Saturday, April 20, 2024
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असमंजस में वोटर: समर्थित प्रत्याशी के सामने समर्पित कैंडिडेट की चुनौती

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  • वार्ड 18 पर समाजवादी पार्टी ने बबली देवी को समर्थित प्रत्याशी किया घोषित
  • चुनावी मैदान में उतरी अनिता आर्य भी सपाइयों के फोटो लगाकर दर्शा रही समर्पित प्रत्याशी

मुख्य संवाददाता |

बागपत: पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भले ही अपनी पार्टी में अनुशासन को लेकर सख्त रहते हों, लेकिन उनके कुछ नेताओं को इसके विपरीत चलना अच्छा लगता है। जिला कार्यकारिणी एवं पंचायत चुनाव समिति द्वारा घोषित प्रत्याशी के विरूद्ध बिगुल बजाने से भी वह पीछे नहीं हट रहे हैं।

बालैनी क्षेत्र के वार्ड 18 पर समाजवादी पार्टी ने बबली देवी को समर्थित प्रत्याशी घोषित किया है, जबकि यहीं अनिता आर्य अपने आप को समर्पित प्रत्याशी लिख रही है। साथ ही समाजवादियों के फोटो तक लगा रखे हैं। ऐसे में मतदाताओं में भरम की स्थिति पैदा हो रही है।

जबकि समाजवादी पार्टी जिलाध्यक्ष साफ कर चुके हैं कि बबली देवी पार्टी की समर्थित प्रत्याशी है। इसके अलावा पार्टी के एक नेता रालोद की प्रत्याशी को समर्थन करने का ऐलान कर रहे हैं। जब सपा ने यहां पार्टी की प्रत्याशी उतारी है तो उसके खिलाफ दूसरे को समर्थन करना पार्टी की बगावत करना माना जा सकता है।

जिला पंचायत चुनाव में प्रत्याशियों ने राजनीतिक दलों की ओर से चुनाव लड़ने में अधिक रूचि दिखाई है। निर्दलीय की भी जहां लंबी कतार है वहीं भाजपा, सपा, रालोद, बसपा, कांग्रेस, आप ने भी प्रत्याशियों को घोषित कर रखा है। सपा व रालोद में पहले गठबंधन की बात चली, लेकिन दोनों दल अलग-अलग हो गए और चुनावी अखाड़े में आमने-सामने आ गए।

इसके अलावा भाजपा ने सभी 20 वार्डों पर प्रत्याशी उतार रखे हैं। रालोद ने 17 वार्ड और सपा ने 13 वार्ड पर प्रत्याशी उतारे हुए हैं। प्रत्याशियों में इस बार राजनीतिक दलों के नाम पर वोट लेने के लिए प्रत्याशियों के बीच भरम पैदा करने में भी कमी नहीं छोड़ी जा रही है।

किसी राजनीतिक दल से समर्थित प्रत्याशी जहां अपने आप को पार्टी समर्थित लिख रहे हैं वहीं उसके सामने मैदान में उतरे प्रत्याशी अपने आप को समर्पित लिख रहे हैं। समर्थित और समर्पित दोनों में काफी अंतर है, लेकिन जनता के बीच संदेश एक देने का प्रयास भी है।

जिला पंचायत के वार्ड 18 पर समाजवादी पार्टी प्रत्याशी बबली देवी अधिकृत घोषित है। जिलाध्यक्ष मनोज चौधरी ने विज्ञप्ति जारी करते हुए इसकी घोषणा की थी, लेकिन वहीं दूसरी ओर अनिता आर्य समर्पित प्रत्याशी लिख रही है। समाजवादी नेताओं के फोटो तक लगाए गए हैं।

दोनों प्रत्याशियों में भले ही समर्पित और समर्थित शब्दों का अंतर हो, लेकिन जनता के बीच भरम की स्थिति भी बनी हुई है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि ऐसे तो समाजवादी को ही नुकसान होगा। दो प्रत्याशी अपने आप को सपा का बता रहे हैं। जबकि सपा की अधिकृत प्रत्याशी बबली देवी है।

सोशल मीडिया पर भी समाजवादी पदाधिकारी बबली देवी को ही पार्टी की अधिकृत प्रत्याशी बताकर भरम में नहीं आने की अपील कर रहे हैं। देखा जाए तो सपा ने पार्टी नेताओं को निर्देश दिए थे कि अगर कोई चुनाव लड़ना चाहता है तो उसे लड़ने की इजाजत है।

चुनाव में अगर ऐसे भरम की स्थिति रहेगी तो सपा को नुकसान हो सकता है। जिलाध्यक्ष मनोज चौधरी का कहना है कि पार्टी की अधिकृत प्रत्याशी बबली देवी है। अन्य कोई सपा की प्रत्याशी नहीं है। चुनाव लड़ने के लिए सभी स्वतंत्र है, लेकिन अधिकृत प्रत्याशी एक ही है। सपा महिला प्रकोष्ठ की जिलाध्यक्ष डॉ. सीमा यादव का कहना है कि बबली देवी ही पार्टी की प्रत्याशी है। क्षेत्र की जनता किसी भी तरह की अफवाह पर ध्यान न दे।

पार्टी प्रत्याशियों के खिलाफ दूसरे को समर्थन                         

एक तरफ रालोद इस चुनाव में सपा प्रत्याशियों के खिलाफ चुनावी मैदान में है वहीं सपा नेता रालोद प्रत्याशी को समर्थन का ऐलान कर रहे हैं। वार्ड 18 से रालोद प्रत्याशी पूनम को सपा नेता अभयवीर यादव ने रालोद व समाजवादी की संयुक्त प्रत्याशी बताकर अपनी फेसबुक पर पोस्ट डाली है।

उन्होंने पूनम के समर्थन की भी अपील की है। यही नहीं वार्ड 19 पर समाजवादी पार्टी ने गढ़ी कलंजरी निवासी सचिन गुर्जर को प्रत्याशी घोषित कर रखा है। इस वार्ड पर अभयवीर यादव ने रालोद नेता दीपक यादव को सपा की ओर से समर्थन की देने का ऐलान किया है।

बागपत जनपद में जब रालोद व सपा में गठबंधन नहीं है तो यहां संयुक्त प्रत्याशी का कोई सवाल ही नहीं है। सवाल यह है कि क्या रालोद प्रत्याशी को समर्थन देने के लिए पार्टी हाईकमान से अनुमति ली गई है? जब पार्टी के सामने रालोद प्रत्याशियों को उतारने से रालोद को परहेज नहीं हुआ तो सपा नेता क्यों उन्हें समर्थन कर रहे हैं?

कहीं न कहीं इसे पार्टी के निर्णय की खिलाफत भी माना जा सकता है। जबकि पार्टी अनुशासनहीनता पर पूर्व जिलाध्यक्ष बिल्लू प्रधान ने अभयवीर पर कार्रवाई भी की थी। उसके बाद मामला हाईकमान तक पहुंचा था। अब पार्टी प्रत्याशियों के खिलाफ दूसरे प्रत्याशियों को समर्थन देना समझ से परे है। क्षेत्र में भी इसको लेकर विभिन्न तरह की चर्चाएं हैं।

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