जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: कोल्ड्रिफ कफ सिरप से मध्य प्रदेश और राजस्थान में 20 से अधिक बच्चों की मौत के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सोमवार को बड़ी कार्रवाई की। ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत श्रीसन फार्मा के चेन्नई स्थित ठिकानों के साथ-साथ तमिलनाडु ड्रग कंट्रोल विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के आवास और कार्यालयों पर छापेमारी की।
मौत की वजह?
बच्चों की मौत के बाद की गई जांच में यह खुलासा हुआ कि कोल्ड्रिफ कफ सिरप में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल की अत्यधिक और घातक मात्रा मौजूद थी। यह एक जहरीला रसायन है जिसका उपयोग आमतौर पर एंटीफ्रीज में किया जाता है और जिसे कई राज्यों में प्रतिबंधित किया जा चुका है।
डॉक्टरों के अनुसार, इसी जहरीले रसायन के कारण बच्चों की किडनी फेल हो गई, जिससे उनकी मौत हुई। सिरप का उपयोग बच्चों को हल्की खांसी और बुखार के इलाज में किया गया था।
श्रीसन फार्मा पर गंभीर आरोप
सिरप का उत्पादन कांचीपुरम स्थित श्रीसन फार्मा द्वारा किया गया था। कंपनी के मालिक 73 वर्षीय जी. रंगनाथन को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। जांच में सामने आया कि कंपनी ने एक दशक से भी अधिक समय तक खराब बुनियादी ढांचे के बावजूद बिना किसी निगरानी के उत्पादन जारी रखा।
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) और तमिलनाडु खाद्य एवं औषधि प्रशासन (TNFDA) की रिपोर्टों में गंभीर सुरक्षा चूकों, मानक उल्लंघनों, और लाइसेंसिंग प्रक्रियाओं में लापरवाही का खुलासा हुआ।
किन-किन पर हुई छापेमारी?
श्रीसन फार्मा के चेन्नई स्थित दफ्तर, कंपनी के गोदाम और उत्पादन यूनिट, तमिलनाडु ड्रग कंट्रोल विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के घर और दफ्तर दस्तावेज़, डिजिटल डाटा और लेनदेन की जांच की जा रही है
क्या है अगला कदम?
प्रवर्तन निदेशालय इस छापेमारी के जरिए यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि घातक रसायन सिरप में कैसे मिला?, क्या दवा निरीक्षण एजेंसियों की मिलीभगत थी?, क्या मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए आपराधिक लाभ उठाया गया? जांच के बाद मनी लॉन्ड्रिंग और आपराधिक लापरवाही की धाराओं में अतिरिक्त गिरफ्तारियां भी संभव हैं।
एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट
यह घटना दवा उद्योग की निगरानी प्रणाली पर सवाल खड़े करती है। बच्चों की मौत से जुड़े इस मामले ने न केवल भारत, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि भारत एक प्रमुख दवा निर्यातक देश है।

