जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश सरकार विधानसभा चुनाव से पहले मंडी उप स्थल का संचालन करने वाले कृषक समूहों, किसानों व अन्य हितधारकों को बड़ी राहत देने जा रही है।
इसके तहत मंडी शुल्क व विकास सेस अथवा प्रयोक्ता प्रभार का 75 प्रतिशत हिस्सा लाइसेंसधारियों को देने की तैयारी है। इसके लिए मंडी अधिनियम में संशोधन संबंधी कार्यवाही अध्यादेश के जरिए लागू करने पर मंथन हो रहा है।
किसानों की आय बढ़ाने के लिए निकटतम दूरी पर मंडी उप स्थल की व्यवस्था लागू की थी। सोच थी कि किसान अपनी सुविधानुसार अपनी शर्तों पर उत्पाद बेच सकें।
ऐसे स्थलों पर लिए जाने वाले मंडी शुल्क का 25 प्रतिशत हिस्सा मंडी उप स्थल के संचालकों को और 75 प्रतिशत मंडी समिति को दिया जाना तय हुआ। इस व्यवस्था में ज्यादा रुचि न दिखाने पर अब सरकार ने मंडी शुल्क का 75 प्रतिशत हिस्सा लाइसेंसधारियों को दिया जाए व 25 प्रतिशत मंडी को देने का प्रस्ताव तैयार हुआ है।
इसलिए रुचि नहीं: मंडी उप स्थलों के रखरखाव, विकास व सुविधाएं उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी उसके मालिक व लाइसेंसधारी की होती है। मंडी शुल्क के केवल 25 प्रतिशत हिस्से से यह व्यवस्था नहीं हो पा रही है।
इस वजह से किसान या किसान समूह मंडी उप स्थल घोषित कराकर किसानों को स्थानीय स्तर पर कारोबार की सुविधा देने में रुचि नहीं ले रहे हैं। बड़ी कारोबारी कंपनियां भी मुंह फेर रही हैं।