जनवाणी संवाददाता |
मोरना: शुकतीर्थ स्थित श्री शुकदेव आश्रम के प्रांगण में श्री राम मन्दिर के निकट महाराष्ट्र से पधारे केशव दिगंबर गलांडे के द्वारा नवनिर्मित भगवान दत्तात्रेय की मूर्ति पूजा महाराष्ट्र से पधारे विद्वान ब्राह्मणों द्वारा कराई गई। मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा एवं मन्दिर का लोर्कापण महाराष्ट्र के अंजनगांव सुर्जी से पधारे सुप्रसिद्ध एवं विद्वान कथावाचक जितेन्द्र नाथ महाराज एवं भागवत पीठाधीश्वर स्वामी ओमानन्द के द्वारा संयुक्त रुप से किया गया।
स्वामी ओमानन्द महाराज ने अपने आशीर्वचन में कहा कि भगवान दत्तात्रेय हमारी भारतीय संस्कृति की जीवन धारा के शाश्वत प्रतीक है। इस पृथ्वी पर उनका अवतरण विश्व की अनोखी घटना है। दत्तात्रेय भगवान विष्णु के अंशावतार हैं और महर्षि अत्रि और महान पतिव्रता नारी अनुसुईया के पुत्र हैं। उनके पिता अत्रि आज भी सप्तर्षि मडंल में विचरण करते हैं। परीक्षित जब शुकतीर्थ में अपने मोक्ष के लिए आए।
उस समय दत्तात्रेय के पिता महर्षि अत्रि सबसे पहले इस तीर्थ में पधारें। दत्तात्रेय ने अपने जीवन मे 24 गुरु बनाए, जिनमें पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि, आकाश, सूर्य एवं चन्द्रमा आदि हैं। इन गुरुओं से ली गयी शिक्षा मानवता के लिए सर्वथा कल्याणकारी है इसलिए दत्तात्रेय का जीवन प्रेरणा का स्त्रोत है। उन 24 गुरुओं से प्राप्त शिक्षा सम्पूर्ण मानवजाति के लिए एक वरदान है।
सर्वोच्च जीवन जीने का दर्शन तथा पथ प्रदर्शक है। केशव दिगंबर गलांडे एवं उनकी पत्नी सरयू केशव गलांडे ने अपने पिता स्व. दिगंबर शंकर गलांडे की पावन स्मृति में मन्दिर का निर्माण कराकर भागवत पीठ श्री शुकदेव आश्रम को समर्पित किया। इस अवसर पर महाराष्ट्र के ठाणे एवं विभिन्न जिलों से 200 से अधिक श्रद्धालुओं की उपस्थिति में भव्य रुप से मंत्रोच्चारण के साथ विधि विधान से मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कराई गई। इस अवसर पर यज्ञाचार्य हेमन्त शास्त्री धर्माधिकारी, विशाल सागर, ठाकुर प्रसाद, आचार्य युवराज आदि उपस्थित रहे।