- जब भी ट्यूबवेल चलती है तो फट जाती है पाइप लाइन
- क्या इसके जिम्मेदारों पर कार्रवाई हो पाएगी ?
रामबोल तोमर |
मेरठ: मेरठ विकास प्राधिकरण की लोहिया नगर योजना में पेयजल आपूर्ति के लिए भूमिगत दबाई गई पाइप लाइन खराब है। उसमें जो पाइप भूमिका दबाए गए हैं वो जगह-जगह से खराब हो गए हैं। यही वजह है कि पेयजल की आपूर्ति वहां रहने वाले लोगों को नहीं मिल रही है।
पाइप खराब दबाने का मामला प्राधिकरण वीसी के सामने भी पहुंचा, लेकिन पाइप लाइन दोबारा कैसे दबा दी जाएंगी? इसका बजट कहां से आएगा? इसको लेकर प्राधिकरण इंजीनियरों के सामने भी चुनौती बना हुआ है। प्राधिकरण की लोहिया नगर योजना में करीब एक सौ से ज्यादा पुलिस कर्मियों ने प्लाट खरीदे थे।
पुलिस कर्मियों के परिजन भी वहां पर मकान बनाकर रह रहे हैं, लेकिन वहां सबसे बड़ी दिक्कत पेयजल आपूर्ति की पैदा हो गई है। पेयजल आपूर्ति करने के लिए जब भी ट्यूबवेल चलाई जाती है तो पाइप जगह-जगह से फट जाते है, जिसके चलते गंदगी युक्त पानी लोगों के घरों में पहुंच जाता है।
इसकी शिकायत प्राधिकरण वीसी और सचिव से भी की गई, लेकिन इसमें कोई सुधार फिलहाल नहीं हुआ है। प्राधिकरण के इंजीनियरों की रिपोर्ट कहती है कि भूमिगत दबाई गई पाइप लाइन की गुणवत्ता अच्छी नहीं है, जिसके चलते पाइप जगह-जगह से लीक होती या फिर फट जाती है।
अब प्राधिकरण इस पाइप लाइन को कैसे बदले? इसका पहले भुगतान किया जा चुका है। यह पाइप लाइन पुन: नहीं डाली जा सकती। अब नई पाइप लाइन किस बजट से डाली जाएगी? यह बड़ा सवाल है। क्योंकि पहले जो पाइप लाइन दबाई गई थी, उसका भुगतान बहुत पहले हो चुका है।
एक तरह से घटिया पाइप लाइन दबाकर मेरठ विकास प्राधिकरण में घोटाला कर दिया गया है। आखिर इस घोटाले का जिम्मेदार कौन है? क्या इन जिम्मेदारों पर कार्रवाई प्राधिकरण के अधिकारी कर पाएंगे या फिर ये मामला भी दबा दिया जाएगा। क्योंकि प्राधिकरण में इस तरह के मामले सामने पहले भी आ चुके है।
प्राधिकरण की लोहिया नगर योजना में करीब डेढ़ करोड़ से ज्यादा के पाइप लाइन भूमिगत दबाये गए हैं। इससे स्पष्ट है कि ये सभी पाइप लाइन खराब है। क्योंकि एक ही ठेकेदार ने ये पाइप लाइन दबाये थे। इससे पहले साइकिल ट्रैक में वायर घोटाला सामने आ चुका है, जिसमें एक्सईएन, एई व जेई जेल जा चुके हैं।
ये घोटाला पकड़ा था तत्कालीन कमिश्नर डा. प्रभात कुमार ने। इस घोटाले के बाद से प्राधिकरण में हड़कंप मच गया था, लेकिन अब भूमिगत पाइप दबाने का घालेमल सामने आ रहा है।
इसमें घटिया पाइप लाइन डालने की किसने अनुमति दी? पाइप पहले चेक क्यों नहीं किये गए? पाइप अच्छी कंपनी के नहीं थे तो फिर क्यों लगने दिये? इसमें भी बड़े स्तर पर कमीशनखोरी हुई है। प्राधिकरण के इंजीनियर पुरानी पाइप को किसी तरह से चलाने के लिए जोड़तोड़ करने में जुटे हैं, ताकि इज्जत बच जाए।