सरकारी एंबुलेंसों में लापरवाही के जाले
देखरेख के अभाव में कबाड़ में तब्दील हुई एंबुलेंस
दानिश अंसारी |
सरधना: कोरोना संक्रमण ने ग्रामीण क्षेत्र में तांडव मचा रखा है। मगर देहात में सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं खुद लापरवाही के वेंटीलेटर पर लेटी हैं। सरधना में एंबुलेंस किसी की जान क्या बचा पाएंगी, वह खुद ही दम तोड़ती नजर आ रही हैं। सरधना सीएचसी में एक नहीं तीन एंबुलेंस देखरेख के अभाव में कबाड़ हो चुकी हैं।
एंबुलेंस में लापरवाही के जाले लगे हुए हैं और अनदेखी की झाड़-फूंस उग आई हैं। ऐसे में हिसाब लगाया जा सकता है कि देहात में स्वास्थ्य सेवाओं की क्या हालत है। यदि इन एंबुलेंस को ठीक कराके इस्तेमाल में लाया जाए तो शायद बहुत से मरीजों की जान बचाई जा सकती है। मगर अफसोस स्वास्थ्य विभाग का इस ओर कोई ध्यान नहीं है।
ग्रामीण क्षेत्र के बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने के लिए सरकार ने अस्पताल की बड़ी बिल्डिंग, उम्दा चिकित्सक व एंबुलेंस लगा रखी हैं। कोरोना महामारी में सबसे ज्यादा सवाल स्वास्थ्य सेवाओं पर ही उठ रहे हैं। कोरोना ग्रामीण क्षेत्र में घुसने के बाद तो हालात अधिक खराब हो गए हैं।
ग्रामीण क्षेत्र तक बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने के लिए शासन स्तर से पूरी कोशिश की जा रही है। मगर गांव तक पहुंचते-पहुंचते यह सेवाएं दम तोड़ रही हैं। कहीं अस्पताल भवन खंडहर तब्दील हैं तो कहीं एंबुलेंस खराब पड़ी हैं। सरधना सीएचसी की बात करें तो यहां तीन एंबुलेंस वर्षों से धूल फांक रही हैं।
देखरेख के अभाव में यह एंबुलेंस पूरी तरह कबाड़ हो चुकी हैं। एंबुलेंस में लापरवाही की झाड़-फूंस उग आई हैं। मगर इन एंबुलेंस की सुध लेने वाला कोई नहीं है। लाखों रुपये कीमत की एंबुलेंस कचरा हो रही हैं। जिनसे अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्वास्थ्य सेवाओं का क्या हाल है।
यदि स्वास्थ्य विभाग इस तरह की खराब एंबुलेंसों की सुध लेकर उन्हें ठीक कराए तो शायद बहुत से मरीजों की जान बचाई जा सकती है। मगर इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।
वहीं, इस संंबंध में सरधना सीएचसी प्रभारी डा. राजेश कुमार का कहना है कि तीन एंबुलेंस पिछले कई वर्षों से खराब पड़ी हैं। उनके बदले दो एंबुलेंस आ गई थी। बंद पड़ी एंबुलेंस समय पूरा हो गया था। इसी के चलते इन एंबुलेंस का इस्तेमाल में नहीं लाया जाता है।
बाकी एंबुलेंस की हालत भी बहुत अच्छी नहीं
सरधना सीएचसी में तीन एंबुलेंस पूरी तरह से कबाड़ हो चुकी हैं। वर्तमान में यहां छह एंबुलेंस लगी हुई हैं। जिनमें दो आपातकाल व बाकी गर्भवती महिलाओं के लिए हैं। इनकी एंबुलेंस की हालत भी बहुत ज्यादा ठीक नहीं हैं। यहं एंबुलेंस भी आए दिन मिस्त्री को याद करती रहती हैं।