- ग्रामीण क्षेत्र में 17 और शहरी क्षेत्र में केवल आठ प्रतिशत पानी पहुंचता है जलस्रोत तक
- रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के प्रति जागरूकता का अभाव बन रहा है बड़ी बाधा
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: जनपद के ग्रामीण अंचल में अमृत महोत्सव के अंतर्गत अमृत सरोवर और अटल भूजल योजना में एक वर्ष में मेरठ जनपद में जितनी तेजी से पानी को संग्रह करने का अभियान चलाया गया है, उसे देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि इस वर्ष बारिश में तीन से पांच प्रतिशत अधिक पानी व्यर्थ बहने से बचाया जा सकेगा।
अभी तक के अध्ययन में यह बात सामने आई है कि एनसीआर में होने वाली बारिश का केवल 17 प्रतिशत पानी ही जलस्रोत तक पहुंच पाता है। जबकि बाकी 83 प्रतिशत पानी नाली से नाले, नदियों से होते हुए समुन्द्र में व्यर्थ बह जाता है। इसके अलावा अभी रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के प्रति जागरूकता का अभाव एक बड़ी बाधा बनकर उभर रहा है।
मेरठ जनपद में जल संचयन के लिए पीएम की बहुउद्देश्यीय परियोजना के अंतर्गत गांव-गांव में अमृत सरोवर बनाने के अभियान के अंतर्गत पहले चरण में चिन्हित किए गए 220 गांवों में काम शुरू कराया गया है। इनमें से 95 अमृत सरोवर पूरी तरह तैयार किए जा चुके हैं। जिनमें करीब दो करोड़ 17 लाख रुपये मनरेगा योजना में खर्च किए जा चुके हैं। परियोजना निदेशक सुनील सिंह का कहना है कि मेरठ जनपद में पहले चरण के लिए चिन्हित किए गए 220 गांवों में अब तक 95 अमृत सरोवर तैयार कराए जा चुके हैं। भूजल परियोजना का कार्य देख रहे आशीष गुप्ता ने इस बारे में बताया कि अटल भूजल योजना के अंतर्गत भी मेरठ जनपद में करीब 100 तालाबों को बनवाने का काम कराया गया है।
आने वाले समय में जिले की सभी 479 ग्राम पंचायतों में एक अमृत सरोवर बनाया जाएगा। इसके अलावा जनपद के विभिन्न गांवों में 0.2 हेक्टेयर से बड़े क्षेत्रफल में मत्स्य पालन के लिए 888 तालाब भी मौजूद हैं। यानि गांवों में तालाबों की स्थिति इतनी बुरी नहीं है, और औसतन एक गांव में दो तालाब से अधिक मौजूद हैं। हालांकि इनका क्षेत्रफल बहुत अधिक नहीं रह गया है। बीती 19 जून से समस्त विकास खंडों की विभिन्न ग्राम पंचायतों में अतिक्रमण से मुक्त कराते हुए 66 तालाबों की खुदाई का कार्य आरम्भ कराया जा चुका है। जिसमें मुख्य रूप से ऐसे तालाबों पर कार्य कराया जा रहा है, जिन पर अवैध निर्माण करके अतिक्रमण कर लिया गया था।
इसके अलावा वे तालाब भी शामिल किए गए हैं, जो पूर्ण रूप से समतल हो चुके हैं। इस पूरे अभियान का लक्ष्य तालाबों की इस खुदाई से जहां वर्षा ऋतु में जल संचयन, सिंचाई एवं भूगर्भ जल स्तर में सुधार हो सकेगा, वहीं ग्रामों के जल भराव की समस्या का स्थायी निस्तारण भी सम्भव होगा। वर्षा जल संरक्षण की दिशा में व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान चला रहे इं. बीडी शर्मा का कहना है कि एनसीआर में औसतन 800 मिमी बारिश होती है। इसमें से अभी तक ग्रामीण क्षेत्र में केवल 17 प्रतिशत और शहरी क्षेत्र में आठ प्रतिशत पानी जमीन के अंदर वहां तक पहुंच पाता है,
जहां बालू की परत होती है, और वहां से अपने लिए हम पानी विभिन्न माध्यमों से लेते हैं। बाकी 83 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्र और 92 प्रतिशत शहरी क्षेत्र में व्यर्थ जाता है। इन दिनों जिस प्रकार तालाबों के प्रति गांव-गांव में जागरूकता अभियान चला है, उससे यही अनुमान है कि इस वर्ष बारिश का तीन से पांच प्रतिशत और पानी ग्रामीण क्षेत्र में संग्रह करने की स्थिति बन जाएगी। यह अभियान जारी रहा, और रेन वाटर हार्वेस्टिंग के प्रति जागरूकता बढ़ाई गई, तो आने वाले समय में काफी हद तक जल संकट पर काबू पाया जा सकता है।