Saturday, April 20, 2024
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दो दिलों की मिलन ने मिटाई दो दलों के बीच की दूरियां

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विजय पाण्डेय |

बरबस लिए उठाइ उर लाए कृपानिधान। भरत राम की मिलनि लखि बिसरे सबहि अपान॥

लखनऊ: 8 दिसंबर 2022 का दिन समाजवादी पार्टी के लिए दोहरी खुशी लेकर आया। पहली उपचुनाव में मैनपुरी लोकसभा सीट से दिवंगत सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की बहू और सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने रिकार्ड मतों से जीत दर्ज की और दूसरी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी प्रमुख शिवपाल यादव की पार्टी का सपा में विलय हुआ। खुद अखिलेश यादव ने इसका ऐलान किया। दिलों के मिलन में दलों के बीच की दूरियां मिट गईं।

सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद शिवपाल और अखिलेश (चाचा-भतीजे) के बीच की दूरियां सिमटती नजर आ रही थीं। उपचुनाव के एलान के बाद जब गुरुवार को दो दलों (सपा और प्रसपा) का मिलन हुआ तो यह सिर्फ दलों के बीच ही नहीं, बल्कि दिलों के बीच की दूरियां खत्म होने का एलान था और आज की तारीख इतिहास में दर्ज हो गई। इसका असर सोशल मीडिया पर भी दिखा। चंद लम्हों में शिवपाल यादव और उनके बेटे आदित्य यादव के ट्विटर एकाउंट का बायो भी बदल गया और मुलायम सिंह के निधन के बाद से ही कयासों में तैर रही संभावनाये संभव हुईं।

सपा परिवार के एक होने से सपा कार्यकर्ता उत्साहित हैं। सपा समर्थकों का कहना है कि 2017 में जब जय अखिलेश, जय अखिलेश के नारे लग रहे थे, तब सपा सत्ता में थी, उस समय अखिलेश और शिवपाल के समर्थकों में गुत्थम गुत्था चल रही थी, उससे पार्टी का बड़ा नुकसान हुआ। सपा सत्ता से बाहर हो गई और उसके बाद हुए सभी चुनावो में सपा को मुंह की खानी पड़ी, पर नेताजी के गुजर जाने के बाद मैनपुरी में जब लोकसभा उपचुनाव का ऐलान हुआ तो चाचा और भतीजे एक मंच पर दिखाई दिए स्थानीय लोगों में उसका प्रभाव भी दिखा। डिंपल यादव की दो लाख से ज्यादा मतों से रिकॉर्ड जीत परिवार के मिलन और उससे उपजे सपा समर्थकों के उत्साह की कहानी बयां कर रही है।

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