काला नीम या मीठी नीम जिसे करी पत्ता के नाम से जानते हैं यह संगधीय श्रेणी का पौधा है। करी पत्ता का वैज्ञानिक नाम मुरार्या कोएनिगी है। करी पत्ता वृक्ष मूल रूप से भारत और श्रीलंका में पाया जाता है। हेल्थ कांसेस लोग जिन्हें स्वास्थ्य की विशेष फिक्र रहती है े मीठी नीम के पत्तों को सलाद में भी प्रयोग करते हैं े साऊथ इन्डियन व श्री लंका व्यंजनों के छौंक में, खासकर रसेदार व्यंजनों में, बिलकुल तेज पत्तों की तरह, इसकी पत्तियों का उपयोग किया जाता है।
करी पत्ता के पेड़ का वानस्पतिक स्वरूप
यह एक फैलने वाली झाड़ी है। तना गहरे हरे से लेकर भूरे रंग का होता है जिसमें असंख्य बिन्दु बने होते है। मुख्य तने की परिधि लगभग16 से.मी. होती है। मीठी नीम की पत्तियां 30 सेमी लंबी होती हैं। साथ ही प्रत्येक पर 24 पत्रक होते हैं। मीठी नीम के पत्रक भाले के आकार के लगभग 4.9 सेमी लंबे, व लगभग 1.8 सेमी के चौड़े होते हैं। इसके डंठल की लंबाई लगभग 0.5 सेमी होती है।
जलवायु व तापमान
मीठी नीम का पौधा एक उष्णकटिबंधीय और उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु का पौधा है इसकी बढ़वार उष्णकटिबंधीय और उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु में सबसे अच्छी होती है। पूर्ण सूर्य की रोशनी के साथ इसे गर्म तापमान की आवश्यकता होती है। मीठी नीम करी पत्ता पौधे को समुद्र तल से1000 मीटर की ऊंचाई पर भी उगाया जा सकता है।
भूमि की जानकारी
करी पौधा की खेती के लिए उपजाऊ छिद्रयुक्त व उचित जल प्रबंधन वाली दोमट भूमि उपयुक्त होती है े मीठी नीम के लिए चयनित मृदा में जल ग्रहण करने की क्षमता होनी चाहिए। भूमि का पीएच 6 से 7 के बीच होना चाहिए।
भूमि की तैयारी
मीठी नीम की खेती के लिए खेत को 2 से 3 जुताइयां कर हर जुताई के बाद पाटा चलाकर खेत को समतल कर लेना चाहिए। खेत को ढेले रहित व भुरभुरा बना लेना चाहिए।
फसल पद्धति की जानकारी
मीठी नीम के पौधे रोपाई के लिए बीजों के द्वारा आसानी से उगाया जा सकता है। इस प्रकार उत्पादन बहुतायत से होता है। बीजों को गूदे से अच्छी प्रकार निकल कर साफ करें रोपाई के समय किसान भाई ध्यान दें की मीठी नीम के बीजों को उनके आकार की गहराई तक लगाना चाहिए, ताकि उनमें अंकुरण शीघ्र हो।
खाद व उर्वरक
खेत की तैयारी के समय मिटटी में 250-300 कुंतल सड़ी गोबर की खाद सामान रूप से खेत में मिला देना चाहिए। इसे वैसे तोअधिक उर्वरक की आवश्यकता नहीं होती है। किन्तु पौधे के विकास के दौरान सप्ताहिक रूप में उर्वरक देना अच्छा रहता है े
सिंचाई जल निकास व खरपतवार प्रबंधन
मीठी नीम का पौधा अधिक जलमांग वाला ्रपौधा है। किसान भाई गर्मियों के दिनों में फसल पर नियमित रूप से सिंचाई अवश्य करें। वहीं सर्दियों में किसान भाई हल्की सिंचाई करें पर ध्यान रहे इस समय उर्वरक बिलकुल नही दें। सिंचाई के बाद भूमि नम हो जाती है। अब निराई गुड़ाई करना चाहिए निराई गुड़ाई कर खरपतवार को निराई कर फसल से निकाल देना चाहिए। साल में1-2 बार निराई की आवश्यकता होती है। निराई करते समय पौधों पर मिटटी चढ़ा दें ताकि जड़े खुली न रहें।
तुड़ाई व फसल कटाई का समय
मीठी नीम के पौधे में जब पर्याप्त वानस्पतिक विकास हो जाए, मीठी नीम के पौधे की शाखाओं में पत्तियां पूर्ण विकसित हो जाएं, मीठी की नीम की तुड़ाई कर सकते हैं। वैसे तो आवश्यकता पड़ने पर इसकी पत्तियों को किसी भी समय तोड़ा जा सकता है। परिपक्व व बड़ी पत्तियों की तुड़ाई हाथ से करनी चाहिए। अविकसित पत्तियों की तुड़ाई किसान न करें। ऐसी पत्तियों की तुड़ाई अगले चक्र में करें े
सुखाना
मीठी नीम तोड़ी गयी सभी संपूर्ण पत्तियों को इकट्ठा करके छायादार जगह में सुखा लें। पत्तियों को पलटते रहें, जिससे की पत्तियां सड़ने न पाएं अन्यथा उनकी गुणवत्ता प्रतिकूल असर पड़ता है। बाजार में ऐसी पत्तियों का उचित दाम भी नहीं मिल पाता। साथ ऐसी पत्तियों से बनाएं चूर्ण में भी अन्य स्वस्थ पत्तियों से बनाये गये चूर्ण के बराबर खुशबू व गुणवत्ता नहीं होती है।
पैकेजिंग
मीठी नीम या करी पत्ता की पत्तियों की पैकेजिंग हेतु वायुरोधी थैले आदर्श व सर्वोत्तम माने जाते हैं। करी पत्ता की पत्तियों को पालीथीन या नायलोन के थैलों में पैक कर के बाजार में भेजने के लिए तैयार तैयार किया जाता है।
भंडारण
मीठी नीम की पत्तियों को शुष्क स्थान में भंडारित करना चाहिए। करी पत्ता की पत्तियों का भंडारण गोदाम भंडारण सर्वोत्तम होता है। कोल्ड स्टोरेज इसके लिए उपयुक्त नही होते।