Tuesday, March 19, 2024
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एक्सईएन समेत तीन इंजीनियरों पर गिरी गाज

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  • नगर निगम में झूला लगाने के नाम पर करीब दो करोड़ का हुआ घोटाला
  • जिसकी जांच अपरायुक्त को सौंपी, शासन में सम्बद्ध

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: झूला घोटाले में आखिर मंगलवार को शासन ने एक एक्सईएन, एई व जेई पर गाज गिरा दी। तीनों इंजीनियरों को शासन स्तर पर सम्बद्ध कर दिया गया। तीनों इंजीनियरों पर आरोप है कि करीब दो करोड़ का नगर निगम में झूला घोटाला किया है। पार्कों में घटिया स्तर के लोहे से बने झूले लगाये गए, जो एक माह भी नहीं चल पाए। इसमें नगरायुक्त ने बाकी भुगतान रोक दिया गया था, फिर भी करीब दो करोड़ का चूना निगम को लगाया गया है। इसकी जांच कमिश्नर स्तर से भी कराई गयी थी।

क्योंकि कुछ पार्षदों ने इसकी शिकायत की थी, जिसके बाद ही शासन ने इसमें संज्ञान लिया है। उधर, नगरायुक्त मनीष बंसल का कहना है कि शासन का जो आदेश उन्हें मिला है, उसका पालन किया जाएगा। जो भी शासन का निर्देश मिलेगा, उस पर कार्रवाई की जाएगी।

बता दें कि नगर निगम की अधिशासी अभियंता नीना सिंह और सहयाक अभियंता राजपाल यादव व जेई राजेंद्र कुमार पर आरोप लगा था कि इन तीनों ने मिलकर शहर के पार्कों में झूले लगाने के नाम पर बड़ा घालमेल किया है। पूर्व पार्षद यासीन पहलवान व राज्यसभा सांसद ठाकुर विजयपाल सिंह तोमर की शिकायत को पहले तो आयी-गई कर दी गई, लेकिन बाद में मीडिया में भी यह झूला घोटाला काफी सुर्खियों में रहा था। इसके बाद ही इस पूरे प्रकरण की शासन व कमिश्नर से शिकायत की गई थी।

तत्कालीन कमिश्नर अनिता सी मेश्राम ने इस पूरे प्रकरण को लेकर शासन से पत्र व्यवहार किया था, लेकिन कार्रवाई तब भी नहीं हुई थी। आखिर शासन ने एक्सईएन नीना सिंह व एई राजपाल यादव पर लगे झूला घोटाले का संज्ञान लिया गया, जिसके बाद ही शासन ने दोनों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। यह कार्रवाई उत्तर प्रदेश पालिका (केन्द्रीययित) सेवा नियमावली 1966 के नियम 37 सपठित उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली 1999 के नियम-7 के अंतर्गत विभागीय कार्रवाई की गई है।

अपर आयुक्त प्रशासन मेरठ मंडल को इसकी पदेन जांच सौंपी गई है। एई राजपाल यादव को तत्काल प्रभाव से निदेशक नगर निकाय निदेशालय लखनऊ में शासन के अग्रिम आदेशों तक सम्बद्ध किया गया है। जांच पूरी होने तक इनका वेतन नगर निगम मेरठ से ही निकाला जाएगा। यह आदेश उप सचिव बृजेश सिंह व अपर मुख्य सचिव डा. रजनीश दुबे के नगर निगम मेरठ को मिले हैं।

इन आदेशों के बाद निगम अधिकारियों में हड़कंप मच गया। क्योंकि यह झूला घोटाला करोड़ों का हैं, जिसमें दोनों ही अधिकारियों से यह रकम वसूली जा सकती है तथा इसमें जांच पूरी होने के बाद एफआईआर भी दर्ज करायी जा सकती है।

झूला घोटाले की जांच विजिलेंस में भी

नगर निगम में झूला घोटाले की जांच विजीलेंस में भी चल रही है। विजीलेंस टीम इसमें अभी जांच पड़ताल चल रही है। पहले विजीलेंस की टीम को भी झूला घोटाले की शिकायत की गई थी, जिसके बाद विजीलेंस टीम जांच पड़ताल में जुटी है। हालांकि फिलहाल विजीलेंस टीम ने इसमें कोई कार्रवाई नहीं की है। बताया गया कि इसकी फाइल विजीलेंस के अधिकारी मांगते रहे, मगर निगम अफसरों ने फाइल ही उपलब्ध नहीं कराई थी।

ढाई वर्ष पहले हुआ घोटाला

झूला घोटाला करीब ढाई साल पहले हुआ था। तब यहां नगर आयुक्त के पद पर मनोज चौहान के तैनात थे। हालांकि घोटाले में तत्कालीन नगरायुक्त मनोज चौहान पर भी उंगली उठी थी। क्योंकि उन्होंने अपने कार्यकाल में इसकी जांच नहीं कराई तथा फाइलों को दबाये रहे। पार्षदों ने उनके खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की थी, लेकिन जांच पड़ताल में उन्हें बचा लिया गया। उनको लेकर फाइल में कोई जिक्र नहीं है।

231 झूले लगाये थे शहर में

शहर के विभिन्न पार्कों में दो करोड़ की लागत से 231 झूले लगाए गए थे। जांच में यह तथ्य पाया था कि झूला खरीद में बड़े पैमाने पर अनियमितता हुई है। यह तथ्य भी सामने आया था कि बिना मार्केट सर्वे और अन्य प्रक्रिया के झूलों की खरीद हुई है। जांच में यह भी पाया था कि झूलों का वजन कहीं 210 किलोग्राम तो कहीं पर 180 किलोग्राम मिला था। इसलिए इसमें बड़ा घालमेल हुआ है।

इन्होंने की थी शिकायत

भाजपा के राज्यसभा सांसद ठाकुर विजय पाल सिंह तोमर और पूर्व पार्षद यासीन पहलवान की शिकायत पर झूला घोटाले की जांच पड़ताल शुरू हुई थी। तब तत्कालीन कमिश्नर अनीता सी मेश्राम ने इसकी फाइल तलब कर जांच पड़ताल कराई थी। उसके बाद ही इसकी रिपोर्ट शासन को तैयार कर भेजी गई थी।

तीन इंजीनियरों को माना दोषी

झूलों की खरीद अधिशासी अभियंता नीना सिंह, सहायक अभियंता राजपाल यादव और अवर अभियंता राजेंद्र सिंह ने की थी। जांच के आधार पर तीनों को ही दोषी माना गया है। तत्कालीन नगर आयुक्त डा. अरविंद चौरसिया में तीनों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की थी, जिसमें शासन ने तीनों पर ढाई वर्ष बाद जाकर गाज गिराई है।

92 लाख का हो चुका है भुगतान

नगर निगम में शहर के जिन 231 झूलों की खरीद प्रति झूला 84 हजार से अधिक में की गई है, जबकि बाजार मूल्य मात्र 44 हजार का आकलन किया गया था। 231 झूलों में से 110 झूलों का करीब एक करोड़ का भुगतान किया गया। 121 झूलों का 1.74164 का भुगतान अभी करना बाकी है। शिकातय के बाद से ही यह भुगतान रोका गया था। हालांकि कई बार भुगतान करने का दबाव भी अधिकारियों पर बना।

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