Monday, January 20, 2025
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श्रीमद् भागवत कथा में बरसा ‘अमृत’ रस

  • मानव को राष्ट्र के प्रति होना चाहिए समर्पित: रमेश भाई ओझा

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन चिंतक विचारक राष्टÑ संघ रमेश भाई ओझा ने कहा कि मानव शरीर भगवान कृपा से सेवा के लिये मिला है। राष्ट्र आपका है, और आप राष्ट्र के लिये हैं। इसलिये हम सबको राष्ट्र के प्रति समर्पित रहना चाहिए। दोपहर बाद तीन बजे भाईश्री का पंडाल द्वार पर शंख ध्वनि व मंत्रोच्चार के साथ अभूतपूर्व स्वागत हुआ। उनके व्यास पीठ पर विराजमान होने के बाद नित्य क्रिया अनुसार मुख्य यजमान मीनाक्षी ज्वैलर्स परिवार की ओर से रामकिशोर (सर्राफ) ब्रजबाला, विपिन अग्रवाल, अल्का अग्रवाल, नीरज अग्रवाल, दीप्ती अग्रवाल, पीयूष अग्रवाल, अंजली अग्रवाल, अमरीश अग्रवाल, रितिका अग्रवाल ने भागवत जी की पूजा अर्चना की एवं भाईश्री का माल्यार्पण कर स्वागत किया।

इसके उपरांत आचार्य अखिल परमानन्द महाराज (नंदिनी दरबार), संजय बंसल, विनीत बंसल, गिरीश मोहन गुप्ता, रवि माहेश्वरी, अशोक बंसल, सुरेश चंद (पुष्पदीप), अनिल अग्रवाल, पंकज मित्तल, तरुण गुप्ता ने व्यासपीठ को प्रणाम कर भाईश्री से आशीर्वाद प्राप्त किया। भाईश्री ने कथा प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए कथा जहां से कही जाती है उसको व्यास पीठ कहते है, व्यास का अर्थ विस्तार है। मानव शरीर भगवान कृपा से सेवा के लिये मिला है। राष्ट्र आपका है और आप राष्ट्र के लिये हैं। इसलिये हम सबको राष्ट्र के प्रति समर्पित रहना चाहिए।

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उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उस कथन को बताया जिसमें उन्होंने कहा था कि बहुत से लोगों ने फ्रीडम खंड नहीं देखा। पर वह अब सोचें कि हम राष्ट्र के किस काम आ सकते हैं। पूज्य ओझा जी ने सुझाया कि बली के ऐसा राष्ट्र के प्रति समर्पण होना चाहिए। कथा के समय ओउम का उच्चारण कैसे करें, उसकी महिमा और क्या लाभ है, बहुत विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने कहा कि मनुष्य का शरीर विषय भोग के लिये नहीं है। नहीं तो उसमें और पशु में क्या अंतर रहेगा, पुन: क्षय होते रहेंगे। स्वर्ग की कल्पना विभिन्न धर्मों में अनेक प्रकार से है।

पर सनातन में स्वर्ग के कल्पना पाप से बचने का भय रहे तो अच्छे पुण्य कार्य करते रहेंगे। स्वर्ग सुख भी शाश्वत नहीं है। कथा उपरान्त आरती हुई तथा कथा का समापन हुआ। कथा अध्यक्ष सतीश कुमार सिंघल, महामंत्री ज्ञानेन्द्र अग्रवाल, कोषाध्यक्ष, अशोक गुप्ता (सर्राफ), ब्रजभूषण गुप्ता आदि अपने सहयोगियों कर्तव्यनिष्ठ कार्यकर्ताओं के साथ उपस्थित रहे। प्रसाद सेवा जयश्री पेठा भंडार, टाटा अन्जनय मोटर की तरफ से की गई।

ईश्वर और सत्य को धारण करने वाली शक्ति है श्रद्धा: आचार्य प्रभुद्धानंद

साकेत स्थित शिव मंदिर के सत्संग भवन में प्रवचन करते हुए स्वामी प्रभुद्धानंद आचार्य चिन्मय मिशन इंदौर ने गीता अध्याय 12 भक्ति योग पर प्रवचन किए। छह दिवसीय ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन भक्ति योग पर अपने प्रवचन करते हुए उन्होंने कहा कि सगुन बाबा भक्त अपने मन की समस्त भावनाएं भगवान को अर्पित कर देता है। यदि अंतरण सत्य है तो अंतर्यामी भी सत्य है। सगुन की भक्ति में जीवात्मा को स्वीकार किया जाता है। जीव के पास इच्छाओं का अंबार है, लेकिन शक्ति के नाम पर यह शून्य है।

जीव भाव में वह कहता है कि मैं पतित, तुम पतित पावन हो। भाव शुद्ध का नाम भक्ति है। व्यक्ति अपने भावों को 24 घंटे बना कर रख सकता है। श्रद्धा ईश्वर व सत्य को धारण करने वाली शक्ति है। उन्होंने कहा कि श्रद्धा से भरोसा ज्यादा बढ़ जाता है, भरोसा करने का नाम भक्ति है। जिस व्यक्ति की श्रद्धा बढ़ जाती है, उसका समर्पण भाव बढ़ जाता है। इस अवसर पर टीपी गुप्ता, डॉ. वीपी सिंह, विजय सिंह, उमा त्यागी, सीपी सिंह, ब्रह्मचारिणी मंदाकिनी आदि उपस्थित रहे।

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