- सरधना के सबसे व्यस्तम मार्ग की हालत सिस्टम पर पोत रही कालिख
- सालों से बेहत क्षतिग्रस्त हालत में है यह मार्ग
जनवाणी संवाददाता |
सरधना: क्रांतिधरा मेरठ का सबसे प्राचीन कस्बा सरधना आज अपने बुनियादी विकास के लिए तरस रहा है। कस्बे का सबसे मुख्य व सबसे व्यस्त सरधना-बिनौली मार्ग पिछले कई सालों से बेहद क्षतिग्रस्त हालत में है। वर्तमान में हालात यह हैं कि सड़क चकरोड से भी बदतर हो चुकी है। जिसके चलते सरधना की जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
जो बाहरी राहगीर इस सड़क से गुजर आए, दूसरी आने के लिए तौबा ही कर लेगा। तमाम संगठनों ने इस सड़क को बनवाने की मांग कर ली है। मगर जनप्रतिनिधि से लेकर अधिकारियों तक किसी को शर्म नहीं आ रही है। यह सड़क कस्बे पर ही नहीं पूरे सिस्टम के मुंह पर धब्बा है।
कस्बे के लोगों ने उम्मीद ही छोड़ दी है। नेताओं व अधिकारियों के चक्कर काटकर यहां के लोग थक चुके हैं। सरधना-बिनौली मार्ग नगर की सबसे मुख्य और व्यस्त सड़क है। वन-वे होने के कारण यहां रोजाना भीषण जाम लगा रहता है। क्योंकि ट्रैफिक क्षमता से कहीं अधिक चलता है। सही मायने में इस सड़क का चौड़ीकरण होना चाहिए। बीच में डिवाइडर के साथ फोर लेन सड़क का निर्माण हो, तभी बात बन सकती है। मगर यहां तो मामला ही उलटा हो रहा है।
चौड़ीकरण तो दूरी पुरानी सड़ की हालत खराब है। यह मार्ग पूरी तरह क्षतिग्रस्त हालत में पहुंच चुका है। सड़क पर इतने गड्ढे हो गए हैं कि उनकी गिनती भी संभव नहीं है। क्षेत्र के आम जनता के साथ ही तमाम संगठन लंबे समय से इस सड़क के निर्माण की मांग कर रहे हैं। मगर जनप्रतिनिधि से लेकर अधिकारियों तक किसी के कान पर जूं नहीं रैंग रही है।
वर्तमान में सड़क की हालत बद से बदतर हो चुकी है। यहां रोजाना सड़क हादसे हो रहे हैं। खासतौर पर दोपहिया सवार हादसों का शिकार हो रहे हैं। बाहरी क्षेत्र का जो व्यक्ति एक बार इस मार्ग से गुजर जाए, वह दूसरी बार आने के लिए तौबा कर लेगा। अब तो क्षेत्र के लोगों ने उम्मीद ही छोड़ दी है। लोगों ने शिकायत करनी ही बंद कर दी है। अफसोस यह है सिस्टम के किसी अधिकारी को इस सड़क से कोई सरोकार नहीं है। यह सड़क पूरे सिस्टम पर नाकामी का एक बड़ा धब्बा है।
यहीं से निकलती हैं शोभायात्रा भी
नगर में अधिकांश शोभायात्रा इस मार्ग से निकलती हैं। सभी धर्म की शोभायात्रा इस मार्ग से होकर गुजरती हैं। जिनमें हजारों की भीड़ रहती है। ऐसे में खुद अंदाजा लगाया जा सकता है कि सड़क पर लोगों को कितनी परेशानी उठानी पड़ती होगी। मगर कोई सुनने को तैयार नहीं है।
सरकार के संकल्प पर फेर रहे पानी
सरकार का संकल्प सड़कों का कायाल्प करना है। जिसके तहत गांव-गांव पक्की सड़क बनवाई जा रही हैं। कोई गांव ही सड़कों के जाल से अछूता रहा होगा। मगर अफसोस की सरधना कस्बा गांव से गैर गुजरा हो गया है। शायद इसलिए जनप्रतिनिधि या अधिकारी इस मार्ग को बनवाने के लिए तैयार नहीं हैं। सरकार के संकल्प पर भी यह मार्ग कालिख लगा रहा है।