एक व्यक्ति आध्यात्मिक ज्ञान की आशा में एक संत के पास पहुंचा। संत ने उसे एक राजा के पास जाने को कहा। वह व्यक्ति राजा के पास पहुंचा। राजा उसे अपने दरबार में ले गया। वहां का दृश्य देखकर वह व्यक्ति दंग रह गया। वहां नर्तकियां नृत्य कर रही थीं। लोग बैठकर मदिरा का सेवन कर रहे थे। वह घबराकर राजा से बोला, महाराज, मैं गलत जगह आ गया हूं। अब यहां मैं एक पल नहीं रुक सकता। मैं तो कुछ जिज्ञासा लेकर आया था, पर आप तो स्वयं ही भटके हुए हो तो मुझे क्या मार्ग दिखाओगे। राजा ने कहा- मैं भटका हुआ नहीं हूं। आपने मेरा बाहरी रूप देखा है। आंतरिक देखोगे तो शायद आपकी राय बदल जाएगी।
आप एक दिन रुक जाएं। वह व्यक्ति वहां रुक गया। उसे एक शानदार कमरे में ठहराया गया। उसमें काफी गद्देदार बिस्तर लगा था। वह व्यक्ति सकुचाता हुआ उस पर सोया। तभी उसकी नजर ऊपर की ओर गई। एक चमचमाती तलवार ठीक उसके सिर पर एक सूत से लटकी थी। अचानक उसके मन में ख्याल आया कि अगर धागा टूट गया तो…। वह रात भर इस चिंता में सो नहीं पाया। सुबह राजा खुद उसके कमरे में पहुंचा। उसने पूछा, अच्छी नींद आई न?
इस पर उस व्यक्ति ने कहा, खाक नींद आती। आपने तो ऐसी तलवार टांग रखी है कि नींद उड़ गई। रात भर यही सोचता रहा कि अगर यह गिर जाएगी तो क्या होगा। इस पर राजा ने मुस्कराकर कहा, इसी तरह मौत की तलवार मेरे ऊपर टंगी रहती है। मेरे सामने बहुत सी चीजें रहती हैं, पर मेरा ध्यान तो मृत्यु पर रहता है। अगर हर व्यक्ति यह मानकर चले कि सब कुछ के बावजूद मृत्यु ही जीवन का सत्य है, तो वह किसी भी चीज में लिप्त नहीं होगा।