Monday, January 20, 2025
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रजवाहों की सफाई के नाम पर हो रहा भ्रष्टाचार

  • महज कागजों में हो रही रजवाहों की सफाई, नाले में तब्दील सरधना माइनर

जनवाणी संवाददाता |

सरधना: क्षेत्र में रजवाहों की सफाई के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। रजवाहों व माइनर की सफाई महज कागजों में ही होकर सिमट रही है। फाइलों के पेट भरकर सरकारी खजाने खाली करने का काम किया जा रहा है। भ्रष्टाचार का यह खेल कर ऊपर से नीचे तक मिलीभगत से हो रहा है। धरातल पर रजवाहों की हालत खराब है। सरधना माइनर वर्तमान में भी पूरी तरह से नाले में तब्दील है। माइनर कचरे और घास फूंस से बंद पड़ा है। सफाई के नाम पर चंद स्थान पर मामूली सिल्ट निकाली गई है। ताकि फोटो खींचकर फाइलों की पूर्ति की जा सके। यदि कायदे में रजवाहों की सफाई की जांच होने लगे ताम ठेकेदार से लेकर तमाम अधिकारियों की गर्दन फंस जाएगी।

सिंचाई विभाग द्वारा हर साल रजवाहों की सफाई के नाम पर मोटी रकम खर्च की जाती है। ताकि रजवाहों में टेल तक पानी पहुंच सके है और किसानों को खेतों की सिंचाई करने में परेशानी न उठानी पड़े। मगर सिंचाई हर साल सफाई के नाम खेल कर देता है। रजवाहों की सफाई के नामपर जमकर भ्रष्टाचार किया जाता है। सफाई के नाम पर महज खानापूर्ति क्ी जाती है। सरधना क्षेत्र में रजवाहों की हालत खराब है। क्योंकि उनकी सफाई नहीं होती है। कागजों में रजवाहों की सफाई दिखाकर सरकारी खजाना ढीला करने का काम किया जार हा है। जिसमें विभाग से लेकर ठेकेदार पूरी चेन शामिल है। सरधना राइट माइनर से नवाबगढ़ी, सरधना, मंढियाई आदि गांवों के किसान अपने खेतों की सिंचाई करते हैं।

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वर्तमान में यह माइनर पूरी तरह नाले में तबदील है। कहने को हाल ही में इस माइनर की सफाई की गई है। मगर सफाई सिर्फ कागजों में हुई है। हालत यह है कि माइनर कचरे से अटा पड़ा है। सफाई के अभाव में माइनर में घास उग आई है। सफाई करने के नाम पर कुछ एक टुकड़े से सिल्ट निकाला गया है। ताकि फोटो खींचकर फाइलों का पेट भरा जा सके। सालों से किसानों को इस माइनर का लाभ नहीं मिल रहा है। हर साल सफाई के नाम पर रकम हजम कर ली जाती है। यदि कायदे में सफाई के खेल की जांच करा दी जाए तो तमाम अधिकारियों की नींद उड़ जाएगी।

डेयरी संचालकों ने बना दिया नाला

सरधना राइट माइनर सफाई के अभाव में नाला बन चुकी है। क्योंकि सालों से माइनर की सफाई नहीं हुई है। इसी का फायद उठाकर माइनर के आसपास संचालकों ने डेयरी बना ली हैं। डेयरी संचालक भैंसों का गोबर माइनर में बहाते हैं। सिंचाई विभाग भी नोटिस जारी करने से आगे कार्रवाई नहीं करता है। जेब गर्म होते ही नोटिस से आगे की कार्रवाई खुद रुक जाती है। यही हाल रहा तो कुछ सालों बाद माइनर अपना अस्तित्व की खो देगा।

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