Thursday, January 16, 2025
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हाल-ए-मेडिकल: आई थी आंखों की जांच कराने, हो जाता आपरेशन

  • आंखों की जांच कराने पहुंची महिला का दूसरी महिला की जगह हो जाता आपरेशन
  • रविवार को छत से गिरकर कोमा में पहुंचे मासूम को 12 घंटे नहीं मिला इलाज

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: मेडिकल में चिकित्सा सेवाएं राम भरोसे चल रहीं है। मरीजों के स्वास्थ्य के साथ जमकर खिलवाड़ किया जा रहा है। बिजनौर से अपनी आंखों की जांच कराने पहुंची महिला को दूसरी महिला की जगह आपरेशन के लिए कहा और आज आप्रेशन कराने के लिए बुलाया गया।

जब महिला के बेटे ने हंगामा किया तो डाक्टरों ने उसके साथ बदसलूकी कर दी। उधर, छत से गिरकर कोमा में पहुंचे छह साल के मासूम को 12 घंटे तक चिकित्सा सेवा उपलब्ध नहीं हो सकी। बच्चे की मां ने डाक्टरों को बुलाने को कहा तो उसके साथ स्टॉफ ने बदसलूकी कर दी।

  • केस-1

सोमवार को महिला सविता देवी अपने बेटे पंकज के साथ बिजनौर से आंखों की जांच कराने मेडिकल में आखों की ओपीडी में पहुंची थी। महिला के बेटे पंकज ने बताया उसकी मां की आंखों में कुछ समय से दर्द की शिकायत है। भारी भीड़ होने की वजह से एक घंटे बाद महिला को ड्यूटी पर मौजूद डाक्टरों ने चेकअप के लिए बुलाया। पर्चा देखने के बाद महिला को कुछ देर रूकने के लिए कहा गया। इसके बाद महिला के पास ओपीडी से ही दूसरा डाक्टर पहुंचा और किसी दूसरी महिला के पर्चे को देखते हुए सविता की आंखों का आप्रेशन होने की बात कही।

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आपरेशन की बात सुनकर महिला के बेटे ने यह कहते हुए हंगामा कर दिया कि वह पहली बार अपनी मां की आंखों का चेकअप कराने आया है। महिला को आखों में मामूली दर्द की शिकायत है लेकिन डाक्टर ने आप्रेशन करने को कैसे कह दिया। इस दौरान ओपीडी के डाक्टरों ने पंकज व उसकी मां सविता के साथ बदसलूकी कर दी जिसके बाद बिना इलाज के ही पंकज मां को वापस लेकर चला गया।

  • केस-2

रविवार को संजय नगर के रहने वाले बिट्टू का छह साल का बेटा तनु छत से गिरकर बेहोश हो गया था। परिजन बेहोशी की हालत में बच्चे को मेडिकल की इमरजेंसी में लेकर पहुंचे। लेकिन सोमवार दोपहर एक बजे तक भी बच्चे को कोई डाक्टर देखने तक नहीं पहुंचा। परिजनों का आरोप है जब भी बच्चे को देखने के लिए डाक्टरों को बुलाने की बात कही जाती तो ड्यूटी पर मौजूद स्टाफ उनके साथ बदसलूकी करने लगता।

यह सिलसिला सोमवार तक जारी रहा जबकि इस दौरान बच्चे की हालत गंभीर बनी रही। बच्चे की मां सारिका ने बताया किसी से फोन कराने के बाद डाक्टर बच्चे को देखने आए। इसके बाद बच्चे के कान में बह रहे खून को रोकने के लिए लगाई गई रूई को जब नर्सिंग स्टाफ से निकालने को कहा गया तो उसके साथ फिर बदसलूकी की गई। जबकि बच्चे के इलाज में भी कोताही बरती जा रही है।

मेडिकल में इस तरह के मामले कोई नई बात नहीं है। रविवार को भी इमरजेंसी में मरीज घंटों डाक्टरों का इंतजार करते रहे। यहां तक की एक डाक्टर टेबल पर सिर रखकर गहरी नींद में सोती रही लेकिन मरीजों की सुध लेने वाला कोई नहीं था। इसी तरह के हालात सोमवार को भी नजर आए जिसको लेकर यही कहा जा सकता है मेडिकल में मरीजों को मिलने वाली चिकित्सा सेवाएं राम भरोसे चल रही है।

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