबिक चुनावों के कारण बुलंदशहर नुमाइश इस वर्ष खटाई में पड़ती नजर आ रही है।
इस वर्ष नौचंदी मेले का आयोजन कराने के लिए जिला प्रशासन की ओर से जिला पंचायत को अधिकृत किया गया है। नौचंदी मेले में देशभर के दुकानदार अपने-अपने सामान की प्रदर्शनी लगाने के लिए यहां पहुंचते हैं। प्राचीन चंडी देवी मंदिर और बाले मियां मजार के पौराणिक महत्व के चलते नौचंदी मेले को आपसी सौहार्द्र का प्रतीक भी माना जाता है। वर्ष 2022 में नौचंदी मेले को प्रांतीयकृत दर्जा दिया जा चुका है। इसके बाद से इस मेले के आयोजन में प्रशासन की भागीदारी बढ़ गई है।
इस वर्ष के लिए के मेले का परंपरागत उद्घाटन सात अप्रैल रविवार को एडीजी ध्रुवकांत ठाकुर और आयुक्त मेरठ मंडल सेल्वा कुमारी जे. के स्तर से किया जा चुका है। लेकिन यह मेला विधिवत रूप से कब शुरू होगा, इसको लेकर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है। पहले यह माना जा रहा था कि अप्रैल के तीसरे हफ्ते तक बुलंदशहर में लगने वाली नुमाइश को शुरू कराया जा सकता है। करीब एक महीना चलने वाली बुलंदशहर नुमाइश के समापन के बाद वहां से अधिकांश दुकानदारों के नौचंदी मेले में आने के चलते नौचंदी मेला शुरू कराया जा सकता है।
लेकिन इस वर्ष बुलंदशहर नुमाइश चुनावों के कारण शायद ही लग पाए। ऐसी स्थिति में मतदान की तिथि 26 अप्रैल के बाद मेले के आयोजन को लेकर मेला समिति की बैठक में इसी रूपरेखा तैयार की जा सकती है। इस संबंध में एएमए भारती धामा से बात की गई, उन्होंने मेला समिति की बैठक मतदान के बाद किसी दिन बुलाने की बात कही है। उनका कहना है कि बुलंदशहर नुमाइश इस वर्ष न लगने की बात सामने आ रही है। ऐसे में मेला नौचंदी लगाने के लिए मई का महीना चुना जा सकता है। सीडीओ नूपुर गोयल ने भी मेला नौचंदी को लेकर किसी तिथि के निर्धारण के बारे में बैठक के बाद ही ऐलान करने की बात कही है।
छोटे अफसर के हवाले कर दी बड़े अफसर की जांच
मेरठ: नगर निगम अधिकारियों की शह हो तो लूट का यह धंधा ऐसे ही चलता रहता है और कोई कार्रवाई भी नहीं होती है। टाउन हॉल पार्किंग का ठेका निरस्त होेने के बाद भी उसकी वसूली के मामले में सहायक नगर आयुक्त के खिलाफ जांच के आदेश हुए हैं और यह आदेश ऐसे अधिकारी को दिये गये हैं, जो पद में सहायक नगर आयुक्त के समकक्ष हैं। साथ ही नगर निगम में वरिष्ठ अधिकारी भी हैं। जांच का यह फर्जीवाड़ा जनता को दिखाने के लिए किया जाता है, ताकि सबको यह लगे कि एक्शन हो रहा है, जबकि वास्तव में एक्शन सिर्फ कागजी पेट भरने के लिए होता है।
ताजा मामला नगर निगम के टाउन हाल की पार्किंग का है। यह ठेका समाजवादी पार्टी के प्रदेश सचिव सरवत चौधरी के पास है। पिछले 20 साल से अधिक समय से सरवत चौधरी ही टाउन हॉल की पार्किग का ठेका चला रहा है। पार्किंग का ठेका लेने क लिए सरवत चौधरी ने अपने रसूख के साथ-साथ नगर निगम में मनोनीत पार्षद रहते हुए इसकी रूपरेखा बना ली थी। नगर निगम की राजनीति में मंज चुके सरवत चौधरी को पता है कि यहां अधिकारियों और बाबुओं की जुगलबंदी के बिना कुछ नहीं होता है।
इसलिए वह इन अधिकारियों और बाबुओं की लगातार सेवा करने के साथ-साथ अपना कारोबार भी चलाता रहता है। सरवत चौधरी का यह ठेका गत माह 31 मार्च 2024 को निरस्त हो चुका है। लेकिन अधिकारियों की जुगलबंदी से उसका धंधा चल रहा है। अब पोल खुल गई है तो अधिकारियों को जनता के बीच यह दर्शाना है कि कार्रवाई हो रही है। इस बार भी यही खेल खेला गया है। सहायक नगर आयुक्त शरद पाल के खिलाफ जांच अपर नगर आयुक्त ममता मालवीय के सुपुर्द कर दी गई है।
ऐसा ही खेल नगर निगम के अधिकारी पूर्व में भी डंपर खरीद के मामले में कर चुके हैं। इसमें सीधे स्तर पर नगर आयुक्त की शह पर गलत डंपर की आपूर्ति ले ली गई थी। जब नगर आयुक्त के इस खेल की पोल खुली तो उसकी जांच भी अपर नगर आयुक्त ममता मालवीय के सुपुर्द ही की गई है। साफ जाहिर है कि अपने आपको बचाने के लिए अधिकारी कागजी लिखापढ़ी में खेल करते हैं।