जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: स्वास्थ्य विभाग की इन्फेक्शन प्रिवेंशन टीम के सदस्य व आईएमए के पूर्व सचिव डा. अनिल नौसरान ने सरकार की मिक्सो पैथी पर गंभीर सवाल उठाते हुए इसे उन मरीजों के लिए जानलेवा बताया है। जिन्हें आॅपरेशन की जरूरत पडेगी।
उन्होंने कहा कि यह बात बिल्कुल सही है सर्जरी के जनक सुश्रुत थे, लेकिन मैं आयुर्वेद की विद्या वालों से यह जानना चाहता हूं कि उन्होंने इस आयुर्वेदिक विद्या को आजादी के बाद विकसित क्यों नहीं किया क्यों इतने सालों से यह हाथ पर हाथ रखे हुए बैठे हैं।
अभी जो एलोपैथिक की विकसित पद्धति है उसको कैसे ले सकते हैं। एलोपैथिक पद्धति का अपना एक आधार है उसके ऊपर वह मरीज का इलाज करती है। एलोपैथिक पद्धति में ही स्टेथो स्कोप का प्रयोग होता है आयुर्वेदिक पद्धति में कहीं भी स्टेथोस्कोप का प्रयोग नहीं होता है उसमें तो सिर्फ नब्ज देखकर ही मरीज के रोग की पहचान की जाती है।
आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति वालों ने अपना आधार ही खत्म कर दिया है, न हीं इनको डॉक्टर लिखने का अधिकार है। इनको तो सिर्फ वैद्य लिखने का अधिकार है इन्होंने तो अपनी आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली को बिल्कुल धरातल पर ले गए हैं। अब मैं यह पूछना चाहता हूं कि एमबीबीएस की पढ़ाई और बीएएमएस बीयूएमएस की पढ़ाई में क्या समानता है।
आप किसी मेडिकल कॉलेज में जाकर देख सकते हैं कि एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं कितना बड़ा कोर्स है। वहां से उसकी फाउंडेशन तैयार होती है तब उसके बाद जाकर वह तीन साल का कोर्स करता है। उसके बाद जाकर सरकार उसको सर्जरी करने की इजाजत देती है।
अब मैं आपसे यह पूछना चाहता हूं कि जिन लोगों को बेसिक साइंस का ज्ञान नहीं है। उनको इस तरह का अधिकार देकर एक बहुत बड़ा क्राइम करने की साजिश हो रही है और अगर ये होता है तो इससे सीधे सीधे ही प्रभावित होगी। एलोपैथिक डॉक्टर पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। सिर्फ जनता ही इससे प्रभावित होगी।
आयुर्वेद चिकित्सक ने किया विरोध करने वालों का विरोध
आयुर्वेद के चिकित्सकों के आॅपरेशन किए जाने का विरोध करने वाले आईएमए व एलोपैथी के चिकित्सकों के विरोध में आयुर्वेद चिकित्सक उतर आए हैं। इसको लेकर गुरुवार को नीमा के बैनर तले कलक्ट्रेट पर पहुंचकर विरोध प्रदर्शन कर एक ज्ञापन डीएम के. बालाजी को दिया गया।
उन्होंने कहा कि शल्य चिकित्सा का जनक आयुर्वेद है। प्रदर्शन में शामिल अध्यक्ष प्रेमदत्त शर्मा, डा. मिसबा उर रहमान, डा. एनके राजवंशी ने आयुष चिकित्सकों को सम्मान दिए जाने का सरकार का धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने कहा कि जो विरोध किया जा रहा है वह उचित नहीं है।