पिछले दिनों अमेरिकी रक्षा विभाग की टास्क फोर्स की शोध रिपोर्ट ने उड़न तश्तरियों के आने की अनहोनियों की पहली बार खारिज नहीं किया है, बेशक साफतौर पर पुष्टि भी नहीं की। इससे दुनिया भर का ख्याल अंतरिक्ष में जीवन की सम्भावनाओं की ओर नए सिरे से मुड़ा है। अमेरिका के आॅफिस आॅफ डायरेक्टर आॅफ नेशनल इंटेलिजेंस की रिपोर्ट का लंबे अर्से से इंतजार था। बीते एक साल से गठित टास्क फोर्स ने सीनेट की इंटेलिजेंस कमेटी की देखरेख में उपलब्ध अनहोनियों के विवरण को एकत्र कर रिपोर्ट पेश की। सवाल है कि अमेरिका ही क्यों उड़न तश्तरियों के रहस्य के ताले खोलने में दिलचस्पी लेता है। शायद क्योंकि सबसे ज्यादा उड़न तश्तरियां अमेरिका में ही दिखती हैं। और तो और, अमेरिका के न्यू मेक्सिको का रेतीला शहर रोसवेल उड़न तश्तरियों की विश्व राजधानी है। दरअसल, रोसवेल में पहले-पहल 1947 में उड़नतश्तरियों का आना क्या शुरू हुआ, आज तक नहीं थमा। इसीलिए करीब साढ़े सात दशक बाद भी उड़नतश्तरियों का जिक्र छिड़ते ही रोसवेल का नाम सबसे पहले उभरता है। उड़न तश्तरियों की पहली रिकॉर्डिड घटना 2 जुलाई 1947 की शाम घटित हुई थी।
रोसवेल के जाने माने कारोबारी डेन विलमोट और उनकी पत्नी घर के आंगन में बैठे थे। यक-ब-यक उनके ऊपर से एक घूमती चमचमाती तश्तरी-सी तेजी से गुजर गई। शायद रफ्तार होगी 400 से 500 मील प्रति घंटा। डेन विलमोट का अंदाजा रहा कि तश्तरी 20-25 फुट की ऊंचाई पर उड़ रही थी। दक्षिण पूरब से आती हुई उत्तर पश्चिम में कहीं गायब हो गई।डेन विलमोट ने ‘रोसवेल डेली रिकार्ड’ अखबार को हैरतअंगेज अनहोनी की फौरन जानकारी दे दी। खबर सुर्खियां बन गई। खबर में ‘रोसवेल आर्मी एयर फील्ड’ के हवाले से बताया गया कि उड़न तश्तरी को कब्जे में ले लिया गया है।
रात की आंधी-तूफान के बाद सुबह रोसवेल से कुछ किलोमीटर परे चरवाहा डब्ल्यू. डब्ल्यू ब्रेजेल अपनी भेड़ों की खैरियत देखने गया, तो दंग रह गया। वहां लगे थे अजीबो-गरीब मलबे के ढेर। उसने थोड़ा-सा मलबा उठाया और अपने आस-पड़ोसियों को दिखाया। सभी ने शेवस कंटरी शेरिफ जोर्ज विलकोक्स को मलबे की इत्तिला दी। क्योंकि उन्हें लगा कि मलबा किसी फौजी आॅपरेशन का नतीजा है। शेरिफ ने फौरन रोसवेल आर्मी एयर फील्ड को तलब किया।बम ग्रुप के इंटेलिजेंस अफसर मेजर जेस मारसिल की पड़ताल से पहलेपहल तथ्य सामने आया कि मलबा किसी दूसरे ग्रह की उड़नतश्तरी का है।
लेकिन अगले ही रोज एयरफोर्स के कमांडर जनरल रोजर रागए ने टेक्सास स्थित वर्ल्थ आर्मी एयर फील्ड से प्रेस रिलीज किया कि मलबा तो वेदर बैलून का है और उनके रडार रिफ्लेक्टर से तश्तरी की गलतफहमी हुई। कहा गया कि मलबे में से दूसरे ग्रह से उतरे एलिन की राख भी हाथ लगी। एलिन की राख को वालर्ड फुनरल होम के मुर्दाघर में सुरक्षित रखा गया। फोरेंसिक विशेषज्ञों ने खासी जांच की। बेस अस्पताल के विशेषज्ञों की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया, लेकिन वहां मौजूद एक नर्स ने पत्रकारों को बताया, ‘पोस्टमार्टम छोटे-छोटे गैर मानव अवशेषों पर किया गया’। इसी बीच, उड़न तश्तरियों की खबर को हवा मिलने की सम्भावनाओं के मद्देनजर दो-चार दिनों में ही नर्स का इंग्लैंड तबादला कर दिया गया। यानी अमेरिकी सरकार और रहस्य पर मिट्टी डालने की कोशिशों में रही।
1947 से अब तक रोसवेल में उड़न तश्तरियों के आने का सिलसिला जारी है। सन् 1967 में दिखाई दिए साउथ पोमोल स्थित डायमंड बार के ऊपर तैरते रोशनी के गोले। फिर 1974 में, बादलों के बगैर आसमान में रोशनी की चमकारों और गर्जन ने एजोसा के लोगों को हैरत में डाल दिया। बिल्कुल लगने लगा कि बिजली गरज रही है। इसी बीच 1966 में, क्लेयर माउंट निवासियों को प्लास्टिक बैग जितनी छोटी-छोटी उड़नतश्तरियां दिखाई दीं। रहस्य से पर्दा हटे या नहीं, लोकप्रियता भुनाने के लिए रोसवेल के कारोबारियों ने कोई कसर नहीं छोड़ी। 1992 में, उड़न तश्तरियों के शहर में पर्यटकों को बुलाने के लिए ‘इंटरनेशनल यू.एफ.ओ. म्यूजियम एंड रिसर्च सेंटर’ चालू किया। अब तक दुनिया भर से डेढ करोड़ से ज्यादा पर्यटक यहां घूमने आ चुके हैं।
हालांकि अमेरिकी वैज्ञानिक दशकों से उडन तश्तरियों पर शोध कर रहे हैं। साल 1947 से 1969 तक प्रोजेक्ट ब्लू बुक नाम से एक जांच अभियान भी चलाया गया था। लेकिन ताजा रिपोर्ट दुनिया के सबसे जटिल रहस्य के राज खोलने का आधार बनने की उम्मीद है। शुरू से दुनिया यूएफओ का मतलब सुदूर अंतरिक्ष से आए हवाई यानों को मानती रही है। बताते हैं कि अमेरिका द्वारा उड़न तश्तरियों की परतों को उजागर करने की गम्भीरता महज अंतरिक्ष के प्राणियों के अस्तित्व के चलते नहीं हैं, बल्कि नागरिक उड्डयन और राष्ट्रीय सुरक्षा की वजह से भी है।
अमेरिकी पायलटों ने कम से कम 11 ऐसी घटनाओं का जिक्र किया है, जिनमें दुर्घटना होते-होते बची। रिपोर्ट में अविश्वसनीय तकनीक की सम्भावनाओं का उल्लेख है, जिससे यान आकाश में अतुलनीय गति से उडते हैं और सागर तक में घुस जाते हैं। कुल 144 हादसों में महज एक विशाल बैलून से जुड़ा था, जो गैस के अभाव से फटा था। सम्भावना है कि कुछ घटनाएं अंतरिक्ष में धूमकेतु या जलवायु से जुड़ी हों। कुछेक का नाता चीन, रूस या किसी अन्य देश के आकाशीय प्रयोगों का हिस्सा होने से इंकार नहीं किया जा सकता।
साल 2004 से 2021 के बीच अमेरिकी सेना के पायलटों ने आकाश में उड़न तश्तरियों को देखा है। साफतौर पर मत रखने की बजाय दोहरी नीति अपनाते रहे हैं कि यह अंतरिक्ष से आए प्राणियों का अंजाम हो सकता है और नहीं भी। बावजूद इसके ये भौतिक हैं और आंखों का धोखा नहीं हैं, क्योंकि आधे से ज्यादा हादसों को सेंसरों, कैमरों, रेडारों और इंफ्रारेड रिकॉर्डरों ने रिकॉर्ड किया है। इनमें से 18 घटनाएं इस लिहाज से अद्भुत थीं कि इनकी उड़ान बहती हवा से उलट दिशा में रही, या अचानक गायब हो गर्इं, या फिर यक-ब-यक प्रकट हुईं। उल्लेखनीय है कि 1968 में कोलोरैडो विश्वविद्यालय के एडवर्ड यू कोंडॉन ने उड़न तश्तरियों पर पहला विस्तृत शोध किया था।
तब जाहिर किया गया कि खोज जारी रखने लायक कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिलती। इसके तीस साल बाद स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी की टीम ने निष्कर्ष निकाला कि अधिसंख्य हादसों के भौतिक प्रमाण मौजूद हैं। अत: इनका वैज्ञानिक अध्ययन करना बनता है। उधर अंतरिक्ष में बुद्धिमान प्राणियों की सम्भावनाओं पर सर्च फॉर एक्स्ट्रा टेरेस्ट्रियल इंटेलिजेंस के तहत दशकों से जारी शोध का मोटा अंदाजा है कि अकेले पृथ्वी की आकाशगंगा में छोटे-बड़े 30 करोड़ से ज्यादा ग्रहों पर जीवन मुमकिन है।