Tuesday, June 17, 2025
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संकर सब्जियों की पौध तैयार करने की नई विधि

KHETIBADI


किसान अपने खुले खेत में पौध उगाते थे। खुले खेत में पौध उगाने की हानियों से हम अच्छी तरह से परिचित हैं। जैसे बीजों का अंकुरण कम होना, धूप, वर्षा व कीड़ों की वजह से बहुत से पौधों का खराब होना, पौधों की आपसी प्रतिस्पर्धा से होने वाले असंतुलित विकास, रोपाई के समय जड़ का जख्मी होना आदि। खुले में पौध उगाने से लगभग 30 प्रतिशत पौधे नष्ट हो जाते हैं।

पौध तैयार करने की एक नवीन विधि प्लास्टिक ट्रे या फ्लैट टेÑ विकसित की गई है, जिससे कम समय में अच्छी गुणवत्ता वाली पौध तैयार की जा सकती है। इस विधि से पार्श्व जड़ों का विकास अधिक होता है, इससे पौध जल्दी ही खेत में स्थापित हो जाती है।

प्रो ट्रे, प्लग ट्रे या फ्लैट ट्रे क्या है? : यह प्लास्टिक का बना होता है, जिसमें अनेक रूट ट्रेनी बने होते हैं। प्रोटीन के दोनों सिरे शंकु आकार के व खुले हुए होते हैं और इसके भीतर की ओर ऊपर से नीचे तक छ: लंबवत उभार होते हैं, जो पौधे के पार्श्व जड़ों को नीचे की ओर जाने में सहायता करते हैं। एक प्रोटीन  में पौधों की संख्या सुविधानुार 30 से 50 तक होती है। लंबाई की लबांई 26़5 से़मी़, चौड़ाई 23़5 से़मी़ एवं आयतन 150 सीसी होता है। एक प्रो ट्रे 10 सेमी लंबा होता है, जिसका ऊ परी सिरा 5 सेमी एवं निचला सिरा 2 सेमी व्यास का होता है। अनेक प्रो ट्रे को एक लोहे के स्टैंड में भूमि से अलग 50 सेमी की ऊंचाई पर रखते हैं।

जिससे इसका निचला सिरा हवा के संपर्क में रहे। जब पौधे की मुख्य जड़ हवा के संपर्क में आती है, तो वह प्राकृतिक रूप से सूखने लगती है और पार्श्व जड़ों का अधिक विकास होता है, जो पौध रोपण के बाद पौधे को शीघ्रता से स्थापित करने में सहायक होती है।

धूप, वर्षा, रोग एवं कीड़ों से पौधे को बचाने के लिए सुरक्षित आवरण की आवश्यकता होती है। टमाटर, शिमला मिर्च, पत्तागोभी, फूलगोभी, मिर्च, बैंगन जैसी संकर सब्जियों के पौधों को हरित गृह या जाली गृह में प्लास्कि ट्रे में उगाते हैं। पौध उगाने के लिए बनाई गई इन विशेष ट्रे को उपयुक्त मिश्रण से भरते हैं। ज्यादातर किसान इसके लिए कोको पीट यानी नारियल के रेशे के चूर्ण का उपयोग करते हैं। लगभग 100 ट्रे में भरने के लिए लगभग 100 किलोग्राम कोकोपीट काफी है। ट्रे में कोकोपीट भरने के बाद हर खाने में लगभग 5 मिमी गड्ढा बनाया जाता है।

प्रत्येक खाने में एक बीज बोकर कोकोपीट से ट्रे को फिर भरते हैं। बीज बोने के बाद आठ-दस ट्रे एक के ऊ पर एक रखी जाती हैं और एक प्लास्टिक शीट से ढका जाता है, ताकि अंदर का तापमान बढ़ जाए, जिससे बीज अंकुरण जल्दी हो सके। बीजों की प्रकृति के अनुसार अंकुरण होने में 3 से 5 दिन लगते हैं। अंकुरण के बाद इन प्लास्टिक ट्रे को हरित गृहों या जाली गृहों में लाया जाता है। बिछाई हुई प्लास्टिक शीट के ऊ पर इन ट्रे को रखा जाता है। क्यारियों के ऊ पर और प्लास्टिक शीट बिछाने से जड़ों को जमीन के अंदर जाने से रोका जा सकता हैं। पौधे 4-6 हफ्तों में रोपने योग्य हो जाते हैं। टमाटर जैसी पौध 25 दिनों में तैयार हो जाती है।

शिमला मिर्च की पौध के लिए 35-40 दिन लगते हैं। टमाटर, शिमला मिर्च, पत्तागोभी एवं मिर्च इत्यादि की पौध उगाने के लिए 98 खाने वाली प्रो ट्रे का इस्तेमाल किया जाता है। इन ट्रे को 4 से 6 बार इस्तेमाल में लाया जा सकता है। उपयोग में लाने से पहले इन्हें पानी से साफ करना अति आवश्यक है। इन ट्रे के तलों के खाने के छेद से आवश्यक पानी का निकास होता है। पौध उगाने के लिए कोकोपीट मिश्रण से जड़ें सुदृढ़ बनते हैं और इससे नमी बनाए रखने की क्षमता भी अधिक होती है।


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