Wednesday, June 18, 2025
- Advertisement -

कैंसर को मात देने की चुनौती

SAMVAD


34 4दुनिया भर के वैज्ञानिक कैंसर का प्रभावी इलाज खोजने के लिए लगातार शोध कर रहे हैं। उसी का नतीजा है कि आज कीमोथेरेपी के अलावा कई ऐसे उपचार तैयार कर लिए गए हैं जिससे कैंसर को मात देने में सफलता मिल रही है। आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले चार दशकों में कैंसर से उबरने वाले लोगों की संख्या में दो गुना इजाफा हुआ है। यूनिवर्सिटी आॅफ जेनेवा और स्विट्जरलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ़ बासेल के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा डिजायनर वायरस तैयार किया है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को अधिक सक्रिय कर कैंसर के प्रोटीन को खत्म कर रहा है। उधर, लंदन के इंस्टीट्यूट ऑफ़ कैंसर रिसर्च के वैज्ञानिकों ने भी अंडाशय कैंसर के लिए प्रभावी दवा तैयार करने का दावा किया है। आंकड़ों पर गौर करें तो 1991 से अब तक कैंसर से मृत्यु दर में जकरीबन 23 प्रतिशत गिरावट दर्ज हुई है। आज 3.2 करोड़ लोग कैंसर को मात देकर जीवन जी रहे हैं।

भारत की बात करें तो यहां सालाना होने वाली कुल मौतों में से तकरीबन 6 फीसदी यानि 3.5 लाख लोगों की मौत कैंसर से होती है। यह दुनिया भर में कैंसर से होने वाली कुल मौतों का 8 फीसद है। एक अन्य आंकड़ें के मुताबिक देश में हर रोज 13000 लोगों की मौत कैंसर से होती है। राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम के मुताबिक वर्ष 2020 में तकरीबन 14 लाख लोगों की मौत कैंसर से हुई। इसके मरीजों की संख्या में प्रतिवर्ष 12.8 फीसद की बढ़ोत्तरी हो रही है। एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2025 में यह बीमारी 15 लाख से अधिक लोगों की जिंदगी लील सकती है। भारत के संदर्भ में कैंसर की प्रमुख वजहों पर नजर दौड़ाएं तो इसके लिए मुख्य रुप से अशिक्षा, कुपोषण, गरीबी, कम उम्र में विवाह, महिलाओं का बार-बार गर्भवती होना और खराब सेहत जिम्मेदार है।

अगर इस दिशा में सुधार के कदम उठाएं जाए तो परिणाम बेहतर हो सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कैंसर के उपचार के विकल्प को मात्र तीन तरीके से पाटा जा सकता है। इसके लिए सबसे पहले वैश्विक समुदाय को विकासशील देशों में कैंसर की जांच के लिए कार्यक्रम चलाने में मदद देनी चाहिए। इसके तहत रेडियोथेरेपी मशीनें उपलब्ध कराने के साथ ही भारत सरकार की राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना की तरह आम लोगों के लिए बुनियादी स्वास्थ्य बीमा को अपनाने का बढ़ावा दिया जाना चाहिए। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर हर साल कैंसर के उपचार में पूरी दुनिया में 320 अरब डॉलर का निवेश किया जाए तो कैंसर से होने वाली मौतों की संख्या आधी हो जाएगी।

अगर सर्वाइकल व स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाएं समय रहते पपानीकोलाउ (पैप) स्मीयर और मैमोग्राम स्क्रीनिंग टेस्ट कराकर तुरंत इलाज कराएं तो इस भयंकर बीमारी से छुटकारा मिल सकता है। विशेषज्ञों ने शोध में पाया कि वर्तमान समय में दुनिया की प्रत्येक 7 महिलाओं की मौतों में एक की मौत कैंसर से हो रही है। एक अन्य शोध से भी उद्घाटित हो चुका है कि 2030 तक सर्वाइकल (बच्चेदानी का मुंह) कैंसर से पीडित महिलाओं की संख्या में 25 फीसद का इजाफा होगा। उल्लेखनीय है कि मौजूदा समय में सर्वाइकल कैंसर की चपेट में आकर हर साल दुनिया में तकरीबन 2 लाख 75 हजार महिलाओं की मौत हो रही है।

आंकड़ों पर गौर करें तो सर्वाइकल कैंसर के कारण दम तोड़ने वाली महिलाओं की 85 फीसदी आबादी केवल विकासशील देशों से है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो कैंसर से सर्वाधिक लोगों की मौत अफ्रीका, एशिया और दक्षिण अमेरिका में रहने वाले लोगों की होती है। कैंसर के कारण मरने वाले 70 फीसद से अधिक लोग इन्हीं तीन महाद्वीपों के होते हैं।

चिंता की बात यह भी कि कैंसर से पीड़ित महिलाओं के सर्वाधिक मामले भी गरीब देशों में ही देखे जा रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक महिलाओं के कैसर के मामलों में 56 से 64 फीसद मौतें गरीब देशों में होती है। उल्लेखनीय तथ्य यह कि गरीब देशों में कैंसर से होने वाली कुल मौतों में दो तिहाई स्तन कैंसर और 10 में से 9 सर्वाइकल कैंसर से होती है। शोधकतार्ओं की मानें तो तेजी से होते आर्थिक बदलाव से बढ़ती शारीरिक निष्क्रियता, असंतुलित खुराक, मोटापा और प्रजनन कारकों के चलते गरीब देशों में कैंसर पीड़ित महिलाओं की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। अगर नियमित शारीरिक गतिविधि को बढ़ावा दिया जाए तो इससे शरीर संतुलित रहेगा और एक तिहाई कैंसर के मामले रोके जा सकते हैं। चिकित्सकों का कहना है कि एक तिहाई से ज्यादा कैंसर तंबाकू या उससे बने उत्पादों के सेवन की देन है जबकि एक तिहाई खान-पान व रहन-सहन या दूसरे कारणों हो होते हैं।

जहां तक महिलाओं द्वारा तंबाकू का सेवन का सवाल है तो इनकी संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। महिलाओं को तंबाकू के सेवन से बचना चाहिए क्योंकि उनका शरीर तंबाकू के प्रति उच्च संवेदनशील होता है। तंबाकू के सेवन से उनमें सर्वाइकल कैंसर का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। तंबाकू के सेवन के अलावा घर व बाहर का वायु प्रदूषण भी कैंसर के बढ़ते खतरे का शबब बनता जा रहा है। भारत में बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 35 से 45 वर्ष के आयु वर्ग के लोग विभिन्न प्रकार के कैंसर के जोखिम के दायरे में आ रहे हैं जिसके लिए काफी हद तक वायु प्रदुषण भी जिम्मेदार है।

कैंसर विशेषज्ञों का कहना है कि कैंसर के 90 फीसद से ज्यादा मरीजों का फर्स्ट स्टेज में इलाज हो सकता है। पर देखा जाए तो इस स्तर पर ठोस पहल नहीं होती है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इस दिशा में ठोस पहल नहीं हुआ तो 2025 तक सामने आने वाले कैंसर के नए मामलों में 70 फीसद मामले विकासशील देशों के हो सकते हैं।


janwani address 8

What’s your Reaction?
+1
0
+1
2
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Delhi-NCR में मौसम ने ली राहत भरी करवट, बारिश और ठंडी हवाओं से भीषण गर्मी से राहत

नमस्कार,दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और...

Saharanpur News: अहमदाबाद विमान हादसे में मारे गए लोगों को व्यापारियों ने दी भावपूर्ण श्रद्धांजलि

जनवाणी ब्यूरो |सहारनपुर: पश्चिमी व्यापारी एकता व्यापार मंडल के...

Saharanpur News: इब्राहिम सैफी खानदान को मिला नया रहनुमा, हाजी इस्लाम सैफी बने मुखिया

जनवाणी ब्यूरो |सहारनपुर: सैफी समाज की बैठक में सर्वसम्मति...
spot_imgspot_img