Friday, March 29, 2024
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भ्रष्टाचार में लिप्त सीओ चकबंदी की फाइल गायब, कार्रवाई नहीं

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  • भ्रष्टाचार की हुई थी आॅडियो टैप वायरल, डीएम ने भेजी थी शासन को रिपोर्ट

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: सीओ चकबंदी दीपक वर्मा भ्रष्टाचार के मामले में फस गए हैं। जो आॅडियो टेप वायरल हुआ हैं, उसमें उनकी गर्दन फस गई हैं। उनके खिलाफ डीएम के.बालाजी ने प्रदेश के चकबंदी आयुक्त को कार्रवाई करने के लिए लिखकर भेजा था, जिसके साथ आॅडियो टैप भी भेजा गया था, मगर इसमें कार्रवाई नहीं हुई।

इस आॅडियो टैप के मामले को अधिवक्ता अशोक चौहान ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पूरी रिपोर्ट तैयार कर भेजने की बात कही हैं, ताकि चकबंदी विभाग को जीरो टोलरेंस किया जा सके। क्योंकि चकबंदी विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच गया हैं। कोई भी काम बिना पैसे लिये नहीं होता है। सीओ चकबंदी स्तर के अधिकारी जब भ्रष्टाचार में लिप्त हैं तो नीचले स्तर के अधिकारी को खुलेआम किसानों का शोषण का तथ्य सामने आ रहा है।

आॅडियो टैप के मामले में अधिकारियों पर बड़ी कार्रवाई होनी थी, लेकिन डीएम के.बालाजी ने जो रिपोर्ट बनाकर फाइल लखनऊ भेजी थी, वो फाइल ही गायब हो गयी है। इस फाइल पर सीओ चकबंदी दीपक वर्मा के खिलाफ कार्रवाई होनी थी, लेकिन फाइल गायब होने के बाद पूरा मामला ही लटक गया। लाखों की घूस लेन-देन का आरोप अधिकारियों पर लगा था। पीड़ित पक्ष ने भ्रष्टाचार की आॅडियो टेप व अन्य सबूत डीएम को सौंपे थे, जिसमें कार्रवाई की मांग की थी।

बताया गया कि डीएम के. बालाजी ने अपर जिला अधिकारी नगर और उप जिलाधिकारी सदर को इसकी जांच सौंपी थी। अधिकारियों की संयुक्त जांच रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया था कि तीनों चकबंदी अधिकारियों ने घूसखोरी की थी। जांच रिपोर्ट डीएम को सौंपी गई। डीएम के बालाजी ने तीनों दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए चकबंदी आयुक्त को फाइल तैयार कर रिपोर्ट भेजी थी।

रिपोर्ट में सीओ चकबंदी दीपक वर्मा समेत तीन अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए लिखा गया था, मगर यह फाइल ही गायब हो गई है। इस मामले में चकबंदी आयुक्त ने कोई कार्रवाई नहीं की है। बता दे, चकबंदी में भ्रष्टाचार के मामले में दो लेखपालों के खिलाफ भी शासन से कार्रवाई की सिफारिश की गई थी।

यह भ्रष्टाचार का मामला मवाना तहसील के बहसूमा का है। अब इसमें अधिवक्ता अशोक चौहान ने पूरा मामला फिर से गरमा दिया है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के इस मामले की फाइल तैयार कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजी जाएगी, ताकि इस पूरे मामले में लिप्त भ्रष्ट अफसरों पर कार्रवाई हो सकेगी।

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