- इस प्रकार के मामलों की जांच पड़ताल के दौरान फर्जी फर्मों के संचालकों तक विभाग के नहीं पहुंच पा रहे हाथ
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: बोगस फर्मों के जरिये हर महीने करोड़ों की जीएसटी चोरी की जा रही है। इस प्रकार के मामलों की जांच पड़ताल के दौरान फर्जी फर्मों के संचालकों तक विभाग के हाथ नहीं पहुंच पा रहे हैं। अलबत्ता इनके जरिये खरीद करने वाली पंजीकृत फर्मों पर शिकंजा कसते हुए आईटीसी क्लेम लेने के मामलों में जुर्माना वसूल लिया जाता है। मेरठ क्षेत्र में 13 तलाशी के प्रकरण के दौरान एक करोड़ 78 लाख का टैक्स अक्टूबर माह में जुर्माने के रूप में जमा कराया गया है।
अधिकारियों, व्यापारियों के साथ-साथ मेरठ के जाने-माने सीए केपी सिंह से जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक इस प्रकार फर्मों को पहले फर्जी अभिलेखों के जरिये बनाकर कर चोरी का रास्ता अपनाया गया। जब विभाग की ओर से फर्मों की जानकारी लेते हुए सत्यापन का प्रयास किया गया, तो मौके पर कुछ भी नहीं मिला। इसके बाद एक रास्ता यह निकाला गया कि समाज के निम्न वर्ग को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के नाम पर उनके आधार कार्ड ले लिए गए। इन्हीं योजनाओं का झांसा देते हुए उनके पेन कार्ड आदि भी बनवा लिए गए।
जिसके बाद बोगस फर्म बनाने वाले लोगों ने संबंधित व्यक्ति के खातों में दो-तीन हजार रुपये महीना तक डलवा दिए। इस राशि को पाकर संबंधित व्यक्ति यही सोचकर खुश होते हैं कि सरकार की ओर से उन्हें सहायता राशि भेजी जा रही है। कर चोरी के मामलों की छानबीन के दौरान जब अधिकारियों की टीम उन तक पहुंचती है, तब जाकर वास्तिवकता का पता चल पाता है।
इस बीच फर्जी फर्म बनाने वाले करोड़ों के वारे-न्यारे कर चुके होते हैं। सीए केपी सिंह का कहना है कि जीएसटी रजिस्ट्रेशन का सत्यापन त्वरित किया जाना चाहिए। इसके अलावा रजिस्ट्रेशन के लिए बायोमैट्रिक सिस्टम लागू करने से भी फर्जीवाड़े पर अंकुश लगाने में सफलता मिलेगी। यह काम अभी कुछ प्रदेशों में शुरू भी किया जा चुका है।
ऐसे बुना जाता है फर्जी फर्मों का जाल
बताया गया है कि जीएसटी विभाग की ओर से ऐसे मामलों को पकड़ने के लिए एंटी इवेजन निरंतर निगरानी रखती है, लेकिन इनकी पकड़ में बोगस कंपनी के संचालक नहीं आ पाते हैं। जो जानकारी मिली है उसके अनुसार फर्जी फर्म बनाने वाले दूरदराज के राज्यों तक में अपना जाल बिछा लेते हैं।
और एक के बाद एक करके कई जगह माल की बिक्री दर्शाकर आखिर में उसे खुद ही खरीदना भी दर्शा लेते हैं। इस बीच अधिकांश माल बिना बिल के निकाल देते हैं, और फर्जी फर्मों के माध्यम से की गई बोगस खरीद-फरोख्त इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ अर्जित कर लेते हैं।
रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में किया गया बदलाव
पहले जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराने के उपरांत हर फर्म का भौतिक सत्यापन नहीं किया जाता था। इसी कारण कर चोरी के मामले अधिक सामने आते थे। जिस पर रोक लगाने के लिए विभाग की ओर से रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में बदलाव किया गया है। अब स्टेट जीएसटी रजिस्ट्रेशन के मामलों में 30 दिन के भीतर सत्यापन किया जाना अनिवार्य कर दिया गया है।
मई में चलाया जा चुका है राष्ट्र व्यापी अभियान
जीएसटी विभाग की ओर से मई-जून माह में कर चोरी करके आईटीसी का लाभ लेने वाली फर्मों की जांच के लिए राष्ट्र स्तर पर अभियान चलाया गया। जिसमें बड़ी संख्या में मामले पकड़े गए, और बोगस फर्मों के रजिस्ट्रेशन कैंसिल किए गए हैं।
अपर आयुक्त ग्रेड-1 हरिनाथ सिंह बताते हैं कि पश्चिमांचल विद्युत वितरण विभाग के खाते में पड़े 254 करोड़ रुपये हाल ही में जमा कराए गए हैं। इसके अलावा विभाग के अधिकारियों ने प्रयास करके फर्मों के माध्यम से आईटीसी की 400 करोड़ रुपये की राशि एक दिन पहले ही जमा कराई है।
सोफ्टवेयर के जरिये पकड़ी जा सकेंगी फर्जी फर्में
जीएसटी विभाग के लिए एक सोफ्टवेयर काफी सहायक सिद्ध हो सकेगा, जिसे सभी जगह भेजकर काम शुरू कराया जा रहा है। अमेरिका से लाए गए इस सोफ्टवेयर की मदद से किसी भी खरीद-फरोख्त का पूर्ण विवरण लिया जा सकेगा। इसमें मामला संदिग्ध लगने पर सोफ्टवेयर स्वयं ही निगरानी रखने वाली टीम को अलर्ट कर देगा। जिसके आधार पर टीम्में शामिल अधिकारी मामले की गहनता से छानबीन कर सकेंगे।
चोरी का इनपुट मिलने पर चार-चार अधिकारियों की टीम गहनता से छानबीन करती है। अक्टूबर माह में 13 प्रकरणों की जांच करते हुए एक करोड़ 78 लाख से अधिक की राशि जुर्माने के रूप में जमा कराई गई है। नवंबर माह में मेरठ और बागपत जनपदों में कार्यरत छह सचल दस्तों ने 62 गाड़ियों की चेकिंग की है। जिनमें मिली अनियमितताओं के आधार पर 92.85 लाख रुपये जुर्माना जमा कराया गया है। -आरपी मल्ल, अपर आयुक्त ग्रेड-2 (वि.अनु. शा.) राज्य कर, मेरठ जोन