Sunday, July 20, 2025
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मृतक और घायलों के आश्रितों को मिले चेक

  • औद्योगिक विकास राज्यमंत्री जसवंत सैनी ने बांटे छह-छह लाख के चेक
  • करंट से घायल हुए लोगों को मिले 50 हजार के चेक

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: भावनपुर थाना क्षेत्र के गांव राली चौहान के पास शनिवार को देर शाम हाइटेंशन लाइन की चपेट में आने से छह कांवड़िये लख्मी, लक्ष्य, महेंद्र, प्रशांत, प्रशांत और मनीष की मौत हो गई थी। जब कि विशाल, सैंसर, राहुल, विवेक, अभिषेक, रोहताश गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

डीएम की घोषणा के बाद राज्य सरकार की ओर से गुरुवार को औद्योगिक विकास राज्यमंत्री जसवंत सैनी, हरपाल सैनी, विक्रम सैनी, ब्लॉक प्रमुख कौशल चौहान, हरवीर पाल, लोकेश प्रजापति, सांसद राजेद्र अग्रवाल के साथ साथ एडीएम ई अमित कुमार, तहसीलदार गांव राली चौहान पहुंचे। जहां पर मृतक लख्मी व महेंद्र को पांच-पांच लाख रुपये प्रदेश सरकार व ऊर्जा विभाग की ओर से एक-एक लाख के चेक पीड़ित परिवार को सौंपे गए। वहीं, मृतक हिमांशु, प्रशांत, मनीष व लक्ष्य के परिजनों को प्रदेश सरकार द्वारा चार-चार लाख और ऊर्जा विभाग की ओर से एक-एक लाख के चेक दिए गए।

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इसके साथ ही घायल विशाल, सैंसर, राहुल, विवेक, अभिषेक, रोहताश को प्रदेश सरकार के द्वारा 50-50 हजार रुपये के चेक बतौर मुआवजा पीड़ित परिवार को दिए गए। वहीं, एसएसपी रोहित सिंह सजवाण ने बताया कि ग्रामीणों की ओर से अज्ञात लोगों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज कराया गया है। विवेचना में आरोपियों के नाम सामने आ जाएंगे। इसके बाद आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। वहीं, गुरुवार को जांच कमेटी ने गांव का दौरा नहीं किया।

इंसानियत तार-तार: फीस भी ले ली, फिर भी डाक्टर ने नहीं किया इलाज

मेरठ: डाक्टरों को भगवान का रूप माना जाता है, लेकिन जब यही किसी मरीज का इलाज करने से मना कर दे तो इन्हें क्या कहा जाएगा, यह सवाल उठ रहा है। गुरुवार को गंगानगर में एक डाक्टर की अजीबोगरीब हरकत सामने आई है। यहां रहने वाला अभिषेक 28 दिन के नवजात शिशु को शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ डा. मनोज शर्मा के पास लेकर पहुंचा।

बताया जा रहा है कि डाक्टर ने ओपीडी में आने से पहले अभिषेक से फीस जमा कराई, लेकिन फीस जमा होने के बाद डाक्टर ने नवजात शिशु को देखने से मनाकर दिया और उसे दिव्य ज्योति हॉस्पिटल में भर्ती करने की सलाह दे दी। जब अभिषेक ने डा. मनोज से कहा कि उनकी माली हालत ठीक नहीं है। इस वजह से वह बच्चे को हॉस्पिटल में भर्ती कराने में असमर्थ है।

यह बात सुनते ही डाक्टर ने बच्चे के पिता से नाराजगी जताते हुए ओपीडी पर्चे पर दवाई लिखने से भी साफ इंकार कर दिया। इसको लेकर अभिषेक व डा. मनोज के बीच तीखी नोकझोंक हो गई। कई बार डाक्टर से बच्चे को देखने के बाद दवा लिखने को कहा गया, लेकिन वह इसके लिये भी तैयार नहीं हुए। डाक्टर की इस करतूत ने मानवता को तार-तार करने की मिसाल पेश की है। साथ ही डाक्टरी जैसे सम्मानित पेशे को भी कलंकित किया है।

नहीं लौटाए पीड़ित के पैसे

जब बच्चे के पिता अभिषेक ने इलाज नहीं करने वाले डा. मनोज शर्मा से फीस के रूप में दिये पैसे वापस मांगे तो उनके साथ बदसलूकी करते हुए पैसे भी नहीं लौटाए गए। सवाल यह कि एक ओर डाक्टरों को भगवान का रूप माना जाता है तो यह घटना इसका उपहास उड़ाने के लिए काफी है। डा. मनोज शर्मा ने पीड़ित अभिषेक को क्लीनिक से वापस भेज दिया। जिसको लेकर अभिषेक मानसिक तनाव में आ गया और अपने पुत्र को इलाज के लिए दूसरे डाक्टर के पास लेकर गया।

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