Tuesday, October 3, 2023
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फोरमैन की लापरवाही से जा सकती थी 50 यात्रियों की जान

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  • चलती बस का पीछे का टायर अचानक निकला, यात्रियों में मची चीख-पुकार

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: फोर मैन की लापरवाही से 50 लोगों की जान जा सकती थी। ये मामला है रोडवेज की वोल्वो बस का। चलती बस का पीछे का एक टायर अचानक निकल गया। बस में उस दौरान 50 लोग सवार थे। बस मेरठ से लखनऊ जा रही थी, बस तब रामपुर पहुंची, ये हादसा हो गया।

50 लोगों की जान जोखिम में फस गई थी। यह मेरठ डिपो की बस थी, जो मेरठ से लखनऊ तक जाती है। अब इसका एक वीडियो भी वायरल हो रहा है और फोटो भी वायरल हो रहे हैं, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम को एआरएम मेरठ ने दबा दिया और सार्वजनिक नहीं होने दिया। ये हादसा 27 जून का हैं। रामपुर के पास पिछला टायर निकला। इस बस में टायर में कुछ दिक्कत थी, जिसके बाद टायर को बदला गया था।

दो दिन पहले ही बस डिपो के गैराज में ठीक होने के लिए गई थी। अलग दिन ही बस का टायर तो बदल दिया, लेकिन फोरमैन ने टायर के बोल्ट नहीं कसे, उन्हें ढीला छोड़ दिया, लेकिन उसके टायर के रिम के बोल्ट ढीले रहने के कारण ही ये हादसा होते-होते बचा। मजबूती के साथ बोल्ट चढ़े होते तो ये हादसा नहीं होता। टायर रामपुर के पास निकल गया, तब बस हाइवे पर दौड़ रही थी और बहुत बड़ा हादसा होने से बच गया।

इसके लिए जिम्मेदार कौन है? क्या इन जिम्मेदारों पर कार्रवाई होगी? जिम्मेदारों ने ही इस पूरे मामले को दबा दिया और इसमें कोई कार्रवाई किसी के खिलाफ नहीं की। फोरमैन की भूमिका संदिग्ध है। उनके खिलाफ भी अभी तक कोई कार्रवाई एआरएम और आरएम ने नहीं की है। यह फोरमैन अब रिटायर होकर चले गए हैं, लेकिन इसमें कोई कार्रवाई नहीं की।

बस में टूट-फूट होती है तो मरम्मत कराएंगे चालक

रोडवेज में एक नया खेल चल रहा हैं। खेल भी ऐसा कि आप भी सुनकर हैरत में पड़ जाएंगे। दरअसल, रोडवेज बस का यदि शीशा टूटता है तो उसका जुर्माना बस चालक को भरना होगा। बस चालक की वेतन से ये पैसा काट दिया जाएगा। वेतन से प्रत्येक माह चालकों को नुकसान हो रहा हैं। कोई भी चालक प्रत्येक माह पूरा वेतन नहीं उठा पा रहा हैं। इस तरह से रोडवेज का ये बड़ा खेल चल रहा हैं।

इसकी लखनऊ मुख्यालय को भी जानकारी नहीं दी गई। अपने स्तर से ही एआरएम और आरएम ये कार्य कर रहे हैं। बस का शीशा टूटा है तो रोडवेज विभाग इसका शीशा ठीक कराये, बस चालक पर ये भार क्यों डाला जा रहा हैं? फिर चालक का वेतन भी कोई ज्यादा नहीं हैं, फिर भी चालक का उत्पीड़न करने से अधिकारी बाज नहीं आ रहे हैं।

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