Tuesday, July 8, 2025
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जांबाज शिक्षकों की फाइल फांक रही धूल

  • इन शिक्षकों की फाइल पिछले दो साल से बीएसए कार्यालय में पड़ी ठंडे बस्ते में, फाइल दबाने में वरिष्ठ लिपिक का हाथ
  • कोरोना काल में जिले के करीब 200 शिक्षकों ने दी थी आपात ड्यूटी
  • 34 शिक्षकों की हुई थी मौत, मृतक आश्रितों को नहीं दी जा रही नौकरी

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: कोरोना काल में जब आम जनता अपने घरों में रह रही थी उस समय जिले के बेसिक शिक्षकों को आपात ड्यूटी पर लगाया गया था। इसके लिए उन्हें अवकाश के दिनों में भी घर-घर जाकर लोगों की कोरोना जांच करने की जिम्मेदारी दी गई थी। जिसे करीब 200 शिक्षकों ने बखूबी निभाया, साथ ही अपनी जान जोखिम में डालकर आम जनता को कोरोना से बचानें में अहम भूमिका निभाई थी।

इस दौरान करीब 34 शिक्षकों की जान भी चली गई थी। शिक्षकों को अवकाश के दौरान ड्यूटी करने के बदले बाद में वार्षिक अवकाश देनें का शासन ने वादा किया था। लेकिन मेरठ के इन शिक्षकों की फाइल पिछले दो साल से बीएसए कार्यालय में धूल फांक रही है। बताया जा रहा है फाइल दबाने में वरिष्ठ लिपिक का हाथ है।

शिक्षकों की वार्षिक अवकाश की फाइल पिछले दो सालों से बीएसए कार्यालय में दबी हुई है। जबकि इन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर आम जनता को कोरोना महामारी से बचानें में अहम भूमिका निभाई थी। इस फाइल को बेसिक शिक्षा अधिकारी के पास पहुंचानें की जिम्मेदारी वरिष्ठ सहायक प्रदीप बंसल की थी।

लेकिन उन्होंने न तो तत्कालीन बीएसए योगेन्द्र कुमार के सामने फाइल रखी न ही उनके जाने के बाद आए बीएसए विश्व दीपक त्रिपाठी के पास फाइल पहुंचाई। अब नई बेसिक शिक्षा अधिकारी आशा चौधरी के पास भी यह फाइल पहुंचेगी या नहीं कुछ कहा नहीं जा सकता।

फाइल बढ़ाने के लिए सुविधा शुल्क की मांग

बताया जा रहा है वरिष्ठ लिपिक प्रदीप बंसल फाइल आगे बढ़ाने के लिए शिक्षकों से सुविधा शुल्क की मांग कर रहें है। कई शिक्षकों ने पहचान छिपाने की शर्त पर बताया वरिष्ठ लिपिक अपने भ्रष्टाचार के लिए पहले भी चर्चा में रह चुके है। उनका यह कोई पहला कारनामा नहीं है, पहले भी निलंबन बहाली का खेल करते हुए उन्होंने अवैध रूप से पैसे की वसूली की है।

34 शिक्षकों की गई थी जान

कोरोना काल में भी अपने फर्ज को अंजाम देने वाले करीब 200 शिक्षकों में से 34 शिक्षकों की जान कोरोना ले चुका है। लेकिन इन शिक्षकों की फाइल आगे नहीं बढ़ने के कारण अबतक इनके परिजनों को मृतक आश्रित कोटे से नौकरी पाने से वंचित रहना पड़ रहा है। महज चंद शिक्षकों के परिवारों के सदस्यों को मृतक आश्रित कोटे से नौकरी मिल सकी है। बताया जा रहा है इसके लिए भी वरिष्ठ लिपिक ने मोटा सुविधा शुक्ल वसूल किया है।

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