Saturday, May 31, 2025
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उच्च रक्तचाप से बचाव

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वर्तमान भागमभाग की जिंदगी में मानसिक तनाव आम बात हो गई है। व्यस्त होती जा रही जिदंगी में उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) की बीमारी आम लोगों को अपनी चपेट में लेती जा रही है। आवश्यकता इस बात की है कि समय पर इस बीमारी को पहचाना जाए और इलाज किया जाए।

यदि उच्च रक्तचाप लंबे समय तक बना रहे और इसकी जांच न करवा कर इलाज नहीं करवाया जाए तो धमनियों की अंदरूनी परत (लाइनिंग) क्षतिग्रस्त हो जाती है और जब रूधिर धमनी की इन क्षतिग्रस्त परतों के संपर्क में आता है तो वहां थक्के बन जाते हैं जो धमनी का रक्त का मार्ग अवरूद्ध (ब्लाक) कर देते हैं। इसके कारण हृदय, मस्तिष्क और गुर्दे प्रभावित होते हैं।

उच्च रक्तचाप लंबे समय तक बने रहने और हृदय, मस्तिष्क, गुर्दे प्रभावित होना खतरनाक स्थिति है, अत: बीपी मापक यंत्र से समय-समय पर जांच करवाते रहना चाहिए और रक्तचाप को नियंत्रित करने वाले उपायों का पालन करना चाहिए।

उच्च रक्तचाप की स्थिति में स्वस्थ रहने के दस टिप्स

  • तनावरहित, शांत एवं सामान्य जीवन जीना चाहिए। अधिक अनावश्यक परिश्रम एवं चिंता नहीं पालें तथा अनुशासित जीवन जिएं।
  • एकदम घबराएं नहीं। चिकित्सक की सलाह से पूरा आराम करें। नमक खाना चिकित्सक की सलाह से बंद कर दें अथवा कम कर दें। कम रक्तचाप भी खतरनाक स्थिति है, अत: इलाज इस प्रकार किया जाए कि रक्तचाप धीरे-धीरे कम हो।
  • हल्के एवं कभी-कभार बढ़ने वाले रक्तचाप से तनाव नहीं पालें, क्योंकि इससे और रक्तचाप बढ़ जाएगा।
  • रक्तचाप की स्थिति के अनुसार अपने आप दवा कम-ज्यादा नहीं करनी चाहिए। इसके लिए बीपी मापक यंत्र से रक्तचाप मापने के बाद ही दवा की मात्रा में कमी की जा सकती है इसलिए अपने मन से दवा की मात्रा नहीं बदलनी चाहिए।
  • उच्च रक्तचाप की दवाएं एकदम बंद नहीं करनी चाहिएं। इसकी दवाएं लंबे समय तक लेनी पड़ती हैं, यहां तक कि जीवन पर्यन्त भी इसलिए चिकित्सक की सलाह के बिना दवाएं बंद करने से पुन: रक्तचाप बढ़ सकता है।
  • रक्तचाप की जांच के साथ अन्य जरूरी जांच भी करवानी चाहिए, फिर तदनुसार चिकित्सक की सलाह से इलाज शुरू करना चाहिए।
  • चिकित्सक बार-बार नहीं बदलना चाहिए। चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही जीवन व्यतीत करना चाहिए। परहेज बताने पर चिकित्सक बदलने से कोई नतीजा नहीं निकलेगा बल्कि इससे और भ्रम ज्यादा पैदा होगा।
  • रक्तचाप की चर्चा मित्र, रिश्तेदारों से नहीं करनी चाहिए नहीं तो सभी अपने-अपने तजुर्बे, अनावश्यक रूप से बताएंगे और नीम-हकीम की स्थिति पैदा करेंगे।
  • जांच-पड़ताल, परीक्षण का व्यवस्थित रिकार्ड रखना चाहिए। इसकी आवश्यकता कभी भी पड़ सकती है।
  • अपने परिवार के साथ खुशहाल रहिए। स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह मत होइए।

नीरज भार्गव


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