Friday, March 29, 2024
HomeUttar Pradesh NewsMeerutभारत के इतिहास का अहम् पहलू हस्तशिल्प

भारत के इतिहास का अहम् पहलू हस्तशिल्प

- Advertisement -

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: भारत में इतिहास की बात करें तो लिखा, पढ़ा और बोला जा सकता है। इसका सबसे अहम पहलू है हैंडिक्राफ्ट (हस्तशिल्प)। हैंडलूम, टैक्सटाइल, फर्नीचर, खेल उत्पाद, चित्र आदि काफी चीजें देश में हाथों के इस्तेमाल से ही बनाई जाती है। वहीं, आज भी मूर्तिकार हाथों से ही मूर्तियों को बनाकर साज सज्जा का कार्य करते हैं। ऐसे ही कारीगरों की कला के बारे में आज आपको जानकारी देंगे।

मूर्ति पूजन के लिए हो या फिर सजावट के लिए सफाई से किया गया कार्य सभी के मन को भाता है। बता दें कि यह मूर्ति विशेष प्रकार से सिर्फ हाथों से तैयार की जाती है। मेरठ में थापर नगर स्थित अजंता मूर्तिकला केंद्र की बनी मूर्तिंया सिर्फ शहर या उप्र में ही नहीं बल्कि अन्य प्रदेशों तक भेजी जाती हैं। दूसरे प्रदेश के लोग भी यहां की कलाकारी के कायल हैं।

यहां के कलाकार मनोज प्रजापति ने बताया कि चिकनी मिट्टी का घोल तैयार कर कुशल बांधा जाता है। बताते चलें कि गेंहू से निकलने वाले फूस को कुशल कहा जाता है। इसके बाद मिट्टी चढ़ाकर मूर्ति को आकार दिया जाता है। जिसके बाद कुछ समय तक मूर्ति को सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है। इसके बाद फिनिशिंग का कार्य होता है और मूर्तियों को रंग दिया जाता है। जिसके बाद ही मूर्ति बाजार के लिए तैयार हो जाती हैं।

एक हफ्ते से महीने भर का लगता है समय

एक मूर्ति को बनाने के लिए काफी सब्र और मेहनत लगानी होती है। सुंदर दिखने वाली मूर्तियां चंद मिनटों में नहीं तैयार होती हैं, बल्कि इसके लिए एक मूर्तिकार को एक सप्ताह से महीने भर तक का इंतजार करना होता है। मूर्ति को सुखाने में ही काफी समय लगता है।

जिसके बाद फिनिशिंग और रंगने में भी काफी बारीकि से कार्य करना पड़ता है। ऐसे में एक मूर्ति करीब एक महीनें में जाकर तैयार होती है। मूर्ति की कलाकारी में लगा समय उसके आकार पर निर्भर करता है। फाइबर की बनी मूर्तियों में 45 दिन करीब लगते हैं।

जबकि मिट्टी की बनी मूर्ति में कम समय में काम हो जाता है। लेकिन इन दिनों चिकनी मिट्टी मिलने में मूर्तिकारों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई जगहों पर चिकनी मिट्टी आसानी से नहीं मिल पा रही है।

जिससे सीजन के समय भी मूर्तिकार को कई बार मायूसी ही हाथ लगती है। पिछले साल से लेकर अब तक प्रदेश भर में चिकनी मिट्टी का टोटा है। ऐसे में गणेश पूजा और नवरात्र में मूर्तिकारों को परेशानी होती है।

What’s your Reaction?
+1
0
+1
1
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
- Advertisement -

Recent Comments