- इस कुप्रथा को छोड़ने की उठने लगी आवाज
जनवाणी संवाददाता |
गंज दारानगर: ऐसा सत्य है कि जन्म लेने वाला इंसान कभी ना कभी अवश्य मरता है जिसको लेकर परिवार में शोक मनाया जाता है।
मृतक व्यक्ति के दाह संस्कार करने के लिए सैकड़ों व्यक्ति अर्थी को कंधा देकर गंगातट पर जाते हैं।
इस दौरान मृतक के घर तेरहवी या दसवां तक चूल्हा नहीं जलता है। लेकिन आज भी बहुत से गांव ऐसे हैं जहां मुर्दा फूंकने के बाद भरपेट मिठाई खाते हैं ।
अधिक जानकारी के लिए पढें दैनिक जनवाणी
What’s your Reaction?
+1
+1
2
+1
+1
+1
+1
+1