Saturday, June 14, 2025
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हरिद्वार में किसी के लिए भी आसान नहीं पनघट की डगर

  • मैदान में उतरी पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत की फौज कांग्रेस में सन्नाटा

अवनीन्द्र कमल |

देहरादून: उत्तराखंड की सबसे हाट सीटों में शुमार हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र का मैदान अभी नहीं सज सका है। मसलन, भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को मैदान में उतार दिया है और उनकी फौज मोर्चा संभालने लग गई है। लेकिन, धुर विरोधी कांग्रेस का कौन सूरमा जोरआजमाइश करेगा,यह कहना अभी शेष है। कांग्रेस प्रत्याशी के मैदान में आने के बाद ही चुनाव दिलचस्प मोड़ पर पहुंचेगा। जानकारों का कहना है कि इस बार यहां पनघट की डगर आसान किसी के लिए नहीं होगी।

यह बताने की जरूरत नहीं कि राज्य में पहले चरण यानि कि 19 अप्रैल को सभी पांचों सीटों के लिए मतदान होगा। भाजपा ने अपने पांचों उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए हैं। दिलचस्प ये है कि सांगठनिक रूप से कमजोर पड़ी कांग्रेस ने अभी तक अपने उम्मीदवार तय नहीं किए हैं। हरिद्वार सबसे हाट सीट है, लेकिन यहां पर भी कांग्रेस असमंजस में है। अव्वल तो पूर्व सीएम हरीश रावत इस सीट को लेकर काफी उत्साहित हैं। संभव है कि रावत नहीं तो उनके बेटे वीरेंद्र सिंह रावत मैदान में आएंगे, लेकिन अभी पक्का कुछ नहीं हुआ है।

धड़धड़ा कई कांग्रेसियों ने पिछले एक सप्ताह में भाजपा का दामन थाम लिया है। वैसे भी युवा सीएम पुष्कर सिंह धामी की धमक ने कांग्रेस की कड़ाही में पानी के ऐसे छींटे मार दिए हैं कि वहां खदबदाहट मची हुई है। फिलहाल, जहां तक भाजपा की बात है तो वहां संगठन पूरी तरह सक्रिय है और मैदान में उतरे पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की हुंकार साफ सुनाई देने लगी है। पीछे मुड़कर देखें तो मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद करीब तीन सालों तक रावत ने एक तरह का वनवास झेला। उन्हो्ंने इसे स्वीकार भी किया। पिछले दिनों जब पार्टी दफ्तर में उनसे पत्रकारों ने बीते तीन सालों के बारे में सवाल किया तो पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसका दिलचस्प जवाब भी दिया। उन्होंने कहा, राजनीतिक वनवास के दौरान उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला। यह भी कहा कि बिना वनवास के रामराज्य की कल्पना नहीं की जा सकती। मतलब साफ है कि वह उत्साहित हैं और आत्मविश्वास से लवरेज भी। उधर,कांग्रेस ने पत्ते नहींं खोले हैं। एक चर्चा ये भी है कि खानपुर के विधायक उमेश शर्मा इस सीट पर अपनी पत्नी को चुनाव मैदान में उतारना चाहते हैं। वह कांग्रेस के अग्रिम पंगत के नेताओं के संपर्क में हैं। उधर, हरदा खुद या तो अपने बेटे को इस सीट से लड़ाने के मूड में हैं। फिलहाल, तस्वीर अभी साफ नहीं है। सियासी टीकाकारों का कहना है कि सन 2014 व 19 में भी भाजपा ने राज्य की पा्ंचों सीटें जीत ली थीं। इस बार भी हवा का रुख भाजपा के पक्ष में है। लेकिन, हरिद्वार सीट पर कांटे का मुकाबला होगा। मुस्लिम मतों का कांग्रेस कोएकतरफा वोट मिलेगा और दलित वोटों में भी यह पार्टी सेंध लगाएगी। भाजपा में भितरघात की भी आशंका बढ़ रही है। ऐसे में त्रिवेंद्र सिंह रावत के लिए पनघट की डगर उतनी आसान नहीं होगी, जितनी कि अन्य सीटों पर। पौड़ी गढ़वाल, अल्मोड़ा, टिहरी सीट पर भाजपा काफी मजबूत स्थिति में नजर आ रही है।

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