Friday, April 25, 2025
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Diwali 2023: कल मनाया जाएगा दिवाली का त्योहार, जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि, और मंत्र

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। सनातन धर्म में त्योहारों की लाइन लगी हुई हैं। कभी होली, कभी दशहरा तो कभी दिवाली। सभी त्योहारों के अपने अपने महत्व होते हैं। ऐसे हीं, दिवाली भी सनातन धर्म के ​लोगों के लिए बेहद खास पर्व माना जाता है। दिवाली का त्योहार हर साल कार्तिक के महीने में अमावस्या तिथि के दिन मनाया जाता है। जोकि कल यानि 12 नवंबर को पड़ रही है। दिवाली को देशभर में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

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दिपक की रोशनी से पूरा देश चमचमा उठता है। दिवाली की रात लक्ष्मी-गणेश की पूजा का सबसे अधिक महत्व होता है। मान्यता है कि यदि आप सच्चे मन और विधि विधान से पूजा करते हैं, तो धन की देवी मां लक्ष्मी और बुद्धि के देवता गणेश आपसे प्रसन्न रहेंगे। आपका पूरा साल अच्छा बीतेगा और आप पर लक्ष्मी-गणेश जी की कृपा बनी रहेगी। दिवाली की रात सर्वार्थ सिद्धि की रात मानी जाता है। तो चलिए जानते है दिवाली का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि..

दिवाली पुजन शुभ मुहूर्त 2023

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दिवाली की पूजा का शुभ मुहूर्त 12 नवंबर की शाम 5 बजकर 40 मिनट से लेकर 7 बजकर 36 मिनट तक है। वहीं लक्ष्मी पूजा के लिए महानिशीथ काल मुहूर्त रात 11 बजकर 39 मिनट से मध्यरात्रि 12 बजकर 31 मिनट तक है। इस मुहूर्त में लक्ष्मी पूजा करने से जीवन में अपार सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी।

दिवाली पूजन के लिए सामाग्री

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  • मां लक्ष्मी, गणेश जी, माता सरस्वती और कुबेर देव की मूर्ति
  • अक्षत्, लाल फूल, कमल के और गुलाब के फूल, माला, सिंदूर, कुमकुम, रोली, चंदन
  • पान का पत्ता और सुपारी, केसर, फल, कमलगट्टा, पीली कौड़ियां, धान का लावा, बताशा, मिठाई, खीर, मोदक, लड्डू, पंच मेवा
  • शहद, इत्र, गंगाजल, दूध, दही, तेल, शुद्ध घी, कलावा, पंच पल्लव, सप्तधान्य
  • कलश, पीतल का दीपक, मिट्टी का दिया, रुई की बत्ती, नारियल, लक्ष्मी और गणेश के सोने या चांदी के सिक्के, धनिया
  • आसन के लिए लाल या पीले रंग का कपड़ा, लकड़ी की चौकी, आम के पत्ते, लौंग, इलायची, दूर्वा आदि।

इन मंत्रो का करें जाप

मां लक्ष्मी मंत्र

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  • ऊँ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नम:॥

श्री गणेश मंत्र

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  • गजाननम्भूतगभू गणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्।
    उमासुतं सु शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्।

कुबेर मंत्र

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  • ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥
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