- खेतों में रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक इस्तेमाल से मिट्टी की बिगड़ रही सेहत
- पशुओं को केवल सूखा भूसा खिलाने से नहीं मिलेगा पौष्टिक दूध
- आहार में हरा चारा, अनाज, खल, चूरी, चोकर, नमक व खनिज लवणों का मिश्रण होना चाहिए
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: खेतों में रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक इस्तेमाल से मिट्टी की सेहत तो बिगड़ ही रही है। इसके साथ ही पशुओं के चारे पर भी गहरा प्रभाव पड़ रहा है। इससे दूध में पौष्टिक तत्वों की कमी दर्ज की जा रही है। पशुओं को संतुलित पौष्टिक आहार न मिलने के कारण दूध की पौष्टिकता घटती जा रही है। दूध में 85 प्रतिशत जल एवं शेष भाग में खनिज, वसा तथा प्रोटीन होता है।
पशुओं को दें संतुलित पौष्टिक आहार
पशु चिकित्सकों का कहना है कि पशुओं को केवल सूखा भूसा खिलाने से पौष्टिक दूध नहीं मिलेगा। जरूरी है कि पशुओं को संतुलित पौष्टिक आहार दिया जाना चाहिए। पशुओं के आहार में हरा चारा, अनाज, खल, चूरी, चोकर, नमक व खनिज लवणों का मिश्रण होना चाहिए। जैसे कि चार किलो दूध देने वाले 400 किलो वजन के पशु को दिन में 20 किलो हरा चारा, डेढ़ किलो भूसा एवं दो किलो अनाज, खल, चोकर, नमक तथा खनिज लवण आहार देना जरूरी है।
गायों की मुख्य प्रजाति
आमतौर पर देसी गायों में साहीवाल, थारपारकर, लाल सिंघी एवं हरियाणा पाई जाती है। जिसके दूध में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है। विशेषज्ञों का कहना है कि गाय व भैंसों के आहार में पोषक तत्व न होने के कारण दूध में भी पौष्टिकता की कमी पाभ जाती है।
ऐसे करें सुधार
मृदा विशेषज्ञों के अनुसार, खेतों में रासायनिक उर्वरक नाइट्रोजन फास्फोरस एवं पोटेशियम अधिकता में इस्तेमाल होने के कारण फसलों में भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। जिससे पशुओं को निर्धारित पौष्टिक तत्व नहीं मिल पा रहे हैं। इसके लिए खेतों में जैविक या केंचुआ खाद का इस्तेमाल नियमित रूप से करना चाहिए। खेत की मिट्टी की जांच के बाद उसमें पोषक एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों को पूरा कर लेना चाहिए।
लैक्टोज से मिलती है दिमाग को ताकत
दूध में मुख्य तौर पर पाया जाने वाला लैक्टोज ग्लूकोज एवं गैलेक्टोज से बना होता है। यह ब्रेन डेवलपमेंट के लिए मुख्य कारक है। दिमाग की कोशिकाओं को ताकत देने वाला गैलेक्टोज मुख्य भोजन है।