Wednesday, December 11, 2024
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Sakat Chaturthi 2024: इस दिन मनाया जाएगा सकट चतुर्थी का त्योहार, यहां जानें शुभ मुहूर्त, तिथि और विधि

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। माघ माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर सकट चौथ का व्रत किया जाता है। इस व्रत को सकट चौथ के आलावा माघ चतुर्थी, तिलकुट, संकष्टी चतुर्थी आदि नामों से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत रखा जाता है और गणेश जी की पूजा अर्चना होती है। इसके बाद रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है।

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बताया जाता है कि, यह व्रत महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु और सुखी जीवन के लिए रखती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से विघ्नहर्ता गणेश संतान के सारे संकटों को दूर करते हैं। तो चलिए जानते हैं इस साल 2024 में कब पड़ रहा है सकट चौथ, जानें इसका पूजन और शुभ मु​हूर्त..

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सकट चौथ 2024 तिथि

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पंचांग के अनुसार माघ माह के कृष्ण पक्ष की सकट चतुर्थी तिथि की शुरुआत 29 जनवरी 2024 को सुबह 06 बजकर 10 मिनट होगी। अगले दिन इसका समापन 30 जनवरी 2024 को सुबह 08 बजकर 54 मिनट पर होगा। ऐसे में इस साल सकट चौथ का व्रत 29 जनवरी 2024 को रखा जाएगा।

सकट चौथ 2024 शुभ मुहूर्त

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अमृत (सर्वोत्तम)- सुबह 07 बजकर 11 मिनट से सुबह 08 बजकर 32 मिनट तक
शुभ (उत्तम) – सुबह 09 बजकर 43 मिनट से सुबह 11 बजकर 14 मिनट स तक
शाम का मुहूर्त – शाम 04 बजकर 37 मिनट से शाम 07 बजकर 37 मिनट तक

सकट चौथ 2024  चंद्रोदय समय

माघ माह की सकट चतुर्थी के दिन 29 जनवरी को चंद्रोदय रात 09 बजकर 10 मिनट पर होगा।

सकट चौथ 2024 पूजन विधि

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  • सकट चौथ के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • इसके बाद भगवान गणेश की प्रतिमा को चौकी पर स्थापित करें। गणेश जी के साथ मां लक्ष्मी की मूर्ति भी रखें।
  • गणेश जी और मां लक्ष्मी को रोली और अक्षत लगाएं। फिर पुष्प, दूर्वा, मोदक आदि अर्पित करें।
  • सकट चौथ में तिल का विशेष महत्व है। इसलिए भगवान गणेश को तिल के लड्डुओं का भोग लगाएं।
  • ॐ गं गणपतये नमः: मंत्र का जाप करें।
  • अंत में सकट चौथ व्रत की कथा सुनें और आरती करें।
  • रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देकर सकट चौथ व्रत संपन्न करें।

सकट चौथ 2024 महत्व

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  • माताएं अपनी संतान के सुखी जीवन के लिए सकट चौथ का व्रत रखती हैं। व्रती महिलाएं शाम को गणेश जी की पूजा और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करती हैं।
  • मान्यता है कि माघ माह की चतुर्थी के दिन ही भगवान गणेश ने अपने माता-पिता की परिक्रमा कर अपनी तीव्र बुद्धि, ज्ञान का परिचय दिया था।
  • इस व्रत को करने से संतान को अच्छा स्वास्थ्य, बुद्धि, समृद्धि में वृद्धि होती है। साथ ही इस दिन तिल का स्नान, दान, उसके सेवन और पूजा में विशेष इस्तेमाल किया जाता है।
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