Monday, June 16, 2025
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मुंबई में कोरोना वायरस बेकाबू, जानिए- अब बीएमसी उठाएगी यह कदम

जनवाणी ब्यूरो |

नई दिल्ली: महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के नए मामलों ने पिछले सारे रिकॉर्ड्स तोड़ दिए हैं। केंद्र सरकार भी राज्य की कोरोना को लेकर वर्तमान स्थिति की वजह से चिंतित है। महाराष्ट्र में कोरोना के नए मामलों की वजह से 28 मार्च से नाइट कर्फ्यू का ऐलान किया गया है।

मुंबई में नाइट कर्फ्यू की शुरुआत रात 10 या 11 बजे से हो सकती है। इस दौरान, शहर के सभी होटल्स और पब बंद रहेंगे। हालांकि, नाइट कर्फ्यू के समय आवश्यक सेवाओं पर कोई रोक नहीं लगाई गई है।

मुंबई की मेयर किशोरी पेडनेकर ने बताया कि जिस भी सोसाइटी में पांच या फिर ज्यादा कोरोना के केस सामने आएंगे, उसे बीएमसी सील कर देगी। उन्होंने कहा, ”हम स्लम्स और चॉल्स में ज्यादा पॉजिटिविटी रेट देख रहे हैं। होटल्स और पब्स नाइट कर्फ्यू के समय बंद रहेंगे।”

वहीं, महाराष्ट्र के नागपुर में आज भी कोरोना के साढ़े तीन हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं। नागपुर में आज 3688 नए केस मिले, जबकि पिछले एक दिन में 54 लोगों की मौत हो गई है। नागपुर में 31 मार्च तक लॉकडाउन का ऐलान किया गया है।

महाराष्ट्र में शुक्रवार को एक दिन में कोरोना वायरस संक्रमण के सबसे अधिक 36,902 मामले सामने आए थे, जिसके बाद संक्रमितों की संख्या बढ़कर 26,37,735 हो गई। राज्य की राजधानी मुंबई में दिनभर में संक्रमण के 5,515 नए मामले सामने आए।

112 कोविड-19 रोगियों की मौत के बाद मृतकों की कुल संख्या 53,907 हो गई हैं। इन सबके बीच, शुक्रवार रात ही एक बैठक के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य में नाइट कर्फ्यू लगाने का ऐलान किया। ठाकरे ने स्थानीय अधिकारियों से रात आठ बजे से सुबह सात बजे तक शॉपिग मॉल को बंद रखना सुनिश्चित करने को कहा है।

मुख्यमंत्री ने आगाह किया है कि अगर लोग कोविड-19 सुरक्षा नियमों का पालन नहीं करते हैं तो कड़े कदम उठाए जा सकते हैं। महाराष्ट्र में शुक्रवार को कोविड-19 के 36,902 मामले सामने आए हैं जो कि अब तक के सबसे ज्यादा है। ठाकरे ने यह भी बताया कि मेरी इच्छा लॉकडाउन लागू करने की नहीं है।

वहीं, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अधिकारियों से अस्पतालों में पर्याप्त बिस्तर और दवाइयों की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए कहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों को यह समझने की जरूरत है कि कोविड-19 का खतरा अभी टला नहीं है बल्कि बढ़ गया है।

उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो संबंधित जिलों में लॉकडाउन लगाए जाने चाहिए लेकिन यह कदम अचानक नहीं उठाना चाहिए। अधिकारियों को इसकी जांच करनी चाहिए कि निजी प्रतिष्ठान कर्मचारियों की उपस्थिति और समय के मामले में दिशा-निर्देशों का पालन कर रहे हैं या नहीं।

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