जनवाणी ब्यूरो |
मेरठ: पिछले तीन वर्ष से गन्ने का दाम एक रुपया भी सरकार ने नहीं बढ़ाया है तो ऐसे में किसानों की आमदनी दोगुनी कैसे हो जाएगी? यही नहीं यूरिया और डीएपी खाद के बोरे का भी भार कम कर दिया गया है। कहा जा रहा है कि डीएपी के रेट घटा दिए गए हैं, लेकिन किसानों को इस तरह से गुमराह किया जा रहा है। डीएपी खाद के बोरे का जो पहले भार हुआ करता था।
वह भी कम कर दिया गया है। वेस्ट यूपी के किसानों की गन्ना आर्थिक रीड है, लेकिन गन्ना किसानों की अर्थव्यवस्था बिना रेट बढ़ाए कैसे बढ़ सकती है? गन्ने पर आने वाली लागत बढ़ती जा रही है, क्योंकि सरकार ने डीजल के रेट बढ़ा दिए हैं। किसान बिजली बढ़े हुए दामों पर खरीद रहा है।
10 हॉर्स पॉवर से कम किसानों के ट्यूबवेलों को बिजली कनेक्शन नहीं दिया जा रहे हैं। जिसका साढेÞ सात हॉर्स पॉवर का बिजली कनेक्शन था, उसका भी बढ़ाकर 10 हॉर्स पॉवर कर दिया गया है। इस तरह से किसानों की आमदनी बढ़ने की बजाय घट गई है, क्योंकि लागत लगातार बढ़ रही है और फसलों के दाम तीन साल बढ़े ही नहीं है।