Tuesday, June 24, 2025
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सीईओ साहब! सेहत हो रही है खराब, गांधी बाग के खोलों द्वार

  • लॉकडाउन के बाद से कैंट प्रशासन ने मार्निंग वॉक पर आने वालों की एंट्री पर लगा दी है पाबंदी

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: मार्निंग और इवनिंग वॉक के लिए गांधी बाग में एंट्री पर कैंट बोर्ड के बैरियर से बड़ी संख्या में लोग परेशान हैं। शहर के दूरदराज के इलाकों से मार्निंग वॉक व ताजी हवा के लिए आने वालों का कहना है कि सरकार ने जिम खुलवा दिए हैं तो फिर गांधी बाग पर कैंट बोर्ड का पहरा क्यों।

उनका कहना है कि सीईओ कैंट को लोगों की परेशानी को देखते हुए गांधी बाग को बगैर देरी खुलवा देना चाहिए ताकि खुली हवा में सांस लेने के लिए आने वालों को राहत मिल सके और उनकी सेहत भी सलामत रहे।

दूरदराज से आते हैं लोग

सेहत की चिंता में शहर के दूरदराज के इलाकों से बड़ी संख्या में सभी वर्ग व संप्रदाय के लोग जिनमें बड़ी संख्या महिलाओं व बच्चों तथा बुजुर्गों की भी है, वे कैंट बोर्ड द्वारा संचालित गांधी बाग में खुली हवा में सांस लेने के लिए आते थे। कुछ लोग तो करीब 10 से 15 किलोमीटर का सफर तक कर गांधी बाग पहुंचते थे।

इसके अलावा कैंट के तमाम इलाकों से भी बड़ी संख्या में यहां लोग आते हैं। यहां आने वालों में जलीकोठी, मछेरान, सदर बाजार तथा कैंट के सभी आठ वार्ड के लोग शामिल हैं, जो गांधी बाग के गेट पर लगा ताला खुलने का इंतजार कर रहे हैं।

एंट्री पर बैन, खड़े-खड़े गेट को निहारते

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कोरोना संक्रमण के नाम पर कैंट प्रशासन ने गांधी बाग में एंट्री पर रोक लगा दी है। लेकिन गेट खुलने की आस में इसके बाद प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग सुबह के वक्त गांधी बाग पहुंचते हैं। लेकिन जब यहां आकर पता चलता है कि अभी गेट खुलवाया नहीं गया है तो मायूस होकर बापस लौट जाते हैं।

कुछ तो ऐसे हैं कि यह पता होने के बाद भी कि गेट पर ताला है उसके बाद भी खड़े खड़े देर तक गेट को निहारते रहते हैं। कुछ भीतर झांककर देखते हैं।

नहीं कोई दूसरा स्थान

महानगर की यदि बात की जाए तो गांधी बाग सरीखा कोई दूसरा स्थान नहीं हैं जहां लोगों को सुबह के वक्त ताजी सांसों के लिए स्वच्छ वायु मंडल मिल सके।

जो पार्क शहर में अन्य स्थानों पर थे भी, उन पर निगम के कुछ भ्रष्ट कर्मचारियों व पार्षदों की मिलीभगत से अवैध कब्जे हो गए हैं या फिर वो इस लायक नहीं रह गए हैं कि वहां पहुंचने वाले ताजी हवा में सांस ले सकें। इसके लिए ले देकर केवल कैंट बोर्ड द्वारा संचालित गांधी बाग ही बचा था।

ये कहना है लोगों का

  • शहर घंटाघर से आने वाले 70 वर्षीय मीट कारोबारी तनवीर कुरैशी कहते हैं कि ताला खुलवाया जाए।
  • सदर निवासी आशीष जैन परिवार के संग सुबह के वक्त गांधी बाग आया करते थे। उन्होंने बताया कि गेट पर ताला लगाना उचित नहीं।
  • शहर कबाड़ी बाजार के रहने वाले मिठाई कारोबारी सुशील रस्तोगी बताते हैं कि वह बचपन से ही गांधी बाग आते हैं। सीईओ कैंट लोगों की सुविधा की ओर ध्यान दें।
  • घर परिवार संभालने वाली निशा बेगम अपने पति के साथ जलीकोठी से पैदल ही गांधी बाग आया करती हैं। वो भी चाहती हैं कि जल्दी ही यहां के ताले खुलवाए जाएं।

ये कहना है पूर्व उपाध्यक्षों का

  • कैंट बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष सुनील वाधवा का कहना है कि सीईओ कैंट को विशेषज्ञों से राय लेकर इस संबंध में निर्णय लेना चाहिए।
  • कैंट बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष दिनेश गोयल का कहना है कि लोगों की भावनाओं व सेहत का ध्यान रखते हुए सीईओ कैंट को निर्णय लेना चाहिए।
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